Ram Navami 2020 Date And Time : जानिए कैसी थी भगवान राम की जन्म कुंडली

Ram Navami 2020 Date And Time : रामनवमी का पर्व (Ram Navami Festival) साल 2020 को 2 अप्रैल 2020 को मनाया जाएगा। भगवान राम के जन्म (Bhagwan Ram ka Janam) के साथ ही हुई उनकी जन्म कुंडली का निर्माण भी हो गया था। भगवान राम की जन्म कुंडली में पांच ग्रह अपनी उच्च राशि में थे। जो एक किसी साधारण मनुष्य की जन्म कुंडली में नहीं हो सकते तो चलिए जानते हैं भगवान राम की जन्म कुंडली।
भगवान राम की जन्म कुंडली (Bhagwan Ram ki Janam Kundli)
भगवान राम का जन्म कर्क लग्न और कर्क राशि में ही हुआ था। उनकी जन्म कुंडली में पांच ग्रह उच्च थे। भगवान राम की जन्म कुंडली में लग्न में ही चंद्रमा और बृहस्पति हैं यहां पर बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में है। जिसकी वजह से भगवान राम शील स्वाभाव के थे और इसी योग के कारण वह मर्यादा पुरूषोतम भी बने। उनके तीसरे भाव में राहु था जिसकी वजह से वे पराक्रमी , साहसी और शौर्यवान बने।
वहीं उनके चौथे भाव में उच्च के शनि तुला राशि में स्थित है जो यह उन्हें परोपकारी स्वाभाव ,मर्यादित, भूमि भवन और वाहन और सभी प्रकार के सुख आदि प्राप्त करता है।सांतवे भाव में मंगल उच्च राशि के मकर में होने के कारण उन्हें अल्प विवाह सुख की प्राप्ति हुई थी। नवम भाव में शुक्र और केतु मीन राशि में यहां पर यह राशि शुक्र की उच्च राशि मानी जाती है। जिसकी वजह से उन्होंने असुरी शक्तियों को नाश किया और जनमानस को निर्भय जीवन दिया।
इसके साथ ही दशम भाव में सूर्य मेष राशि में उच्च होने की वजह से उन्होंने पिता का मान बढ़ाया इसी योग के कारण भगवान राम चक्रवती सम्राट बने। ग्यारहवें भाव में बुध अपने मित्र शुक्र की राशि वृषभ में स्थित हैं। जिसकी वजह से उनकी कुंडली में अपार धन संपदा का योग बन रहा है। जिसकी वजह से उनके पास अपार धन संपदा भी थी। इस प्रकार के योग किसी आम इंसान की कुंडली में हो ही नहीं सकते। भगवान राम की जन्म कुंडली के उच्च कोटी के राजयोग थे।
जिसके अनुसार भगवान राम कर्तव्य परायण थे। अपनी प्रजा के प्रति वह किसी भी प्रकार कोई दुख नहीं देख सकते थे। भगवान राम सभी लोगलेकिन भगवान राम जन्म लग्न से मांगलिक थे। क्योंकि मंगल उच्च का होकर सातवें भाव में बैठा हुआ है और इसके साथ ही दांपत्य जीवन के कारक ग्रह शुक्र का केतु के साथ होने की वजह से भगवान राम को माता सीता से वियोग का सामना भी करना पड़ा था।
इसके साथ ही भगवान राम के जन्म लग्न पर शनि और मंगल की दृष्टि पड़ने के कारण उनकी जन्म कुंडली में राजभंग योग भी लगा। जिसकी वजह से उनका राज्य अभिषेक होते होते रह गया और उन्हें चौदह वर्ष का वनवास भी भुगतना पड़ा।
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