Narak Chaturdashi 2019 : जानें कब है नरक चतुर्दशी 2019 में, नियम, पूजा विधि और नरक चतुदर्शी की कथा

Narak Chaturdashi 2019 : जानें कब है नरक चतुर्दशी 2019 में, नियम, पूजा विधि और नरक चतुदर्शी की कथा
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Narak Chaturdashi 2019 : दीपावली (Dipawali) के ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का त्योहार(Narak Chaturdash Festival) मनाया जाता है। इस त्योहार को देश के अलग अलग हिस्से में भिन्न-भिन्न नामों से जानते हैं जैसे नरक चौदस (Narak Chaudas) , रूप चौदस (Roop Chaudas), और रूप (Roop Chaturdashi) चतुर्दशी आदि। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है।

Narak Chaturdashi 2019 : नरक चतुर्दशी 2019 में कब है (Narak Chaturdashi 2019 Mai Kab Hai) , क्या है नरक चतुर्दशी के नियम (Kya Hai Narak Chaturdashi, क्या है नरक चतुर्दशी की पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi) और क्या है नरक चतुर्दशी से जुड़ी कथांए (Narak Chaturdashi Ki Katha) । अगर आप इसके बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे नरक चतुर्दशी का त्योहार (Narak Chaturdashi Festival) दीपावली (Dipawali) के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस त्योहार को देश के अलग अलग हिस्से में भिन्न-भिन्न नामों से जानते हैं जैसे नरक चौदस, रूप चौदस, और रूप चतुर्दशी आदि। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष (Kartik krishna paksha) में पड़ने वाले इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज (Yamraj) की पूजा की जाती है।इसके ठीक एक दिन बाद देशभर में दीपावली मनायी जाती है इसलिए इसे लोग छोटी दीपावली (Choti Dipawali) भी कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है। नरक चतुर्दशी की पूजा (Narak Chaturdashi Puja) करने से स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। इस दिन लोग सुबह लोग तिल्ली का तेल शरीर पर मलकर नहाते हैं। माना जाता है ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिल जाती है। अगर आप नरक चतुदर्शी से जुड़ी इन सभी बातों के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी 2019 की तिथि (Narak Chaturdashi 2019 Ki Tithi) ,नरक चतुर्दशी के नियम,नरक चतुर्दशी की पूजा विधि (Narak Chaturdashi Pujan Vidhi) ,नरक चतुर्दशी से जुड़ी कथांओं के बारे में....


नरक चतुर्दशी 2019 की तिथि (Narak Chaturdashi 2019 Ki Tithi)

26 अक्टूबर 2019

नरक चतुर्दशी के नियम (Narak Chaturdashi Ka Niyam)

सूर्य के उदय होने से करीब 1 घंटे 36 मिनट पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। लेकिन कुछ लोग सूर्य उदय के बाद चतुर्दशी मनाने के विधान को ज्यादा सही मानते हैं। साथ ही यदि दोनों दिन चतुर्दशी तिथि अरुणोदय अथवा चंद्र उदय का स्पर्श करती है तो नरक चतुर्दशी पहले दिन ही मनाने का विधान है। नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर तिल्ली के तेल का मालिश करना शुभ माना जाता है।

नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)

1. हर पर्व की तरह इसमें भी सबसे पहले आपको सुबह उठकर स्नान करना चाहिए, उसके बाद शरीर पर तेल मालिश करनी चाहिए फिर किसी औषधीय पौधे को सिर के ऊपर से चारों ओर तीन बार घुमाना चाहिए।

2.अष्टमी के दिन रखे एक लोटे जल को इस दिन बाकी के पानी में मिलाकर नहाने की परपंरा है। ऐसा करने से हमें भय से मुक्ति मिल जाती है।

3. स्नान के वक्त दक्षिण दिशा में हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से सालभर का पाप धुल जाता है।

4.इस त्योहार को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है इसलिए इसदिन श्रीकृष्ण की भी पूजा करनी चाहिए।

5.इस त्योहार की अर्धरात्रि में घर के बेकार पड़े सामान फेंक देना चाहिए। पुराने सामान फेंक देने से दरिद्रता चली जाती है।


नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Narak Chaturdashi Ki Katha)

1. राक्षस नरकासुर का वध (Narkasur Vadha Katha)

एक समय की बात है नरकासुर नामक राक्षस ने देवता और साधु संतों को परेशान किया हुआ था। राक्षस नरकासुर ने एक दिन देवताओं और संतों की 16 हज़ार स्त्रियों को बंधक बना लिया। तब सभी देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण के पास गए और नरकासुर के आतंक से मुक्ति का निवेदन किया तो भगवान कृष्ण ने नरकासुर को स्त्री के हाथों से मरने का श्राप दिया। तब भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को राक्षस नरकासुर का वध कर दिया और 16 हजार स्त्रियों उसकी कैद से आजाद कराया। तब से उन सभी को 16 हजार पट रानियां के नाम से जाने जाना लगा। और कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से पूजा जाने लगा और इस दिन दीप दान का भी महत्व है। क्योंकि नरक चतुर्दशी के अगले दिन दिवाली मनाई जाती है और इससे एक दिन पहले धनतेरस। इन तीनों पर्व की कहनी समुद्र मंथन से भी जुड़ी है।

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