Papankusha Ekadashi 2019 : पापांकुशा एकादशी कब है, शुभ मुहूर्त, महत्व, व्रत विधि और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

Papankusha Ekadashi 2019 : पापांकुशा एकादशी कब है, शुभ मुहूर्त, महत्व, व्रत विधि और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा
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पापांकुशा एकादशी 2019 में 9 अक्टूबर 2019 को है, पापांकुशा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त, पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व, पापांकुशा एकादशी व्रत विधि और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा पढ़ने सुनने मात्र से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती है, पापांकुशा एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप (Padmanabh Swaroop) की पूजा की जाती है।

Papankusha Ekadashi 2019 पापांकुशा एकादशी शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा जानकर आप अपने सभी पापों से मुक्ति पा सकते हैं। साल की सभी एकादशियों का अलग- अलग महत्व है। लेकिन इन एकादशियों में पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) एक ऐसी एकादशी है जो सभी पापों को नष्ट कर देती है अर्थात् सभी पापों से मुक्ति दिलाती है। पापांकुशा एकादशी के व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) से न केवल स्वंय के बल्कि माता - पिता के साथ ही पीढ़ियों तक के पाप भी धूल जाते हैं।इसलिए इस एकादशी को सबसे ज्यादा पुण्यदायी एकादशी माना गया है। तो आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा के बारे में...


पापांकुशा एकादशी 2019 तिथि (Papankusha Ekadashi 2019 Tithi)

9 अक्टूबर 2019

पापांकुशा एकादशी 2019 शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi 2019 Subh Muhurat)

एकादशी प्रारंभ-8 अक्टूबर 2019 दोपहर 2 बजकर 50 मिनट से

एकादशी समाप्त-8 अक्टूबर 2019 शाम 5 बजकर 19 मिनट तक

पारण का समय- 10 अक्टूबर 2019 सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 41 मिनट तक


पापांकुशा एकादशी का महत्व (Papankusha Ekadashi Ka Mahatva)

पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप की पूजा की जाती है। वैसे तो प्रत्येक एकादशी का अपनी ही अलग महत्व है। लेकिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति का सभी जाने - अनजाने किए गए पापों का प्रायश्चित होता है। इस व्रत को करने से मन और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं। पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से माता - पिता के साथ- साथ पीढ़ियों तक के पाप धूल जाते हैं। जो लोग इस व्रत को पूर्ण नहीं कर पाते। वह इस व्रत में मध्याह्न या संध्या काल में एक समय भोजन कर सकते हैं।

पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों से तो छुटकारा मिलता ही है।इसके साथ ही सभी सुखों की प्राप्ति भी होती है। पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप की अगर विधिवत पूजा की जाए तो भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पापांकुशा एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को अपनी श्रद्धा के अनुसार दान व दक्षिणा देनी चाहिए। क्योंकि हिंदू शास्त्रों में विशेष महत्व दिया गया है। दान देने से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं। लेकिन दान भी योग्य व्यक्ति या ब्राह्मण को ही देना चाहिए।


पापांकुशा एकादशी व्रत विधि (Papankusha Ekadashi Vrat Vidhi)

1. पापांकुशा एकादशी के दिन साधक को सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2.पापांकुशा एकादशी के दिन घट स्थापना करके उसके ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।

3.इसके बाद भगवान विष्णु को पुष्प, नैवेध, आदि सभी चीजें चढ़ानी चाहिए और उनका विधिवत पूजन करना चाहिए।

4. इसके बाद भगवान विष्णु की कथा सुननी चाहिए और मंत्रों का जाप करना चाहिए।

5. इसके बाद भगवान विष्णु की धूप व दीप से आरती उतारनी चाहिए।


पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Katha)

एक बार पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि हे मधूसूदन! कृप्या करके मुझे मनुष्य के पापों को हरने वाली पापांकुशा एकादशी के बारे में बताएं। इस पर भगवान श्री कृष्ण युधिष्ठिर से कहते हे कि हे पांडव श्रेष्ठ! पापांकुशा एकादशी सभी पापों को हरने वाली एकादशी है। इस दिन व्रत रखने के बाद गाय, सोना, अन्न, छाता, तिल, जूते और जल का दान करने वाले व्यक्ति के पूर्वजन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

जिसकी वजह से उसे मरने के उपरांत भी नर्क की यातनाएं नहीं भुगतनी पड़ती। इन्हें मरने के बाद यमराज के दर्शन नहीं करने पड़ते और जो व्यक्ति पापांकुशा एकादशी का व्रत नही कर पाता उसे इन चीजों का दान कर इसका पुण्यफल प्राप्त करना चाहिए। पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को स्वास्थय लाभ धन संपत्ति की प्राप्ति और सुंदर और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

पापांकुशा एकादशी के दिन गरूड़ पर विराजमान भगवान विष्णु के दिव्य रूप की पूजा की जाती है। इस एकादशी की रात हरि कीर्तन, चिंतन और भजन किया जाता है। जिससे उस व्यक्ति सहित उसकी पूरी पीढ़ी का उद्धार हो सके।

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