Kajari Teej 2019 : जानिए कैसे पड़ा कजरी तीज का नाम कजली तीज

Kajari Teej 2019 : जानिए कैसे पड़ा कजरी तीज का नाम कजली तीज
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कजरी तीज (Kajari Teej) का नाम कजली तीज (Kajali Teej) कैसे पड़ा, यह जानने से आप कजरी तीज के महत्व को और भी अच्छी से जान सकेंगे, कजरी तीज के दिन गाय को विशेष महत्व दिया जाता है, इस दिन गाय की विशेष पूजा भी की जाती है।

Kajari Teej 2019 कजरी तीज का नाम कजली तीज कैसे पड़ा। कजरी तीज को भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन उत्तर भारत में कजरी तीज को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। विशेषकर राजस्थान, बिहार, उतर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों मे कजरी तीज के त्यौहार (Kajari Teej Festival) को अधिक महत्व दिया जाता है। कजरी तीज का व्रत (Kajari Teej Vrat) भी करवा चौथ की तरह ही निर्जल रहकर किया जाता है। इस व्रत में शाम के समय में चद्रंमा को अर्ध्य देने के बाद ही कुछ खाया पीया जाता हैं। इस व्रत को सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं तो वही दूसरी और इस व्रत को कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर पाने के लिए करती हैं।


क्यों पड़ा कजरी तीज का नाम कजली तीज (Kyu Pada Kajari Teej Ka Naam Kajali Teej)

पौराणिक कथा के अनुसार भारत के मध्य भाग में कजली नाम का एक वन हुआ करता था। जहां राजा दादुरै नाम का राजा राज करता था। इस राज्य में लोग अपने ही राज्य के नाम कजली पर गीत गाया करते थे। इसी कारण उनके राज्य का नाम पूरे भारत वर्ष में फैल गया था।कुछ समय बाद राज दादुरै की मृत्यु हो गई।जिसके बाद रानी नागमती सती हो गई। राजा और रानी के बाद उनकी प्रजा पूरी तरह से दुख में डूब गई। इसी कारण कजली के गीत पति और पत्नि के जन्म- जन्म के साथ के लिए गाए जाते हैं।

वहीं दूसरी और एक लोकप्रिय कथा के अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में पाना चाहती थी।लेकिन भगवान शिव ने उनके सामने एक शर्त रखी। जिसके अनुसार माता पार्वती को अपनी भक्ति और प्रेम सिद्ध करना था।जिसके बाद माता पार्वती ने 108 सालों तक भगवान शिव की तपस्या की और भगवान शिव को परीक्षा दी।जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को इसी तीज पर अपनी पत्नी स्वीकार किया था। इसी कारण से इसे कजरी तीज भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार बुढ़ी तीज पर सभी देवी- देवता माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं।


कैसे मनाई जाती है कजरी तीज (Kaise Manai Jati Hai Kajari Teej)

1. कजरी तीज के दिन झूला झूलने का विधान है। इस दिन महिलाएं झूला झूलकर अपनी खुशी व्यक्त करती हैं।

2.कजरी तीज के दिन सभी औरतें एक साथ इकट्ठी होकर नाचती है और कजरी तीज के गीत गाती हैं।

3. इस दिन कजली गानों को विशेष महत्व दिया जाता है। कजली गीत के गाने ढोलक और मंजीरे के साथ गाए जाते हैं।

4. कजरी तीज के दिन गाय की विशेष पूजा की जाती है।

5.इस दिन आंटे की 7 रोटियां बनाकर गाय को गुड़ और चने के साथ खिलाई जाती है।


भारत में कहा- कहां मनाई जाती है कजरी तीज (Bharat Mai Kaha Kaha Manai Jati Hai Kajari Teej)

भारत के विभिन्न हिस्सों में कजरी तीज मनाई जाती है। लेकिन भारत के अलग- अलग प्रांतो में इसे अलग- अलग तरीके से मनाया जाता है। इसे उतर प्रदेश,बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में मनाया जाता है।

1. बिहार और उत्तर प्रदेश में कजरी गीत को नाव पर चढ़कर गया जाता है।वहीं वाराणासी और मिर्जापुर में कजरी तीज के गीतों को वर्षागीतों के साथ गाया जाता है।

2. राजस्थान में इस त्यौहार को विशेष महत्व दिया जाता है। विशेषकर राजस्थान के बूंदी शहर में तो इसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन ऊंट और हाथी की सवारी की जाती है। इसके साथ ही यहां पर लोक गीत और नृत्य भी किया जाता है। बूंदी की तीज पूरे भारत में मशहूर है। जिसे देखने के लिए लोग दूर- दूर से यहां आते हैं।

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