Raksha Bandhan: दाहिने हाथ की कलाई पर ही क्यों बांधी जाती है राखी

Raksha Bandhan: दाहिने हाथ की कलाई पर ही क्यों बांधी जाती है राखी
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क्या आप जानते हैं राखी दाहिने हाथ की कलाई पर ही क्यों बांधी जाती है ? शास्त्रों के अनुसार दाहिने हाथ को मां लक्ष्मी का स्वरुप माना गया है, इसलिए प्रत्येक धार्मिक काम में दाहिने हाथ का ही प्रयोग किया जाता है।

Raksha Bandhan 2019 आखिर दाहिने हाथ की कलाई पर ही क्यों बांधी जाती है राखी क्या आपने कभी इसके बारे में सोचा है। क्या है इसका कारण। अगर नहीं तो आज हम आपको इसका आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक, मनौवैज्ञानिक तीनों कारणों के बारे में बताएंगे। रक्षाबंधंन (Raksha Bandhan) का त्यौहार भाई - बहनों को समर्पित है। इस दिन भाई अपनी बहने से राखी बंधवाकर उन्हें अनेकों उपहार देते हैं और अपनी बहनों को सदैव उनकी रक्षा करने का वचन भी देते हैं। रक्षाबंधन का त्यौहार 15 अगस्त 2019 (Raksha Bandhan Festival 15 August 2019) के दिन मनाया जाएगा। तो आइए जानते हैं आखिर क्यों दाहिने हाथ की कलाई पर ही क्यों बांधी जाती है राखी


दाहिने हाथ में राखी बांधने का आध्यात्मिक कारण (Dahine Hath Mai Rakhi Bandne Ka Adhyatmik Karan)

दाहिन हाथ को शास्त्रों के मतानुसार शुभ माना गया है और बाएं हाथ को अशुभ। इसलिए किसी भी धार्मिक काम को करने के लिए दाहिने हाथ का ही प्रयोग किया जाता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से रक्षा सूत्र बांधने से ब्रह्मा विष्णु, महेश, लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा सभी का आर्शीवाद प्राप्त होता है।

माना जाता है दाएं हाथ पर राखी बांधने से ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा और महेश की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है। माता लक्ष्मी की कृपा से धन- धान्य, सरस्वती की कृपा से विद्या, बुद्धि और विवेक और मां दुर्गा की कृपा से शक्ति प्राप्त होती है। इसलिए दाहिने हाथ को अधिक महत्वता दी जाती है।


दाहिने हाथ में राखी बांधने का आयुर्वेदिक कारण (Dahine Hath Mai Rakhi Bandne Ka Ayurvadik Karan)

आयुर्वेद के मतानुसार शरीर की विभिन्न नसें दहिने हाथ की कलाई में होकर ही गुजरती है और शरीर तब ही ठीक से काम कर सकता है। जब नसों में रक्त का संचार ठीक तरीके से होगा। दाहिने हाथ की नसों से पूरे शरीर नियंत्रित किया जाता है।

दाहिने हाथ में राखी बांधने से वात, कफ और पित्त ये तीनों ही नियंत्रित किए जा सकते हैं। इसके अलावा भी रक्षा सूत्र से कई भयंकर बिमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए आयुर्वेद भी राखी बांधने के लिए सीधे हाथ की कलाई को ही प्राथमिकता देता है।


दाहिने हाथ में राखी बांधने का मनौवैज्ञानिक कारण (Dahine Hath Mai Rakhi Bandne Ka Manovagyanik Karan)

मनौविज्ञान ने भी राखी बांधने के लिए दाहिने हाथ की कलाई को ही प्राथमिकता दी है। मनौविज्ञान के अनुसार दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधने से मनुष्य को मानसिक शांति प्राप्त होती है। उसे किसी भी प्रकार का मानसिक भय होता है और न हीं कोई मानसिक चिंता सताती है।

दाहिने हाथ में राखी बांधने से मनुष्य का आचरण शुद्ध होता है। वह हमेशा अपने मन में शांति और पवित्रता को बनाए रखता है। वहीं दूसरी और दाहिने हाथ में राखी के बांधने से व्यक्ति के अंदर आधिक ऊर्जा का भी संचार होता है।

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