Navratri 2019 : नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें महत्व, पूजा विधि, माता सिद्धिदात्री की कथा, मंत्र और आरती

Navratri 2019 नवरात्रि के दिन मां दूर्गा (Maa Durga) के सिद्धादात्री रूप की पूजा (Siddhidatri Puja) की जाती है। नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन मां के अंतिम स्वरूप की पूजा करके उन्हें विदाई दे दी जाती है। इस दिन छोटी- छोटी कन्याओं को मां का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें उपहार आदि दिए जाते हैं। इसके बाद उनका आर्शीवाद प्राप्त किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन ऐसा करने से मां की कृपा प्राप्त होती है तो आइए जानते हैं माता सिद्धिदात्री की पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व, मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, देवी सिद्धिदात्री की कथा,सिद्धिदात्री का मंत्र और माता सिद्धिदात्री की आरती...
नवमी शारदीय नवरात्र 2019 तिथि (Navami Shardiya Navratri 2019 Date)
7 अक्टूबर 2019
नौवां शारदीय नवरात्र 2019 शुभ मुहूर्त (Ninth Shardiya Navratri 2019 Subh Muhurat)
अमृत काल मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 24 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक (7 अक्टूबर 2019)
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक (7 अक्टूबर 2019)
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप (Maa Siddhidatri Ka Swaroop)
नवारात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है इनका वाहन सिंह हैं। देवी सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर भी विराजमान है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण से ही भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर कहलाए। दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इसलिए मां का यह रूप अत्यंत ही मोहक है। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व (Maa Siddhidatri Puja Ka Mahatva)
मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री की उपासना से उनके भक्त को महत्वाकांक्षाए, असंतोष, आलस्य,ईष्या परदोषदर्शन, प्रतिशोध आदि सभी प्रकार की दुर्बलताओं से छुटकारा मिलता है। देवी सिद्धिदात्री की उपासना से अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी सभी आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। नवरात्र में मां के इस रूप की पूजा करने से सभी प्रकार के कोई भी काम आसानी से बन जाते हैं।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि (Maa Siddhidatri Ki Puja Vidhi )
1. नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। इस दिन मां का पूजन करके उन्हें विदाई दी जाती है।
2.सबसे पहले साधक को शुद्ध होकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद एक चौकी पर मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3.इसके बाद मां को फल, फूल, माला, नैवेध आदि अर्पित करने चाहिए और मां कि विधिवत पूजा करनी चाहिए। अंत मे मां कि आरती उतारें
4. इस दिन कन्या पूजन को विशेष महत्व दिया जाता है। छोटी- छोटी नौ कन्याओं को घर बुलाकर उनका भी पूजन करें और उन्हें उपहार अवश्य दें।
5. अंत में पैर छुकर उनका आर्शीवाद लें । ब्राह्मण और गाय को भी इस दिन भोजन अवश्य कराएं।
मां सिद्धिदात्री की कथा (Maa Sidhdatri Ki Katha)
नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां कि पूजा करने से से मनुष्य को कर्मों से लडऩे की शक्ति प्राप्त होती है। देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से मनुष्य के जीवन की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। मां कमल के आसन पर विराजमान है उनके पास हाथों में कमल, शंख गदा, सुदर्शन चक्र है जो जीवन में सही मार्ग की और अग्रसर करते हैं। नवमी के दिन मां की आराधना से यश, बल व धन की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा करने से अंतरात्मा को दिव्य पवित्रता प्राप्त होती है और जीवन में अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।
भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की ही उपासना की थी। जिसके बाद उनका आधा शरीर देवी का हो गया था। आधा शरीर नर और आधा शरीर नारी का होने के कारण ही इन्हें अर्धनारीश्वर भी कहा गया। मां सिद्धिदात्री को सिंह पर सवारी करने वाली, चतुर्भुज तथा सर्वदा प्रसन्न रहने वाली है। मां की उपासना करने से भक्तों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष मिलता है। देवी ने सफेद रंग के वस्त्र धारण कर रखे हैं और वह अपने भक्तों को ज्ञान देती हैं। मां की हमेशा उपासना करने से अमृत पद की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री के मंत्र (Maa Siddhidatri Ke Mantra)
1.सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
2.या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां सिद्धिदात्री की आरती (Maa Siddhidatri Ki Aarti)
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता ।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है ।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।
तू सब काज उसके करती है पूरे ।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली ।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।
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