Papankusha Ekadashi 2019 : 100 सूर्य यज्ञ के समान है पापांकुशा एकादशी, मित्र से लेकर पितृ तक सभी को मिलता है मोक्ष

पापांकुशा एकादशी 2019 : अश्विन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व बहुत अधिक है। पापांकुशा एकादशी भगवान विष्णु के एक अवतार भगवान पद्मनाभ को समर्पित है। इस दिन भक्त पूरे समर्पण और उत्साह के साथ भगवान पद्मनाभ की पूजा करते हैं। पापांकुशा एकादशी व्रत रखने से पालनकर्ता भगवान पद्मनाभ के आशीर्वाद से मनुष्य पाप मुक्त होकर वैकुंठ को प्रात होता है।
पापांकुशा एकादशी को महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक माना जाता है क्योंकि इस दिन व्रत रखने वाले को उत्तम स्वास्थ्य, धन और अन्य सभी सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति होती है।
यह भी माना जाता है कि पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन किए बिना, एक व्यक्ति को पापों से कभी मुक्त नहीं किया जा सकता है और उनके बुरे कर्म जीवन भर उनका पीछा करते रहते हैं।
पापांकुशा एकादशी व्रत का संकल्प लेकर करने से मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने मित्र या पितृ का धयन रख के पापांकुशा एकादशी व्रत विधि अनुसार करे तो उनके भी सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
पापांकुशा एकादशी अनुष्ठान विधि
भक्त पापांकुशा के दिन मौन व्रत का पालन करते हैं। इस व्रत के पालनकर्ता को जल्दी उठना चाहिए और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए।
पापांकुशा एकादशी का व्रत अनुष्ठान अश्विन मास की दशमी तिथि से शुरू होता है।
इस दिन सूर्यास्त से पहले 'एकल सात्विक भोजन' लिया जाता है और एकादशी के अंत तक उपवास जारी रहता है।
पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन करते समय भक्तों को झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही कोई पापपूर्ण कार्य करना चाहिए।
पापांकुशा एकादशी व्रत द्वादशी (12 वें दिन) पर समाप्त होता है। भक्तों को व्रत खोलने से पहले ब्राह्मण को भोजन और गरीब को दान देना चाहिए।
इस व्रत के पालनकर्ता को दिन और रात में बिल्कुल नहीं सोना चाहिए। वे अपना समय भगवान विष्णु की स्तुति में वैदिक मंत्रों और भजनों का श्रवण करना चाहिए। 'विष्णु सहस्रनाम' पढ़ना भी बहुत अनुकूल माना जाता है।
पापांकुशा एकादशी के दिन, भगवान विष्णु की पूजा अर्चना विधान के अनुसार की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के गरुड़ पर विराजमान के रूप से प्रार्थना की जाती है। श्री हरि के पद्मनाभ रूप की पूजा में फूल, सुपारी, दीये और अगरबत्ती से अनुष्ठान कर अंत में आरती की जाती है।
पापांकुशा एकादशी के दिन दान करना भी बहुत फलदायक होता है। यदि कोई व्यक्ति व्रत का पालन नहीं कर सकता, तो वे ब्राह्मणों को कपड़े, खाद्य पदार्थ और अन्य आवश्यक चीजें दान कर सकते हैं।
पापांकुशा एकादशी का महत्व
पापांकुशा एकादशी का महात्म्य ब्रह्म वैवत्र पुराण में वर्णित है और इसे पापों के निवारण के लिए सबसे शुभ माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में महाराजा युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से अनुरोध किया कि वे इस पवित्र दिन पर व्रत का लाभ बताएं।
यह कहा गया है कि जो कोई भी भक्तिपूर्वक पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन करता है और भगवान विष्णु से प्रार्थना करता है वह अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर वैकुंठ को प्रात होता है।
इसके अलावा, जब कोई व्यक्ति, अपनी उम्र के हिसाब से पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के नाम का पाठ करता है, तो वे हिंदू तीर्थ स्थानों पर जाने के समान पुण्य प्राप्त करता है और उन्हें यमराज को कभी नहीं देखना पड़ता, जो मृत्यु के देवता हैं।
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