Kalashtami 2019 Date : कालाष्टमी व्रत विधि, महत्व और मंत्र

Kalashtami 2019 Date : कालाष्टमी व्रत विधि, महत्व और मंत्र
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Kalashtami 2019 : कालाष्टमी कब है (kalashtami kab Hai) अगर आपको इस पर्व की जानकारी नहीं हैं तो हम इसकी जानकारी देंगे न केवल हम आपको इसकी तिथि बतायेंगे बल्कि कालाष्टमी व्रत की विधि (kalashtami vrat vidhi), कालाष्टमी का महत्व (kalashtami importance) और कालाष्टमी मंत्र (Kalashtami Mantra), आदि भी बतायेंगे। अगर इस दिन आप विधिवत पूजा करते हैं। तो आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे ।

kalashtami 2019 : कालाष्टमी कब है (kalashtami kab Hai) अगर आपको इस पर्व की जानकारी नहीं हैं तो हम इसकी जानकारी देंगे न केवल हम आपको इसकी तिथि बतायेंगे बल्कि व्रत की विधि, कालाष्टमी का महत्व मंत्र, आदि भी बतायेंगे । अगर इस दिन आप विधिवत पूजा करते हैं। तो आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे । यह पर्व प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी / कालभैरव अष्टमी की तिथि पर भगवान भैरव (Bhairava) की विशेष रूप से साधना आराधना की जाती है। तंत्र-मंत्र के साधकों के अनुसार भगवान भैरव को परम शक्तिशाली रुद्र बताया गया है। इन्हें देवाधिदेव भगवान शिव का अवतार माना गया है। भगवान भैरव कि साधना करने वाले भक्त पर किसी भी प्रकार की उपरी बाधा, भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि का खतरा नहीं रहता है, किसी भी बूरी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव नही पड़ेता और जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि रहती है।



कालाष्टमी तिथि

कालाष्टमी तिथि- 26 अप्रैल 2019



कालाष्टमी व्रत विधि (Kalashtami Vrat Vidhi)

1.कालाष्टमी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ हो जाएं। संभव हो तो गंगा जल से शुद्धि करें।

2.व्रत का संकल्‍प लें और भगवान भैरव का ध्यान करें

3.पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें।

4.अर्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें।

5.व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्‍ते को मीठी रोटियां खिलाएं।




कालाष्टमी का महत्व (Kalashtami Importance)

कार्तिक माह की कालाष्टमी का विशेष फलदायी होती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष के आठवें दिन कालाष्टमी होती है जिसे काल भैरव जयंती भी कहते हैं। काल भैरव का स्वरूप विकराल एवं क्रोधी है। काल भैरव के एक हाथ में छड़ी होती हैं और उनका वाहन काला कुत्ता होता है इसलिए भैरव रूप में काले कुत्ते को भोजन करवाने का भी विशेष महत्व बताया जाता है। भैरव नाथ को मदिरा का प्रसाद प्रिय होता है, हालांकि उन्हें जलेबी, पुए और रोटला का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है। कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। काल भैरव की का शुभ मुहूर्त रात्रि 12 बजे से सुबह 3 बजे तक होता है। इनकी पूजा मात्र से किसी भी टोने-टोटके का असर नहीं होता है। किसी मरीज में वास करने वाली बुरी आत्मा या नकारात्मक ऊर्जा से भी छुटकारा मिलता है। शनिवार या मंगलवार को काल भैरव की पूजा से बुरी शक्तियां दूर भागती हैं।


काल भैरव मंत्र (Kalbhairava Mantra) / कालाष्टमी मंत्र (Kalashtami Mantra)

1.ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः का जाप करें।

2.ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट।

3.ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।

4.ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।

5.ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्‍।

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