Navratri 2019 Significance : नवरात्रि पर जानें मां काली की महिमा और मंत्र

Navratri 2019 Significance : नवरात्रि पर जानें मां काली की महिमा और मंत्र
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Navratri 2019 Significance नवारात्रि में मां काली की पूजा करने से उनके भक्तों के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं, जब भगवान विष्णु के कान से उत्पन्न दो असुर और मधु और कैटभ को श्री हरि विष्णु हरा नहीं पा रहे थे तो मां काली ने उन दोनों की मति भ्रमित कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु को स्वंय ही वरदान मांगने के लिए कह दिया, आइये जानते हैं मां काली की महिमा (Goddess Kali Importance In Hindi) के बारे में।

Navratri 2019 नवरात्रि में मां काली की भी पूजा करने का विधान है। मां काली की पूजा नवरात्रि में करने से मनुष्य को अकाल मृत्यु और ऊपरी बाधाओं का डर नहीं रहता। मां काली (Maa Kali) की कृपा से उनके भक्तों को जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। शारदीय नवरात्रि इस साल 2019 (Shardiya Navratri 2019) में 29 सितंबर 2019 से शुरु हो रहे हैं। शारदीय नवरात्रि में अष्टमी तक मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा करके नवें दिन उन्हें विदा कर दिया जाता है। तो आइए जानते हैं नवरात्रि में मां काली की महिमा


मां काली की महिमा (Maa Kali Ki Mahima Goddess Kali Importance In Hindi)

परमात्मा की पराशक्ति भगवती निराकार होकर भी देवताओं का दु:ख दूर करने के लिए युग - युग में साकार रूप धारण करके अवतार लेती हैं। उनका शरीर ग्रहण उनकी इच्छा का वैभव कह गया है। सनातन शक्ति जगदम्बा ही महामाया कहीं गयी हैं। वे ही सबके मन को खींचकर मोह में डाल देती हैं। उनकी माया से महित होने के कारण ब्रह्मादि समस्त देवता भी परम तत्व को नहीं जान पाते, फिर मनुष्यों की बात ही क्या है? वे परमेश्वरी ही सत्त्व, रज और तम इन तीनों गुणों का आश्रय लेकर समयानुसार संपूर्ण विश्व का सृजन, पालन और संहार किया करती हैं।

शिवपुराण के अनुसार उनके काली रूप में अवतार की कथा इस प्रकार है- प्रलयरकाल में संपूर्ण जगत् के जलमग्न होने पर भगवान विष्णु योगनिद्रा में शेषश्य्यापर शयन कर रहे थे। उन्हीं दिनों भगवान विष्णु के कानों के मलसे दो असुर उत्पन्न हुए। वे भूतल पर मधु और कैटभ के नाम से विख्यात हुए। वे दोनों विशालकाय असुर प्रलयकाल के सूर्य की भांति तेजस्वी थे। उनके जबड़े बहुत बड़े थे। उनके मुख दाढ़ों के कराण ऐसे विकराल दिखाई देते थे, मानों वे संपूर्ण विश्वको खा डालने के लिए उद्धत हों।

उन दोनों ने भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुए कमल के ऊपर विराजमान ब्रह्मा को देखकर पुछा- ' अरे तू कौन है और यहां पर कैसे आ गया है?' ऐसा कहते हुए वे दोनों ब्रह्मा जी को मारने के लिए तैयार हो गए। ब्रह्मा जी ने देखा कि ये दोनों मेरे ऊपर आक्रमण करना चाहते हैं और भगवान विष्णु समुद्र के जल में शेषशय्या पर सो रहे हैं, तब उन्होंने अपनी रक्षा के लिए महामाया परमेश्वरी की स्तुति की और उनसे प्रार्थना कि- 'अम्बिके! तुम इन दोनों असुरों को मोहित करके मेरी रक्षा करो और अजन्मा भगवान नारायण को जगा दो।'


मधु और कैटभ के नाश के लिए ब्रह्मा जी के प्रार्थना करने पर संपूर्ण विद्याओं की अधिदेवी जग्जन्नी महाविद्या काली फाल्गुन शुक्ला द्वादशी त्रैलोक्य - मोहिनी शक्ति के रूप में पहले आकाश में प्रकट हुईं। तदनन्तर आकाशावाणी हुई 'कमलासन ब्रह्मा डरो मत। यद्ध में मधु और कैटभ का विनाश करके मैं तुम्हारे सकंट दूर करुंगी।' फिर वे महामाया भगवान श्री हरि के नेत्र, मुख, नासिका और बाहु आदि से निकलकर ब्रह्मा जी के सामने आ खड़ी हुईं। उसी समय भगवान विष्णु भी योगनिद्रा से जग गए।

देवाधिदेव भगवान विष्णु ने अपने सामने मधु और कैटभ दोनों दैत्यों को देखा। उन दोनों महादैत्यों के साथ अतुल तेजस्वीं भगवान विष्णु का पांच हजार वर्षों तक घोर युद्ध हुआ अंत में महामाया के प्रभाव से मोहित होकर उन असुरों ने भगवान विष्णु से कहा कि 'हम तुम्हारे युद्ध से अत्यंत प्रभावित हुए। तुम हमसे अपनी इच्छानुसार वर मांग लो।' भगवान विष्णु ने कहा - 'यदि तुम लोग मुझ पर प्रसन्न हो तो मुझे वर दो कि तुम्हारी मृत्यु मेरे हाथों से हो।' उन असुरों ने देखा की सारी पृथ्वीं एकार्णव जल में डूबी हुई है।

यदि हम सूखी धरती पर अपने मृत्यु का वरदान इन्हें देते हैं, तब यह चाहकर भी हमकों नहीं मार पाएंगे और हमें वरदान देने का श्रेय भी प्राप्त हो जाएगा। अत: उन दोनों ने भगवान विष्णु से कहा कि 'तुम हमको ऐसी जगह पर मार सकते हो, जहां जल से भीगी हुई धरती न हो।' 'बहुत अच्छा' कहकर भगवान विष्णु ने अपना परम तेजस्वीं चक्र उठाया और अपनी जांघ पर उनके मस्तकों को रखकर काट दिया। इस प्रकार भगवती काली से उन दैत्यों की बुद्धि भ्रमित हो जाने से उनका अंत हुआ।

काली माता का मंत्र Kali Mata Mantra

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:

ॐ क्रीं काल्यै नमः

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा

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