Karwa Chauth 2019 Date : करवा चौथ कब है, शुभ मुहूर्त, महत्व, करवा चौथ व्रत विधि, करवा चौथ कथा और चौथ माता की आरती

Karwa Chauth 2019 Date : करवा चौथ कब है, शुभ मुहूर्त, महत्व, करवा चौथ व्रत विधि, करवा चौथ कथा और चौथ माता की आरती
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Karwa Chauth 2019 करवा चौथ 2019 में 17 अक्टूबर को है, करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat) रखने से पहले करवा चौथ व्रत का महत्व (Karwa Chauth Importance), करवा चौथ व्रत विधि (Karwa Chauth Vrat Vidhi), करवा चौथ की पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi), करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth Katha), चौथ माता की कहानी (Chauth Mata Ki Kahani) और चौथ माता की आरती (Chauth Mata Ki Aarti) के बारे में जान लेना चाहिए। करवा चौथ का व्रत सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं और चाँद को देखकर व्रत खोलती हैं, आइये जातने हैं करवा चौथ व्रत से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।

Karwa Chauth 2019 करवा चौथ 2019 का शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2019 Shubh Muhurat), करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth Ka Mahatva), करवा चौथ की पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi), करवा चौथ कथा (Karwa Chauth Katha) और चौथ माता की आरती (Chauth Mata Aarti) को जानना बेहद आवश्यक है। करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। कुछ स्त्रियां इस व्रत को निर्जल भी रखती हैं। करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं और शाम के समय में चंद्रमा के दर्शन करके और चंद्र देव की पूजा करने के बाद व्रत खोलती हैं। उत्तर भारत में करवा चौथ (Karwa Chauth) के व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat) करने से न केवल पति की उम्र लंबी होती है। बल्कि वैवाहिक जीवन भी सुखी रहता है तो आइए जानते है करवा चौथ व्रत की सम्पूर्ण विधि...


करवा चौथ 2019 तिथि (Karwa Chauth 2019 Date Time)

करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन इस बार 17 अक्तूबर 2019 को रखा जाएगा

करवा चौथ 2019 शुभ मुहू्र्त (Karwa Chauth 2019 Subh Muhurat)

करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त 2019 में इस बार शाम 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा

करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगा (इसी दौरान चांद के दर्शन कर चांद को अर्घ्य दिया जात है)

करवा चौथ की प्रारंभी तिथि चतुर्थी तिथि आरंभ होती 06:48 (17 अक्तूबर) को

चतुर्थी तिथि समाप्त- 07:28 (18 अक्तूबर)


करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth Ka Mahatva)

करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर अपने पति की लंबी उम्र के व्रत रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के व्रत से न केवल पति की उम्र लंबी होती है। बल्कि इस व्रत से वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है। इस त्योहार को पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। विशेषकर उत्तर भारत के जाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में तो इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। करवाचौथ के दिन कथा सुनने को विशेष महत्व दिया जाता है। इसके बाद चांद का देखकर पूजा की जाती है और व्रत खोला जाता है।

इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है और करवाचौथ व्रत की कथा सुनी जाती है। शास्त्रों के अनुसार विवाह के 12 वर्ष से 16 वर्ष तक इस व्रत को किया जाता है लेकिन कुछ महिलाएं इस व्रत को जीवनभर रखती हैं। इस व्रत को पति की लंबी उम्र के लिए विशेष माना जाता है। इस व्रत से अधिक श्रेष्ठ कोई उपवास नही है।


करवा चौथ की पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)

1.सबसे पहले एक साफ चौकी लें उस पर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें और लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।

2. इसके बाद चौकी पर चौथ माता की तस्वीर या चित्र स्थापित करें।

3. चित्र स्थापित करने के बाद उस चौकी पर चावलों को फैलाएं और उस पर करवा स्थापित करें।

4.इसके बाद करवे में जल भरें और उसे उसे ढक्कन से ढक दें। करवे के ढक्कन के ऊपर चीनी रखें।

5. इसके बाद करवे पर घी का दीपक जलाएं। दीपक रखने के बाद चौथ माता और अन्य सभी लोगों का तिलक करें।

6.चौथ माता के तिलक के बाद करवे का भी तिलक करें। करवे पर तिलक लगाकर अक्षत भी लगाएं।

7.इसके बाद एक लोटा जल भरकर और रखें। फिर चौथ माता को फूल और माला अर्पित करें।

8.इसके बाद चौथ माता को पांच फल अर्पित करें।

9. इसके बाद मां को मिठाई अर्पित करें। मिठाई के बाद सास की थाली को मां के सामने रखें।

10. चौथ माता को सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद चौथ माता की कहानी पढ़ें या सुने और मां को पूड़ी और पुए का भोग लगाएं।

11. चौथ माता की कथा पढ़ने के बाद धूप व दीप से गणेश जी की और मां लक्ष्मी की आरती करें।

12. चौथ माता की पूजा के बाद शाम के समय चंद्रमा निकलने पर चंद्रमा की विधिवत पूजा करें।

13. उसके बाद जो करवा पूजा में रखा था उससे चंद्रमा को अर्घ्य दें।

14. इसके बाद पति के पैर छुकर उनका आर्शीवाद लें और सभी बड़ों के पैर भी अवश्य छुएं।

15. अंत में सास की थाली सास के पैर छुकर आदर सहित उन्हें यह थाली दें।


करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth Katha)

