Narak Chaturdashi 2019 Date And Time : नरक चतुर्दशी कब है 2019 में, जानें नरक चतुर्दशी की कथा

Narak Chaturdashi 2019 Date And Time : नरक चतुर्दशी 2019 में कब है (Narak Chaturdashi 2019 Mai kab Hai) , क्या है नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi ki Katha in Hindi) अगर आप इसके बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। नरक चतुदर्शी का पर्व साल 2019 (Narak Chaturdashi Festival 2019) में 26 अक्टूबर 2019 (26 October 2019) के दिन पड़ रही है। नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) को देश के अलग अलग हिस्से में भिन्न-भिन्न नामों से जानते हैं जैसे नरक चौदस, रूप चौदस, और रूप चतुर्दशी आदि। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष (Kartik krishna paksha) में पड़ने वाले इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज (Yamraj) की पूजा की जाती है।इसके ठीक एक दिन बाद देशभर में दीपावली (Dipawali) मनायी जाती है इसलिए इसे लोग छोटी दीपावली (Choti Dipawali) भी कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन यमराज की पूजा (Yamraj Ki Puja) करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है। नरक चतुर्दशी की पूजा (Narak Chaturdashi pujan) जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही महत्वपूर्ण है नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi Katha) । अगर आप नरक चतुर्दशी की इन सभी बातों के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी की कथा के बारे में....
नरक चतुर्दशी की कथा ( Narak Chaturdashi katha)
पौरणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक रन्तिदेव नामक राजा था। वह हमेशा धर्म – कर्म के काम में लगा रहता था। जब उनका अंतिम समय आया तब उन्हें लेने के लिए यमराज के दूत आये और उन्होंने कहा कि राजन अब आपका नरक में जाने का समय आ गया हैं।
नरक में जाने की बात सुनकर राजा हैरान रह गये और उन्होंने यमदूतों से पूछा की मैंने तो कभी कोई अधर्म या पाप नहीं किया। मैंने हमेशा अपना जीवन अच्छे कार्यों को करने में व्यतीत किया। तो आप मुझे नरक में क्यों ले जा रहे हो। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए
उन्होंने बताया कि एक बार राजन तुम्हारे महल के द्वारा एक ब्राहमण आया था जो भूखा ही तुम्हारे द्वारा से लौट गया। इस कारण ही तुन्हें नरक में जाना पड रहा हैं। यह सब सुनकर राजा ने यमराज से अपनी गलती को सुधारने के लिए एक वर्ष का अतिरिक्त समय देने की प्रार्थना की।
यमराज ने राजा के द्वारा किये गये नम्र निवेदन को स्वीकार कर लिया और उन्हें एक वर्ष का समय दे दिया। यमदूतों से मुक्ति पाने के बाद राजा ऋषियों के पास गए और उन्हें पूर्ण वृतांत विस्तार से सुनाया। यह सब सुनकर ऋषियों ने राजा को एक उपाय बताया।
जिसके अनुसार ही उसने कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखा और ब्राहमणों को भोजन कराया जिसके बाद उसे नरक जाने से मुक्ति मिल गई। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।
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