Narka Chaturdashi 2019 : नरक चतुर्दशी की पूजा इन 6 देवताओं की पूजा के बिना रहती है अधूरी

Narka Chaturdashi 2019 : नरक चतुर्दशी की पूजा इन 6 देवताओं की पूजा के बिना रहती है अधूरी
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नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी, काली चौदस आदि नामों से भी जाना जाता है, इस दिन छह देवताओं की पूजा की जाती है, तो आइए जानते हैं कौन से है वो छह देवता जिनकी नरक चतुर्दशी के दिन पूजा की जाती है।

Narka Chaturdashi 2019 नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यमराज (Yamraaj) की पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के अलावा अन्य पांच देवताओं की भी पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी इस साल 2019 में 26 अक्टूबर 2019 के दिन मनाई जाएगी। तो आइए जानते हैं कि नरक चतुर्दशी (Narka Chaturdashi) के दिन किन छह देवताओं की पूजा की जाती है।


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नरक चतुर्दशी भगवान श्री कृष्ण की पूजा (Narka Chaturdashi Bhagwan Shri Krishna Ki Puja)

इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था और 16000 राजकुमारियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की उनकी पत्नी सत्यभामा के साथ पूजा की जाती है। जब उन सभी राजकुमारियों ने भगवान श्री कृष्ण से अपने जीवन का अंत करने के लिए कहा तो भगवान श्री कृष्ण ने उन सभी राजकुमारियों से विवाह करके उन्हें समाज में मान दिया था


नरक चतुर्दशी भगवान शिव की पूजा (Narka Chaturdashi Bhagwan Shiv Ki Puja)

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की उनके पूरे परिवार के साथ पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन को शिव चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन शिवलिंग का प्राकट्य भी हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और यमराज का भी भय नहीं रहता। इस क्योंकि भगवान शिव को कालों का भी काल माना गया है। इसलिए नरक चतुर्दशी भगवान शिव की पूजा भी की जाती है।

नरक चतुर्दशी यमदेव की पूजा (Narka Chaturdashi Yamdev Ki Puja)

नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा करने का विधान है। इस दिन दक्षिण दिशा में यमदीप जलाया जाता है। जिससे नर्क के दोषों से मुक्ति पाई जा सके। इस दिन यमदेव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता। इतना ही नहीं इस दिन तिल के तेल की मालिश करने का भी विधान है। माना जाता है कि इस दिन तिल के तेल से मालिश करने से सभी प्रकार के रोग समाप्त होते हैं। यमराज की दिशा दक्षिण की और मानी जाती है। इसलिए इस दिन दक्षिण दिशा में तेल का दीपक जलाया जाता है।


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नरक चतुर्दशी वामन देव पूजा (Narka Chaturdashi Vaman Dev ki Puja)

नरक चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान वामन ने राजा बलि को पाताल का राजा बनाया था और उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान भी दिया था। भगवान वामन ने राजा बलि से कहा था कि तेरे राज्य में जो भी यम को दीपदान करेगा तो उसके पितरों को कभी भी नर्क नहीं जाना पड़ेगा और न हीं उसे नर्क की यातनाओं को भोगना पड़ेगा। इसी वजह से इस दिन वामन देव की पूजा भी की जाती है। वामन देव की पूजा करने से इस दिन भगवान विष्णु का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है।


नरक चतुर्दशी हनुमान जी की पूजा (Narka Chaturdashi Hanuman Ji Ki Puja)

नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की पूजा भी की जाती है। कुछ विद्वानों के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन रामभक्त हनुमान का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन को हनुमान जंयती के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा कुछ विद्वानों के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी प्रकार की प्रकार के कष्ट समाप्त होते हैं और जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है।


नरक चतुर्दशी मां काली की पूजा (Narka Chaturdashi Maa Kali Ki Puja)

नरक चतुर्दशी के दिन मां काली की भी पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। काली चौदस को मुख्य रूप से बंगाल में मनाया जाता है। इस दिन मां काली की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन को मां काली के जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां काली की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है। इसके अलावा इस दिन मां काली की पूजा से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन मां काली की पूजा की जाती है।

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