करवा चौथ की पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात बेटे और एक बेटी थी। एक बार करवा चौथ के दिन घर में साहूकार की पत्नी, बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ के दिन घर में पकवान बनें, सभी खाने के लिए बैठे। उस समय चांद नहीं निकला था। जिसकी वजह से घर के सिर्फ पुरुष खाना खाने के लिए बैठ गए। रात के समय में सभी भाई खाना खाने बैठ गए। उन्होंने अपनी बहन को भी खाने के लिए बुलाया लेकिन उनकी बहन ने खाने से इंनकार कर दिया और कहा चांद निकलने पर पूजा करके ही वह खाना खाएगी।

बहन की बात सुनकर सभी भाई मिलकर दूसरे नगर गए और वहां जाकर आग लगा दी और उस आग को छलनी में दिखाकर कहा कि बहन आ जाओ चांद निकल आया है। आकर पूजा करके अपना व्रत खोल लो। लेकिन सभी भाभियां ये जानती थी की वह सभी भाई बहन के साथ धोखा कर रहे हैं। उन्होंने अपनी नंद को ये बात बताई भी लेकिन उसने अपनी भाभियों की बात पर विश्वास नहीं किया।

इस तरह उसका व्रत टुट गया और भगवान गणेश जी उस पर क्रोधित हो गए। इसके बाद अगली करवा चौथ पर उसका पति बीमार पड़ गया। उसने अपने पति का बहुत इलाज कराया लेकिन वह ठीक नहीं हो पाया। जिसके बाद उसे यह अहसास हो गया की यह सब करवा चौथ का व्रत टुटने हुआ है। इसके बाद उसने भगवान गणेश की विधिवत पूजा और गणेश चतुर्थी का व्रत रखा।जिससे भगवान उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति का स्वस्थ जीवन दान दे दिया।

इस तरह उसका व्रत टूट गया और भगवान गणेश अप्रसन्न हो गए। करवा चौथ के कुछ दिनों बाद उसका पति बहुत बीमार हो गया और घर का सब कुछ उसके इलाज में लग गया।जब उसे अहसास हुआ कि ये सब करवा चौथ के व्रत टूटने से हुआ। तो पश्चाताप के लिए उसने भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान पूजा की और चतुर्थी का व्रत करना शुरू कर दिया। भगवान गणेश इसकी भक्ति को देख प्रसन्न हुए और इसके पति को स्वस्थ्य जीवन दान दिया।


चौथ माता की आरती (Chauth Mata Ki Aarti)

ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया ।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।। ऊँ जय करवा मइया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।

यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।। ऊँ जय करवा मइया।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।

दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती ।। ऊँ जय करवा मइया।

होए सुहागिन नारी, सुख सम्पत्ति पावे।

गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।। ऊँ जय करवा मइया।

करवा मइया की आरती, व्रत कर जो गावे।

व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।। ऊँ जय करवा मइया।


कामकाजी महिलाएं ऐसे रखें करवा चौथ का व्रत (Kaamkaji Mahilaye Aise Rakhe Karwa Chauth Ka Vrat)

1.करवा चौथ के दिन कामकाजी महिलाओं को करवा चौथ की पूजा का सभी समान एक या दो दिन पहले ही खरीद लेना चाहिए। इसमें अपनी सास को देने वाला समान भी सम्मिलित करें।

2. करवा चौथ के दिन मेहंदी लगाने को विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए अगर आप ऑफिस में काम करती हैं तो आपको करवा चौथ के दो दिन पहले ही मेहंदी लगवा लेनी चाहिए। जिससे आपको करवा चौथ के दिन किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।

3.अगर आपको करवा चौथ के दिन अपने काम पर जाना है तो आप अपनी सरगी को करवा चौथ के एक दिन पहले कि रात्रि को ही बना कर रख लें। जिससे सुबह उठकर सिर्फ उसे गर्म करके खाया जा सके। ऐसा करने से आपको अत्याधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और न हीं आप अपने काम पर जाने के लिए लेट होंगी।

4. सरगी में तला , चिकना और ज्यादा मीठा न खाएं। क्योंकि इन चीजों का सेवन करने से अत्याधिक प्यास लगती है और करवा चौथ का व्रत करने के बाद आप पानी नहीं पी सकती। इसलिए इन चीजों के सेवन से बचें।

5. करवा चौथ के दिन सू्र्योदय से पहले अपने पति से एक नारियल तुड़वाकर उसका जल अवश्य पी लें। ऐसा करने से आपको सारा दिन पानी की कमीं महसूस नही होगी।

6. करवा चौथ के दिन आपको जो भी कपड़े, आभूषण आदि पहनने हो उसे एक दिन पहले ही निकाल कर रख लें। जिससे करवा चौथ के दिन आपको किसी प्रकार की जल्दबाजी न हो और आप आसानी से पूजा के समय तक तैयार हो सकें।

7. करवा चौथ के दिन श्रृंगार को अधिक महत्व दिया जाता है। इसलिए करवा चौथ के दिन अपने ऑफिस से थोड़ा जल्दी आकर अपना पूरा श्रृंगार करके ही पूजा करें।

8. करवा चौथ के दिन ऑफिस जाते समय पूजा के सामान को एक बार अच्छी तरह से चेक कर लें। जिससे आपको रात में पूजा के समय किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।

9. करवा चौथ के दिन अगर आप घर आकर दुबारा स्नान नहीं कर सकती तो अच्छी तरह से हाथ मुंह धोकर ही साफ वस्त्र धारण करके करवा चौथ की पूजा कर लें।

10.अगर आपके घर में कोई ऐसा व्यक्ति है जो शाम के समय करवा चौथ पूजन के लिए खाना बना सके तो अच्छा है। अगर आपके घर में कोई भी ऐसा व्यक्ति नही है तो आप करवा चौथ के दिन दो पूड़ी और खीर बनाकर ही करवा चौथ की पूजा कर लें। इसके बाद आप चाहें तो बाहर जाकर खा सकते हैं।

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