Kajari Teej 2019 : कजरी तीज कब है 2019 में, शुभ मुहूर्त, महत्व, व्रत विधि और कजरी तीज की कथा

Kajari Teej 2019 : कजरी तीज कब है 2019 में, शुभ मुहूर्त, महत्व, व्रत विधि और कजरी तीज की कथा
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Kajari Teej 2019 कजरी तीज 2019 में 18 सितंबर 2019 को मनाई जाएगी, कजरी तीज का शुभ मुहूर्त, कजरी तीज का महत्व, कजरी तीज व्रत विधि और कजरी तीज की कथा पढ़ने सुनने मात्र से महिलाओं को नीमड़ माता से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, कजरी तीज का व्रत भी हरियाली तीज और हरतालिका तीज व्रत की तहर रखा जाता है, कजरी तीज के व्रत में भी चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही व्रत खोला जाता है, इस व्रत में गर्भवती महिलाएं फलाहार ग्रहण कर सकती हैं।

Kajari Teej 2019 (कजरी तीज 2019) कजरी तीज को बूढ़ी तीज, सातूड़ी तीज, बड़ी तीज, कजली तीज (Kajali Teej) आदि कई नामों से जाना जाता है। इस व्रत को भी करवा चौथ, हरतालिका तीज और हरियाली तीज (Hariyali Teej) की तरह किया जाता है। कजरी तीज के व्रत को सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए करती हैं। वहीं कुवारीं कन्या इस व्रत को अच्छे पति की कामना से करती है। कुछ महिलाएं कजरी तीज के व्रत (Kajari Teej Vrat) को निर्जल रहकर भी करती हैं तो आइए जानते हैं कजरी तीज 2019 शुभ मुहूर्त, महत्व, व्रत विधि और कथा के बारे में...


कजरी तीज 2019 तिथि (Kajari Teej 2019 Tithi)

18 अगस्त 2019

कजरी तीज 2019 शुभ मुहूर्त (Kajari Teej 2019 Subh Muhurat)

तृतीया तिथि प्रारंभ- रात 10 बजकर 48 मिनट से (17 August 2019)

तृतीया तिथि समाप्त - सुबह 1 बजकर 13 मिनट से (19 August 2019)


कजरी तीज का महत्व (Kajari Teej Ka Mahatva)

कजरी तीज को को बूढ़ी तीज सातूड़ी तीज, बड़ी तीज, कजली तीज आदि नामों से जाना जाता है। कजरी तीज को भी हरियाली तीज की तरह ही मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। यह व्रत स्त्रियों के लिए होता है। कजरी तीज का व्रत रखने से सुहागन स्त्रियों को वैवाहिक सुख, पति की लंबी उम्र तथा अनेक प्रकार के शुभ फलों की प्राप्ति होती है। की प्राप्ति होती है। अगर कोई कुंवारी कन्या इस व्रत को करती है। तो उसे एक अच्छे वर की भी प्राप्ति होती है। कजरी तीज के व्रत में सुहागन स्त्रियां एक दुल्हन की श्रृंगार करती हैं और विधिवत माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। जिससे उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहे।


कजरी तीज व्रत विधि (Kajari Teej Vrat Vidhi)

1.कजरी तीज के दिन नीमड़ माता की पूजा की जाती है। सबसे पहले नहाधोकर साफ वस्त्र धारण करें और पूरा श्रृंगार करें।

2. यह पूजा शाम के समय में की जाती है। नीमड़ माता की पूजा में सबसे पहले उन्हें रोली और जल के छिटें देकर उनका आह्वाहन करें और उन्हें चावल चढ़ाएं।

3.इसके बाद नीमड़ माता की पीछे की दीवार पर मेहंदी, रोली की 13-13 बिंदिया अनामिका उंगली से लगांए। इसके बाद काजल की बिंदी को तर्जनी उंगली से लगाएं।

4.इसके बाद माता को रोली, वस्त्र और श्रृंगार का सभी समाना चढ़ाना चाहिए। इसके बाद माता को फल और कुछ दक्षिणा चढाएं और कलश पर रोली बांधे।

5.इसके बाद किसी तालब,नदी या बहते जल के समीप जाएं वहां एक दीपक प्रज्वलित करें फिर दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ और साड़ी के पल्लु में चंद्रमा को देखते हुए अर्ध्य दें।


