Indira Ekadashi 2019 : इंदिरा एकादशी कब, महत्व, व्रत विधि और इंदिरा एकादशी व्रत कथा

Indira Ekadashi 2019 : इंदिरा एकादशी कब, महत्व, व्रत विधि और इंदिरा एकादशी व्रत कथा
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Indira Ekadashi 2019 इंदिरा एकादशी 2019 में 25 सिंतबर 2019 को है, इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त, इंदिरा एकादशी का महत्व, इंदिरा एकादशी व्रत विधि और इंदिरा एकादशी की व्रत कथा को पढ़ने सुनने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही इंदिरा एकादशी का पुण्यफल मरने के बाद भी समाप्त नहीं होता और आपको नर्क की घोर यातनांए सहन नहीं करनी पड़ती।

Indira Ekadashi 2019 इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा को जानने से आप पितृ दोष (Pitra Dosh) से मुक्ति पा सकते हैं। इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का व्रत मुख्य रूप से पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है। इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को जीवन के सभी सुख तो प्राप्त होते ही हैं। इंदिरा एकादशी का व्रत (Indira Ekadashi Vrat ) यमलोक की यातनाओं से भी मुक्ति दिलाता है। इसी के साथ इनके पूर्वजों के भी सभी पाप कट जाते हैं और उन्हें स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। श्राद्ध के समय में इस एकादशी के पड़ने से इन्दिरा एकादशी के फलों में कई गुना वृद्धि हो जाती है। तो आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त, महत्व, व्रत विधि और इंदिरा एकादशी व्रत कथा के बारे में...


इंदिरा एकादशी 2019 तिथि (Indira Ekadashi 2019 Tithi)

25 सिंतबर 2019

इंदिरा एकादशी 2019 शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi 2019 Subh Muhurat)

इंदिरा एकादशी प्रारंभ-24 सितंबर 2019 शाम 4 बजकर 42 मिनट से

इंदिरा एकादशी समाप्त-25 सितंबर 2019 दोपहर 2 बजकर 9 मिनट तक

इंदिरा एकादशी पारण का समय- 26 सितंबर 2019 सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 38 मिनट तक


इंदिरा एकादशी का महत्व (Indira Ekadashi Mahatva)

शास्त्रों में इंदिरा एकादशी का महत्व बहुत अधिक बताया गया है। श्राद्ध के समय में इंदिरा एकादशी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इंदिरा एकादशी का व्रत रखता है। उसे यमलोक की यातनाएं नहीं भोगनी पड़ती। इस एकादशी के पुण्य के रूप में पितरों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। इंदिरा एकादशी के व्रत संसार के सभी जीवों को मुक्ति प्राप्त होती है।

इंदिरा एकादशी को श्राद्ध पक्ष एकादशी भी कहा जाता है। इंदिरा एकादशी के व्रत का फल जातक को मरने के उपरांत भी प्राप्त होता है। इस व्रत को जो भी व्यक्ति करता है। उसे पितर दोष से भी मुक्ति मिल जाती है। पितर दोष से मुक्ति के लिए यह व्रत सर्वोत्तम माना गया है।


इंदिरा एकादशी Vrat विधि (Indier Ekadashi Vrat Vidhi)

1.इंदिरा एकादशी की पूजा की भी तैयारी दशमी तिथि से ही कर लें। इसके बाद दोपहर में भी स्नान करें।

2.इसके बाद श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करें और एक समय भोजन करने के बाद कुत्ते, कौए और गाय को भोजन कराएं।

3.इंदिरा एकादशी के दिन जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पहले शालीग्राम की पूजा करें।

4.इसके बाद भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और उनकी आरती उतारें। एक योग्य ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा दें।

5.इसके बाद रात भर भगवान विष्णु का जागरण करें।


इंदिरा एकादशी की कथा (Indier Ekadashi Ki Katha)

एक बार पांडव श्रेष्ठ युधिष्ठिर भगवान श्री श्रीकृष्ण से कहने लगे कि हे भगवन! आश्विन मास में पड़ने वाली एकादशी का नाम , विधि और फल के बारे में मुझे बताएं। भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि हे पांडव श्रेष्ठ! इस एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी है। इस एकादशी के व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पितरों को मुक्ति प्राप्त होती है। इसलिए ध्यानपूर्वक इस कथा को सुनना। इसके सुनने मात्र से ही अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

यह सतयुग की कथा है।महिष्मति नाम की एक नगरी में इंद्रसेन नाम का शुरवीर राजा रहा करता था। वह अपनी प्रजा का पूरा ख्याल रखा करता था। उस राजा के पास संसार की सभी चीजें थी। वह पुत्र और पौत्र से भी संपन्न था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। एक दिन राजा की सभा चल रही थी कि उसी समय आकाश से नारद जी उसकी सभा में पधारे। राजा ने नारद जी का अतिथि सत्कार किया और आसन ग्रहण करने के लिए कहा।

आसन ग्रहण करने के बाद नारद जी ने राजा से पुछा की आपके सातों अंग कुशलपूर्वक तो हैं? तुम्हारी बुद्धि में धर्म और मन में भगवान विष्णु बसे हैं? नारद जी की बात सुनकर राजा ने नारद जी से कहा कि मेरे राज्य में सभी कुछ आपकी कृपा से कुशल मंगल है तथा मेरे यहां यज्ञ और सभी धार्मिक काम होते हैं। कृपा करके आपके आगमन का उचित कारण बताएं। तब नारद जी ने राजा से कहा कि आप मेरी बातों को ध्यान से सुनें।

मैं एक समय यमलोक में गया था। मैने वहां तुम्हारे पिता को वहां देखा था। जब मैने इसका कारण जाना तो धर्मराज ने मुझे बताया कि यह एकादशी व्रत भंग होने का फल है। तुम्हारे पिता ने मुझे ये संदेश तुम्हें देने के लिए कहा था। मैने पिछले जन्म कुछ पाप कर्म किए थे। जिसकी वजह से मुझे यहां यातनाएं भुगतनी पड़ रही है। तुम इंदिरा एकादशी का व्रत मेरे लिए करो ताकि मुझे मुक्ति प्राप्त हो सके और स्वर्ग में स्थान मिल सके।

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