Parshuram Jayanti 2020 Mai Kab Hai : परशुराम जंयती 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व ,पूजा विधि कथा, मंत्र और आरती

Parshuram Jayanti 2020 Mai Kab Hai : परशुराम जंयती 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व ,पूजा विधि  कथा, मंत्र और आरती
X
Parshuram Jayanti 2020 Mai Kab Hai : भगवान परशुराम का जन्म बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हुआ था, जिसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है तो आइए जानते हैं परशुराम जंयती 2020 में कब है (Parshuram Jayanti 2020 Mai kab Hai), परशुराम जंयती का शुभ मुहूर्त (Parshuram Jayanti 2020 Shubh Muhurat), परशुराम जंयती का महत्व (Parshuram Jayanti Importance) , परशुराम जंयती की पूजा विधि (Parshuram Jayanti Puja Vidhi), परशुराम जंयती की कथा (Parshuram Jayanti Story), परशुराम जंयती के मंत्र (Parshuram Jayanti Mantra) और परशुराम जी की आरती (Parshuram Ji ki Aarti)

Parshuram Jayanti 2020 Mai Kab Hai : परशुराम जंयती के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के छठे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान परशुराम (Parshuram ) को साहस का देवता माना जाता है। परशुराम जी का जन्म पुर्नवसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था तो आइए जानते हैं परशुराम जंयती 2020 में कब है, परशुराम जंयती का शुभ मुहूर्त ,पूजा विधि कथा, मंत्र और आरती.


परशुराम जंयती 2020 तिथि (Parshuram Jayanti 2020 Tithi)

25 अप्रैल 2020

परशुराम जंयती 2020 शुभ मुहूर्त (Parshuram Jayanti 2020 Shubh Muhurat)

तृतीया तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 25, 2020 को सुबह 11 बजकर 51 मिनट से ( 25 अप्रैल 2020)

तृतीया तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक (26 अप्रैल 2020)


परशुराम जंयती का महत्व (Parshuram Jayanti Importance)

भगवान परशुराम का जन्म बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया को पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में हुआ था। इनकी माता का रेणुका और पिता जमदग्नि थे। जिस समय भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था। उस समय पर दुष्ट राजाओं से लोग अत्याधिक परेशान थे। उन्हीं में से एक दुष्ट राजा ने भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि वध कर दिया। जिससे क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने 21 बार पृथ्वीं को क्षत्रिय विहिन कर दिया था। भगवान परशुराम को परशु भगवान शिव ने दिया था।

जिसकी वजह से ही इन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है। भगवान परशुराम जी की पूजा करने से साहस में वृद्धि, भय से मुक्ति मिलती है। भगवान परशुराम को श्री हरि विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। इनका जन्म पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था और इन्हें भगवान शिव ने परशु दिया था। जिसके कारण ही इन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है।


परशुराम जयंती पूजा विधि (Parshuram Jayanti Puja Vidhi)

1. सबसे पहले परशुराम जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।

2. इसके बाद एक चौकी पर परशुराम जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

3. इसके बाद हाथ में जल लेकर मम ब्रह्मात्व प्राप्तिकामनया परशुराम पूजनमंह करिष्ये मंत्र का जाप करें।

4. मंत्र जाप करने के बाद हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर परशुराम जी के चरणों में छोड़ दें।

5. इसके बाद सूर्यास्त तक मौन धारण करें और शाम के समय पुन: पूजा करें।

6. पूजा में भगवान परशुराम को नैवेद्य अर्पित करें और जमदग्रिसुतो वीर क्षत्रियांतकर प्रभो गृहणार्घ्य मया दंत कृपा परमेश्वर मंत्र का जाप करें।

7. इसके बाद भगवान परशुराम की कथा पढ़ें या सुने

8. कथा पढ़ने या सुनने के बाद भगवान परशुराम को मिठाई का भोग लगाएं।

9. इसके बाद भगवान परशुराम की धूप व दीप से आरती उतारें

10. अंत में भगवान परशुराम से प्रार्थना करें कि वह आपको साहस प्रदान करें और आपको सभी प्रकार के भय से मुक्ति दें।


परशुराम जंयती की कथा (Parshuram Jayanti Story)

विष्णु पुराण के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था। जिसे भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा किया गया था। इस यज्ञ के संपूर्ण होने पर देवराज इंद्र ने महर्षि जमदग्नि और पत्नी रेणुका को दर्शन दिए और रेणुका के गर्भ में एक बालक को डाल दिया। इसके बाद वैशाख शुक्ल तृतीया को पुर्नवसु नक्षत्र में एक बालक का जन्म हुआ। जिसे भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। यह बालक अत्यंत ही पराक्रमी और तेजस्वीं था। । पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जामदग्न्य इसके अलावा भगवान शिव से परशु नाम का शास्त्र प्राप्त करने के कारण इन्हें परशुराम नाम प्राप्त हुआ।

परशुराम जी ने इक्कीस बार पृथ्वीं को क्षत्रिय विहिन किया था। क्योंकि जिस समय पृथ्वीं पर परशुराम जी का जन्म हुआ था। उस समय अत्याचारी राजाओं का राज था। एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी पूरी सेना के साथ जमदग्नि के आश्रम में आया और जिसकी पूरी सेना को जमदग्नि ऋषि ने भोजन कराया। जब राजा ने इसका कारण जानना चाहा तो ऋषि ने बताया कि यह कामधेनु गाय के पूरा हो पाया। उस गाय को पाने कि लालसा में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने जमदग्नि और उनकी पत्नी का वध कर दिया। जिसके बाद परशुराम ने सभी क्षत्रियों का वध कर दिया था।


परशुराम जी के मंत्र (Parshuram Ji Ke Mantra)

1. 'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'

2. 'ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।'

3. 'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।'


परशुराम जी की आरती (Parshuram Ji Ki Aarti)

ओउम जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।

सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी।। ओउम जय।।

जमदग्नी सुत नरसिंह, मां रेणुका जाया।

मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया।। ओउम जय।।

कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।

चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।। ओउम जय।।

ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।

सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी।। ओउम जय।।

मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।

दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना।। ओउम जय।।

कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।

कंध चार-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता।। ओउम जय।।

माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।

मेरी बिरत संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे।। ओउम जय।।

अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।

पूर्णेन्दु शिव साखि, सुख सम्पति पावे।। ओउम जय।।

Tags

Next Story