कजरी तीज की कथा (Kajari Teej Ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उस ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखकर ब्राह्मण से कहा कि हे स्वामी! मैने आज कजली तीज का व्रत रखा है। आप मेरे लिए कही से भी चने का सत्तू ले आ जाए। जिससे की मैं अपने व्रत का पालन कर सकूं। ब्राह्मण अपनी पत्नी की बात सुनकर चिंतित हो जाता है और सोचता है कि मैं सत्तू कहा से लेकर आऊंगा।

अपनी पत्नी की बात सुनकर ब्राह्मण उसी समय घर से निकल गया और साहूकार की दूकान पर पहुंच गया और चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर सवा किलो सत्तू बनवा लिया और घर की और चलने लगा। साहूकार ने उसे जाता देखकर रोका और पैसे देने के लिए कहा। ब्राह्मण के पास पैसे नहीं थे। जिसके बाद साहूकार और ब्राह्मण के बीच में बहस होने लगी।

दोनों के बीच जोर- जोर से बहस होने पर साहूकरा के नौकर भी जाग गए और चोर - चोर की आवाजें लगाने लगे। ब्राह्मण यह सब देखकर वहां से भागने लगा। तभी साहूकार के नौकर उसका पीछा करने लगे और उसे पकड़कर साहुकार के पास ले गए। ब्राह्मण ने साहूकार को अपनी स्थिति के बारे में बताया और यह भी बताया की उसकी पत्नी ने आज तीज का व्रत किया है।

इसलिए मैने ये सत्तू बनवाया है। जिससे उसका व्रत पूर्ण हो सके। साहूकार के नौकरों ने उस ब्राह्मण की तलाशी ली लेकिन उन्हें सिवाय सत्तू के अलावा और कुछ भी नहीं मिला। वहां घर पर उस ब्राह्मण की पत्नी उसका इंतजार कर रही थी। ताकि वह अपने व्रत को पूर्ण कर सके।

साहूकार को उस गरीब ब्राह्मण पर दया आ गई और उसने उस ब्राह्मण से कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी मेरी बहने है। जिसके बाद उसने ब्राह्मण को सत्तू, गहने, रुपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन दिया और उस ब्राह्मण की पत्नी ने कजली माता के व्रत को पूर्ण किया।


कजरी तीज पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि (Kajari Teej Per Chandrma Ko Ardhya Dene Ki Vidhi)

कजरी तीज पर भी करवा चौथ की तरह ही चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है।

1. चंद्र उदय के समय सबसे पहले चंद्रमा को जल के छींटे मारे। इसके बाद चंद्र देव को रोली, मोली और चावल अर्पित करें।

2.इसके बाद चांदी की अंगूठी लें और गेहूं के कुछ दाने लें हाथ में लें और चंद्रमा को अर्ध्य दें और अंत में अपनी जगह पर चार बार घूमें और चंद्रमा को प्रणाम करें।


कजरी तीज व्रत नियम (Kajari Teej Vrat Niyam)

1.कजरी तीज का व्रत भी करवा चौथ और हरियाली तीज के व्रत की तरह ही किया जाता है।

2. कजरी तीज के व्रत को निर्जला किया जाता है। यानी इस व्रत में पानी तक नहीं पिया जाता।

3.कजरी तीज के व्रत के नियम के अनुसार इस व्रत में गर्भवती महिलाएं फलाहार ग्रहण कर सकती हैं।

4.कजरी तीज के दिन अगर चंद्रमा के दर्शन न हो पाए तो रात को 11 बजे के बाद आसमान की और देखकर चंद्रमा को अर्ध्य दें।

5.अंत में अपने पति और घर के सभी बड़ों का आर्शीवाद लें।


कजरी तीज की परंपरा ( Kajari Teej Ki Parampara)

1.कजरी तीज का व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं और अगर कोई कुंवारी कन्या इस व्रत को रखती है तो उसे सुयोग्य वह की प्राप्ति होती है।

2.इस दिन जौ, गेहूं, चने और चावल का सत्तू बनाकर उसमें घी और मेवा मिलाकर अलग- अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं और चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है।

3.इस दिन गायों को अधिक महत्व दिया जाता है और उनकी पूजा भी की जाती है। इस दिन आटे की सात लोइयां बनाकर उन पर घी और गुड़ के साथ गाय को खिलाई जाती है।

4.इस दिन महिलाएं एकत्रित होकर नाचती हैं और लोक गीत गाती हैं। इस दिन झूला झूलने की परंपरा है।

5.कजरी तीज के दिन कजरी गीत भी गाए जाते हैं। यूपी और बिहार में तो विशेष तौर पर ये गीत गाए जाते हैं।

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