Nag Panchami 2019 : नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए ऐसे करें पूजा

Nag panchami 2019 नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अगर आप विधिवत नाग देवता की पूजा करते हैं तो आपको कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाएगी। नागपंचमी (Nag panchami) पर नाग देवता की पूजा का विधान हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा भी की जाती है। नागपंचमी के दिन सापों को भी दूध पिलाया जाता है। माना जाता है कि सावन के महिने में सांप धरती पर अधिक निकलते हैं । ये किसी का अहित न करें । इसके लिए नाग देवता (Nag Devta) की पूजी की जाती है और सांपों को दूध पिलाया जाता है। नागपंचमी का दिन कालसर्प दोष से मुक्ति ( Kaal Sarp Dosh Se Mukti) के लिए भी विशेष माना जाता है। जिसके लिए विशेष पूजा भी की जाती है तो आइए जानते हैं नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति पूजा के बारे में...
नागपंचमी 2019 तिथि (Nag panchami 2019 Tithi)
5 अगस्त 2019
नागपंचमी 2019 शुभ मुहूर्त (Nag panchami 2019 Subh Muhurat)
पंचमी तिथि प्रारंभ- शाम 6 बजकर 48 मिनट (4 August 2019)
पंचमी तिथि अंत- दोपहर 3 बजकर 54 मिनट ( 5 August 2019)
कैसे बनता है कालसर्प दोष ? (Kaise Banta Hai Kaal Sarp Dosh Dosh)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में जब सारे ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं या सभी नव ग्रह केतु और राहु के बीच में आ जाते हैं। उस समय कालसर्प दोष का निर्माण होता है। इस दोष में लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिन लोगों की कुंडली में इस प्रकार का दोष बनता है। उन्हें न केवल अपनी नौकरी में बल्कि वैवाहिक जीवन, संतान कष्ट, मान- सम्मान आदि सभी चीजों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस दोष का निवारण करना आवश्यक है।
नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति पूजा (Nag panchami Per Kaal Sarp Dosh Puja)
गरूण पुराण के अनुसार नागपंचमी के दिन व्रत रखने से कालसर्प दोष से मुक्ति से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष बना है। उन्हें तो इस दिन विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। इस दिन महिलाएं अपने घर के बाहर मिट्टी या आंटे से सांप की आकृति बनाकर उन्हें रंगों के द्वारा सजाया जाता है। इसके बाद नाग देवता की विधिवत पूजा की जाती है। नाग देवता को फूल, खीर, दूध आदि का भोग लगाया जाता है। नाग देवता को पंचमी तिथि का स्वामी माना जाता है।सभी पूजा विधि संपन्न करने के बाद सर्प को दूध पिलाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। क्योंकि भगवान शिव का सीधा संबंध नाग देवता से हैं। अंत में भुने हुये चने और जौ को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
नागपंचमी की पौराणिक कथा (Nag panchami Ki Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार यमुना नदी में कालिया नाग अपने परिवार के साथ रहा करता था। कालिया नाग और उसके परिवार के विष से पूरी यमुना नदी विषैली हो गई थी। लोग उस पानी को पीने के कारण बिमार हो रहे थे। एक दिन भगवान कृष्ण और उनके कुछ दोस्त यमुना नदी के किनारे खेल रहे थे।
अचानक भगवान कृष्ण की गेंद यमुना नदी में गिर गई। जिसे लेने के लिए भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी में कूद पड़े। जब कालिया नाग ने भगवान कृष्ण को दिखा तो उसने भगवान कृष्ण पर हमला कर दिया । भगवान श्री कृष्ण का कालिया नाग से भंयकर युद्ध हुआ।
भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। कालिया नाग को पराजित करने के बाद वह कालिया नाग के ऊपर चढ़ गए । कालिया नाग भगवान श्री कृष्ण का भार नहीं संभाल पा रहा था। अंत में कालिया नाग ने भगवान श्री कृष्ण से श्रमा याचना की और भगवान ने उसे श्रमा कर दिया।
भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को यमुना नदी छोड़ने का आदेश दिया साथ ही उसे वरदान दिया कि सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा और नाग देवता की पूजा की जाएगी।
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