Navratri 2019 : सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानें महत्व, पूजा विधि, माता कालरात्रि की कथा, मंत्र और आरती

Navratri 2019 नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत ही भयानक है। लेकिन मां का हृदय अत्यंत ही कोमल है। मां अपने भक्तों को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति दिलाती है। मां के गले में नरमुंडों की माला है। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) इस साल 2019 में 29 सितंबर 2019 (29 September 2019) से प्रारंभ हो रही है और यह 7 अक्टूबर 2019 के दिन समाप्त होगी। मां दुर्गा को कालरात्रि का रूप शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज को मारने के लिए लेना पड़ा था तो आइए जानते हैं माता कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व, मां कालरात्रि की पूजा विधि, देवी कालरात्रि की कथा, कालरात्रि का मंत्र और माता कालरात्रि की आरती
सातवां शारदीय नवरात्र 2019 तिथि (Seventh Shardiya Navratri 2019 Date)
5 अक्टूबर 2019
सातवां शारदीय नवरात्र 2019 शुभ मुहूर्त (Sixth Shardiya Navratri 2019 Subh Muhurat)
अमृत काल मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 20 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट तक (5 अक्टूबर 2019)
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक (5 अक्टूबर 2019)
मां कालरात्रि का स्वरूप ( Maa Kalraatri Ka Swaroop)
मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। जो कि पूरी तरह आकार में गोल है और इनका रंग काला है। मां के गले में नरमुंडों की माला है और इनकी सासों से अग्नि निकलती है। देवी कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और यह गदर्भ की सवारी करती हैं। उनके दहिने हाथ अपने भक्तों को आर्शीवाद देते हुए है और इसके नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। मां के बायीं तरफ के ऊपरी हाथ में लोहे का कांटा और इसके नीचे वाले हाथ में खड्ग है। मां की उपासना से सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। इसलिए मां की उपासना शुभकारी कहलायी गई है। मां कालरात्रि काल से भी रक्षा करती हैं। इसलिए इनके साधक को आकाल मृत्यु का भी भय नही होता।
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व (Maa Kalraatri ki Puja Ka Mahatva)
मां कालरात्रि का रूप अत्ंयत ही भयानक है। जो दुष्टों के लिए काल का काम करता है और उनके भक्तों के लिए शुभ फल प्रदान करता है। देवी कालरात्रि की पूजा करने से भूत प्रेत, राक्षस, ग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि सभी नष्ट हो जाते हैं। अगर किसी की कुंडली में सभी ग्रह खराब हो या फिर अशुभ फल दे रहे हों तो नवरात्र के सातंवें दिन उस व्यक्ति को मां कालरात्रि की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। क्योंकि सभी नौ ग्रह मां कालरात्रि के आधीन है। मां कालरात्रि के आर्शीवाद से उनके भक्तों की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है।
मां कालरात्रि की पूजा विधि ( Maa Kalraatri Ki Puja Vidhi)
1.मां कालरात्रि की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में ही की जाती है। इसके अलावा तांत्रिक मां की पूजा आधी रात मं करते हैं। इसलिए सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
2.मां कालरात्रि के पूजन के लिए विशेष कोई विधान नहीं है। इस दिन आप एक चौकी पर मां कालरात्रि का चित्र स्थापित करें।
3.इसके बाद मां कालरात्रि को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाएं। माला के रूप मे मां को नीबूओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनका पूजन करें।
4.इसके बाद मां की कथा सुने और धूप व दीप से इनकी आरती उतारें।
5. आरती उतारने के बाद मां को प्रसाद का भोग लगाएं और मां से जाने अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें।
मां कालरात्रि की कथा (Maa Kalraatri Ki Katha)
पौराणक कथा के अनुसार एक बार तीनों लोकों में शुम्भ निशुम्भ और रक्तबीज तीनों राक्षसों ने आतंक मचा रखा था। इससे परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास इस समस्या के समाधान के लिए पहुंचे। तब भगवान शिव ने मां आदिशक्ति से उन तीनों का संहार करके अपने भक्तों को रक्षा के लिए कहा। इसके बाद माता पार्वती ने उन दुष्टों के संहार के लिए मां दुर्गा का रूप धारण कर लिया। मां ने शुम्भ और निशुम्भ से युद्ध करके उनका अंत कर दिया। लेकिन जैसे ही मां ने रक्तबीज पर प्रहार किया उसके रक्त से अनेकों रक्तबीज उत्पन्न हो गए।
यह देखकर मां दुर्गा ने कालरात्रि का रूप धारण कर लिया। इसके बाद मां कालरात्रि ने रक्तबीज पर प्रहार करना शुरु कर दिया और उसके रक्त को अपने मुंह में भर लिया और रक्तबीज का गला काट दिया। मां का शरीर रात से भी ज्यादा काला है। देवी कालरात्रि के बाल बिखरे हुए हैं और मां के गले में नर मुंडों की माला विराजित है। मां के चार हाथ हैं जिनमें से एक हाथ में कटार और दूसरे में लोहे का कांटा है। देवी के तीन नेत्र हैं और इनकी सांस से अग्नि निकलती है। मां का वाहन गधा है।
मां कालरात्रि के मंत्र (Maa Kalraatri Ke Mantra)
1.ॐ कालरात्र्यै नम:
2.ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
3.ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा
4.या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
5.ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
मां कालरात्रि की आरती (Maa Kalraatri Ki Aarti)
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥
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