Putrada Ekadashi 2019 : पुत्रदा एकादशी कब है 2019 में, जानें शुभ मूहू्र्त, महत्व , पूजा विधि और पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

Putrada Ekadashi 2019 : पुत्रदा एकादशी कब है 2019 में, जानें शुभ मूहू्र्त, महत्व , पूजा विधि और पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
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पुत्रदा एकादशी 2019 तिथि ( Putrada Ekadashi 2019 Tithi)

11 August 2019

पुत्रदा एकादशी 2019 शुभ मुहूर्त ( Putrada Ekadashi 2019 Subh Mahurat)

एकादशी प्रारंभ -सूबह 10 बजकर 9 मिनट से (10 August 2019)

एकादशी अंत- सूबह 10 बजकर 52 मिनट तक (11 August 2019)

पुत्रदा एकादशी पारण का समय- सूबह 5 बजकर 52 मिनट से

8 बजकर 30 मिनट तक


पुत्रदा एकादशी का महत्व ( Putrada Ekadashi Ka Mahatva)

पुत्रदा एकादशी का व्रत मुख्य रूप से पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए किया जाता है। माना जाता है कि जो भी दंपत्ति पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हैं उनके यहां गुणवान पुत्र का जन्म होता है। पुत्रदा एकादशी ही एक ऐसी एकादशी है । जिसका व्रत रखने से संतान संबंधी सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है।

जिन दंपत्तियों के घर संतान नहीं हो रही और अगर वह पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हैं तो भगवान विष्णु की कृपा से उनके घर में जल्दी ही बच्चों की किलकारियां गूंजने लगती है। अगर आप अपनी संतान की तरक्की और उसे हर परेशानियों से बचाना चाहते हैं तो भी आप पुत्रदा एकदाशी का व्रत कर सकते हैं। पुत्रदा एकादशी का व्रत करने वाले के यहां योगकारी संतान जन्म लेती है। इस दिन मातांए अपने पुत्रों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।


पुत्रदा एकादशी पूजा विधि ( Putrada Ekadashi Puja Vidhi)

1.पुत्रदा एकदाशी का व्रत रखने वाले साधक को सूबह जल्दी उठना चाहिए । इसके बाद नहा कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2.इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए।

3.इसके बाद श्रीहरि विष्णु को अपने सामर्थ्य के अनुसार फल-फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि अर्पित करें।

4. भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें । उनके मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती उतारें।

5.पुत्रदा एकादशी के दूसरे दिन व्रत का पारण करें और श्रद्धा के अनुसार दान दें।


पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Putrda Ekadashi Vrat Katha)

प्राचीन काल में भद्रावती नगर में राजा सुकेतुमान का शासन था। उनकी पत्नी का नाम शैव्या था। सालों बीत जाने के बावजूद संतान नहीं होने के कारण पति-पत्नी दुःखी और चिंतित रहते थे। इसी चिंता में एक दिन राजा सुकेतुमान अपने घोड़े पर सवार होकर वन की ओर चल दिए।

घने वन में पहुंचने पर उन्हें प्यास लगी तो पानी की तलाश में वे एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी हैं और वहां ऋषि-मुनी वेदपाठ कर रहे हैं। पानी पीने के बाद राजा आश्रम में पहुंचे और ऋषियों को प्रणाम किया।

राजा ने ऋषियों से वहां जुटने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे सरोवर के निकट स्नान के लिए आए हैं। उन्होंने बताया कि आज से पांचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है, उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है।

इसके बाद राजा अपने राज्य पहुंचे और पुत्रदा एकादशी का व्रत शुरू किया और द्वादशी को पारण किया। व्रत के प्रभाव से कुछ समय के बाद रानी गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। अगर किसी को संतान प्राप्ति में बाधा होती है तो उन्हें इस व्रत को करना चाहिए। व्रत के महात्म्य को सुनने वाले को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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