भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें, जानिए...

भारत में नहीं पूरे विश्वभर में श्री कृष्णलीला प्रचलित है। श्री भगवान हरि के अवतार कृष्ण के बारे में जो लोग जितना जानते हैं उनके मन और उनके बारे में जानने की ज्यादा इच्छा जागती है। आप में से बहुत सारे लोग भगवान कृष्ण की कथा जानते होंगे। आज हम आपको बताएंगे भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े कुछ रहस्य जिनके बारे में आपको नहीं पता होगा।
भगवान श्री कृष्ण का रंग
पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण जी के शरीर का रंग काला और ज्यादातर लोग श्यामवर्ण मानते हैं। श्यामवर्ण का अर्थ गेहुआ रंग। सुर्यास्त के बाद जब दिन अस्त होने वाला होता है, तो आसमान का रंग काले -नीले जैसा हो जाता है। जैनश्रुति के अनुसार भगवान कृष्ण का रंग ना तो काला और न हीं नीला था। उनका रंग काला मिश्रित नीला भी नहीं था। असल में कृष्ण जी की त्वचा का रंग मेघश्याम यानि एक बादल के समान था। कृष्ण का रंग काला नीला और सफेद का मिश्रित रंग था।
भगवान श्री कृष्ण की गंध
माना जाता है कि भगवान कृष्ण जी के शरीर से एक मादक गंध निकली रहती थी। इस गंद से श्री कृष्ण गुप्त अभियानों में छिपाने का उपक्रम करते थे। चौकाने वाली बात यह है कि यह गंद द्रोपती में थी। द्रोपती के शरीर से भी सुगंध निकाली रहती थी। लोगों का मानना है कि इस खुबी के कारण ही कृष्ण ने द्रोपती को अपनी बहन बनाया था। भगवान कृष्ण के शरीर से निकलने वाली गंध गोपीका चंदन की थी और कुछ-कुछ रात रानी की सुगंध से मिलती- झुलती थी। कुछ लोग उसे अष्ठगंध में कहते थे।
भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु
भगवान कृष्ण का बचपन गोकुल, वृंदावन बरसाना औक नंदगांव जैसी जगहों पर बीता था। कंस का वध करने के बाद उन्होनें अपने माता पिता को कंस के कारागार के मुक्त कराया और जनता के अनुरोध से मथुरा का राजभार संभाला था। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्वारका में अपना निवास बनाया था। उन्होनें महाभारत युद्ध में भाग लिया। महाभारत युद्ध के बाद भगवान कृष्ण कौरवों की माता गांधारी के पास गए तो गांधारी ने अपने सभी पुत्रों की मृत्यु से क्रोधित होकर भगवान श्री कृष्ण जी को अपने पुत्रों की मृत्यु का कारण बताते हुए श्राप दे दिया। जिसके कारण भगवान कृष्ण की मृत्यु हुई थी। श्राप के प्रभाव से भगवान कृष्ण वन में पीपल के पेड के नीचे सो रहे थे, तभी जरा नामक बहेलिया ने भूलवश भगवान कृष्ण को हिरण समझकर विश युक्त बाण चला दिया। बाण भागवान कृष्ण के पैर के तलवे में लगा और उनकी मृत्यु हो गई। भगवान कृष्ण ने इसी को बहाना बनाकर अपना शरीर त्याग दिया।
भगवान श्री कृष्ण मार्शल आर्ट के जन्मदाता
मार्शल आर्ट के जन्मदाता भागवान कृष्ण थे। दरसल मार्शल आर्ट का आविष्कार उन्होनें किया था, जिसका नाम है कलरीपयट्टू। इस विधि से भगवान श्री कृष्ण ने चारू और अन्य कई दैत्यों का वध किया था। उनकी उम्र 16 साल की थी जब मथुरा के राजा का शरीर अपनी हथेली के प्रहार के काट दिया था। जनश्रितु के अनुसार भगवान कृष्ण ने मार्शल आर्ट का आविष्कार भारत क्षेत्र के वनों में किया था। हालांकि इन विधि को अगस्त मुनि ने भी प्रचारित किया था। भयंकर सेना और प्रलयकारी सेना बनाने के लिए श्री कृष्ण ने मार्शल आर्ट नीव रखी थी। जो बाद में बौद्ध धर्म से होते हुए मार्शल आर्ट के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह विद्या चीन, जापान और बौद्ध क्षेत्रों में खुब फली फूली। आज भी ये विद्या केरल और कर्नाटक में प्रचलित है।
भगवान श्री कृष्ण की पत्नियां
भगवान श्री कृष्ण के बारे में कहा जाता है कि उनकी 16 हजार 100 पत्नियां थी, लेकिन ये बात गलत है। श्री कृष्ण की केवल आठ पत्नियां थी। भगवान कृष्ण की जिन सोलह हजार पत्नियों के बारें में कहा जाता है दरसल वे नरकासुर के यहां बंदक बनाई हुई थी। जिनको भगवान श्री कृष्ण ने मुक्त करवाया था, वो सभी महिलाएं किसी की मां, किसी पत्नि और किसी की बहन थी, जिनको नरकासुर अपरहण कर अपने यहां बंदी बनाकर रख चुका था। सभी महिलाओं की इज्जत बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नि का दर्जा दिया था।Facts About Lord Krishna
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