Putrada Ekadashi 2019 : पुत्रदा एकादशी पर जानें कहां से आया भगवान विष्णु के पास सुदर्शन चक्र

Putrada Ekadashi 2019 : पुत्रदा एकादशी पर जानें कहां से आया भगवान विष्णु के पास  सुदर्शन चक्र
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पुत्रदा एकादशी पर आपको भगवान विष्णु के इस प्रिय अस्त्र के बारे में बताने जा रहे हैं, पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान प्राप्ति की सभी बाधाएं समाप्त होती है, इसलिए पुत्रदा एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है, भगवान विष्णु का पास उनका सबसे शक्तिशाली अस्त्र कहां से आया ? आइये जानते हैं पुत्रदा एकादशी से जुड़ी जानकारी...

Putrada Ekadashi 2019 पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी है। भगवान विष्णु के पास असंख्य अस्त्र और शस्त्र है। लेकिन उन्हें सुदर्शन चक्र अत्याधिक प्रिय है। सुदर्शन चक्र से ही उन्होंने कई राक्षसों का वध किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु का यह प्रिय अस्त्र उनके पास कैसे आया। अगर नहीं तो हम आपको इसके बारे में बताएंगे। पुत्रदा एकादशी साल 2019 (Putrada Ekadashi 2019) में 11 अगस्त 2019 (11 August 2019) के दिन मनाई जाएगी। इस व्रत के फल से संतान संबंधी सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है। तो आइए जानते हैं भगवान विष्णु के पास कहां से आया सुदर्शन चक्र...


भगवान विष्णु और सुदर्शन चक्र की कहानी (Bhagwan Vishnu Sudarshan Chakra Story)

संसार में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। यह तीनों ही अपने कर्तव्य का निर्वाह अच्छी तरह से करते हैं। एक कथा के अनुसार एक बार इंद्र भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए गए। उस समय भगवान विष्णु ने इंद्र को उसकी सहायता का वचन दे दिया।

जिसके बाद वह गरुड़ पर बैठकर राक्षसों का संहार करने के लिए अपने गरुड़ पर बैठकर निकल पड़े। लेकिन भगवान विष्णु का रास्ता नारद जी ने रोक लिया। नारद जी भगवान विष्णु से कहा कि उन्हें इन राक्षसों का अंत करने के लिए एक विशेष अस्त्र की आवश्यकता पड़ेगी।

जिसके बाद भगवान विष्णु देवाधिदेव महादेव शिव के पास कैलाश पर्वत पर चले गए। कैलाश पर जाकर उन्होंने भगवान शिव की तपस्या करनी शुरु कर दी। भगवान विष्णु ने जितनी बार भगवान शिव का जाप किया उतने ही कमल के फूल भगवान शिव को अर्पित किए।

भगवान विष्णु की तपस्या को देखकर भगवान शिव ने भगवान विष्णु की परीक्षा लेने का विचार किया। इसके लिए भगवान शिव ने उनमें से एक फूल चुरा लिया और भगवान विष्णु के सामने प्रकट हो गए। इसके बाद शिव ने भगवान विष्णु से पूछा की आपने अपनी पूजा में मुझे कितने पुष्प अर्पित किए थे।


भगवान विष्णु ने शिवजी की बात सुनकर तुरंत उत्तर दिया एक हजार। जिसके बाद भगवान शिव ने विष्णु जी को सभी पुष्प गिनने के लिए कहा। भगवान विष्णु ने पुष्पों को गिनना शुरु कर दिया। गिनने पर पता चला की इनमें से एक पुष्प कम है। इसके बाद भगवान विष्णु को भगवान शिव की लीला समझ में आ गई।

जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपनी एक आंख निकालकर पुष्प के बदले में भगवान शिव को चढ़ा दी। जिसके बाद भगवान शिव अत्याधिक प्रसन्न हो गए और भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया। माना जाता है कि सुदर्शन चक्र अत्याधिक शक्तिशाली है।

यह ब्रह्मा के अस्त्र पाशुपतास्त्र अस्त्र के समान ही ऊर्जावान है। इसी सुदर्शन से ही भगवान विष्णु ने कई राक्षसों का अंत किया है। इस सुदर्शन चक्र का प्रयोग भगवान श्री कृष्ण ने भी द्वापर युग में किया था।

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