Holi 2020 March : क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली और कहां से शुरू हुई यह परंपरा

Holi 2020 March : क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली और कहां से शुरू हुई यह  परंपरा
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Holi 2020 March : होली का त्योहार (Holi Festival) पूरे देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन मथुरा और वृंदावन की होली (Mathura or Vrindavan holi) का एक अलग ही नजारा होता है, लट्ठमार होली भी इन्हीं में से एक है जो नंद गांव और बरसाना में खेली जाती है तो चलिए जानते हैं क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली और कहां से शुरू हुई यह परंपरा

Holi 2020 March : होली का त्योहार मथुरा और वृंदावन में बसंत पंचमी (Basant Panchami ) के साथ ही शुरू हो जाता है। मथुरा और वृंदावन में फूलों से होली खेली जाती है तो वहीं नंद गांव और बरसाना में लट्ठमार होली का एक अलग ही रंग होता है। होली का पर्व साल 2020 में 10 मार्च 2020 (10 March 2020) को मनाई जाएगी तो चलिए जानते हैं क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली और कहां से शुरू हुई यह परंपरा

क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली (Kyu Khali Jati Hai Lathmar Holi)

होली (Holi) की शुरूआत सबसे पहले कान्हा की नगरी मथुरा और वृंदावन से हई थी। जो आज भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ न सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी मनाई जाती है। मथुरा वृंदावन में तो बसंत पंचमी से ही होली का त्योहार शुरू हो जाता है। हर साल यहां पर होली का प्रारंभ वृज के बाबा वृषभानू के गांव बरसाना से होती है। जो कि श्री राधा जी की जन्म स्थली बरसाना के हर शहर में अलग- अलग प्रकार से मनाया जाता है।


बरसाना में कई जगह फूलों की तो कहीं लड्डूओं की होली होती है। लेकिन मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। यहां पर लट्ठमार होली (Lathmar Holi) खेली जाती है। यह वह खास होली मानी जाती है। जिसे लोग खेलने के लिए दूर- दूर से आते हैं। इस त्योहार को मनाने में वृजवासी कोई भी कसर नहीं छोड़ते हैं। लट्ठमार होली न केवल आनंद के लिए बल्कि नारी सशक्तिकरण का प्रतीक भी मानी जाती है। लट्ठमार होली की शुरूआत बरसाना से ही हुई है।

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कहां से शुरू हुए लट्ठमार होली की परंपरा (Kaha Se Shuru Hui Lathmar Holi)

भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ होली खेलने के लिए बरसाना जाया करते थे। वहीं राधा रानी अपनी सखियों के साथ मिलकर बांस की लाट्ठियों से उन्हें मार- मारकर दौड़ा दिया करती थीं। उसी समय से वृज में लट्ठमार होली होली की परंपरा शुरू हो गई। भगवान श्री कृष्ण महिलाओं को अत्याधिक सम्मान करते थे और मुसीबत के समय उनकी मदद भी करा करते थे। आज भी लट्ठमार होली में भगवान श्री कृष्ण के इसी संदेश को प्रदर्शित किया जाता है।

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इस होली को खेलते हुए महिलाएं थोड़े से चुलबुले अंदाज में आकर लट्ठमार होली से अपनी ताकत का प्रदर्शन किया करती हैं। बरसाना की लट्ठमार होली के एक दिन पहले नंद गांव में होली मनाई जाती है। यहां बरसाना के पुरूष नंदगांव की महिलाओं के साथ रंग व गुलाल खेलने के लिए पहुंचती हैं। लेकिन महिलाएं बदले के तौर पर उन्हें लाट्ठियों से मारती हैं। होली के पर्व पर कान्हा की इस पूरी नगरी में हर तरह के रंग गुलाल से भरपूर आनंद और खुशियां बिखरी हुई नजर आएगी।

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