Pradosh Vrat 2020: जानिए प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि

Pradosh Vrat 2020: प्रदोष व्रत को त्रियोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत एक साल में कई बार आता है। यह व्रत महीने में दो बार आता है। प्रदोष व्रत क्या है, प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रियोदशी मनते हैं। प्रत्येक पक्ष के त्रियोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूर्य अस्त के बाद और रात्रि से पहले आने का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। हिंदु धर्म में व्रत, पूजा-पाठ, उपवास आदि को कॉफी महत्व दिया गया है।
ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर व्यक्ति को मन चाहे वस्तु की प्राप्ति होती है। वैसे तो हिंदु धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास होते हैं, लेकिन इन व्रतों में प्रदोष व्रत की बहुत ही मान्यता है। शास्त्रों के अनुसार महीने के दोनों पक्षों त्रियोदशी तिथि में शाम के समय को प्रदोष कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव प्रदोष के समय अपने कैलाश पर्वत पर स्थित रजत भवन में नृत्य करते हैं। इसी वजह से लोग शिव जी को प्रसन्न इस दिन प्रदोष व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से सारे कष्ट और हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं। कलियुग में प्रदोष व्रत को करना बहुत ही मंगलकारी होता है और शिव कृपा प्रदान करता है। सप्ताह के सातों दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। प्रदोष को कई जगह पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। दक्षिण भारत में लोग प्रदोष को प्रदोषम् के नाम से जानते हैं।
प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि
प्रदोष व्रत का अलग अलग दिन के अनुसार अलग अलग महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन यह व्रत आता है उसके अनुसार उसका लाभ और महत्व बदल जाते हैं। अलग अलग वार के अनुसार नीचे दिए लाभ प्राप्त होते हैं।
जो लोग रविवार को व्रत रखते हैं, उनकी आयु में वृद्धि होती है, अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
सोमवार के प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम् या चंद्र प्रदोषम् भी कहा जाता है। इसे मनोकामनाओं की पूर्ति करने के लिए किया जाता है।
जो प्रदोष व्रत मंगलवार को रख जाते हैं, उनको भौम प्रदोषम् कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नहीं होती है।
बुधवार के दिन इस व्रत को करने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है।
वृहस्पति वार को प्रदोष व्रत को रखने से शत्रुओं का नाश होता है।
वो लोग जो शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं उनके जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और दाम्पत्य जीवन में सुख शांति आती है।
शनिवार के दिन आने वाले व्रत को शनि प्रदोषम् व्रत कहा जाता है। लोग इस दिन संतान प्राप्ति की चाह में यह व्रत रखते हैं। अपनी इच्छाओं को ध्यान में रखकर प्रदोष व्रत करने से फल की प्राप्ति निश्चित होती है।
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