Ram Navami 2020 Festival : रामनवमी पर जानिए भगवान राम की मृत्यु के समय क्यों जाना पड़ा हनुमान जी को नागलोक

Ram Navami 2020 Festival : रामनवमी का पर्व (Ram Navami Festival) 2 अप्रैल 2020 (2 April 2020) को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री राम के भक्त उनकी विशेष पूजा अर्चना करते हैं। भगवान राम हनुमान जी को अपने भाई की तरह ही समझते थे। लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब भगवान राम ने हनुमान जी को अपने से दूर कर दिया लेकिन आखिर क्या वजह थी जिसके लिए हनुमान जी को भगवान श्री राम की आज्ञा का पालन करने के लिए नागलोक जाना पड़ा।
हनुमान जी को क्यों जाना पड़ा था नागलोक (Hanuma Ji Ko Kyu Jana Pada Naaglok)
रामभक्त हनुमान हमेशा ही अपने आराध्य देव भगवान श्री राम के समीप ही रहा करते थे और भगवान राम भी हनुमान जी को अपने भाई के समान ही प्रेम ही किया करते थे।हनुमान जी के कारण ही मृत्यु के देवता काल देव राम जी के पास आने से डरते थे। भगवान राम ने त्रेतायुग मे मनुष्य के रूप में जन्म लिया था। इसी कारण से उनकी भी मृत्यु होनी निश्चित थी।जब भगवान राम का पृथ्वीं लोक पर आने का उद्देश्य पूरा हो गया तो उन्होंने पृथ्वीं लोक को छोड़ने का निश्चय किया। लेकिन काल देव की सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि वह राम जी को तब तक अपने साथ नहीं ले जा सकते थे। जब तक उनके साथ हनुमान जी हो। भगवान श्री राम यह बात जानते थे कि यदि उनके जाने की बात हनुमान जी को पता चल गई तो वह पूरी पृथ्वीं को ही उथल पुथल कर देंगे।
क्योंकि हनुमान जी के जैसा राम भक्त इस दुनिया में दूसरा कोई भी नहीं है। इसलिए जिस दिन काल देव को अयोध्या आना था। उस दिन काल देव ने हनुमान जी को मुख्य द्वार से दूर रखा था। उन्होंने इसके लिए एक तरीका निकाल उन्होंने अपनी अंगूठी महल के फर्श में आई एक दरार में डाल दी और हनुमान जी को उसे बाहर निकालने का आदेश दिया। जिसके बाद हनुमान जी ने सुक्ष्म आकार ले लिया। जब हनुमान जी उस दरार के अंदर गए तब उन्हें समझ आया कि यह कोई दरार नहीं बल्कि एक सुंरग है जो नागलोक की ओर जाती है। वहां जाकर वह नागों के राजा वासुकी से मिले। तब वासुकी ने हनुमान जी से नागलोक आने का कारण पूछा तब हनुमान जी ने बताय की मेरे आराध्य प्रभु श्री राम की एक अंगूठी पृथ्वीं से होते हुए नागलोक में आ गई है। उसे ही खोजते- खोजते मैं यहां पर आया हूं।
तब वासुकी हनुमान जी को नागलोक के मध्य में ले गए। उन्होंने हनुमान जी को अंगूठियों का एक बड़ा से ढेर दिखाते हुए कहा कि आपको यहां पर प्रभु श्री राम की अंगूठी मिल जाएगी। लेकिन उस अंगूठी के ढेर को देखते ही हनुमान जी कुछ परेशान से हो गए और सोचने लगे की अंगूठियों के इस ढेर में से प्रभु श्री राम की अंगूठी खोजना रूई के ढेर में से सूईं खोजने के बराबर है।उसके बाद उन्होंने जैसे ही पहली अंगूठी उठाई वह प्रभु श्री राम की ही थी। उन्हें इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उन्हें अपने प्रभु श्री राम की अंगूठी पहले ही प्रयास में मिल गई। उन्हें और आश्चर्य तब हुआ जब उन्होंने दूसरी अंगूठी उठाई। क्योंकि उस पर भी श्री राम ही लिखा हुआ था। इस तरह उन्होंने देखा की सभी अंगूठियों पर श्री राम ही लिखा हुआ है।
यह देखकर हनुमान जी पहले तो कुछ समझ ही नहीं पाए कि उनके साथ यह सब क्या हो रहा है। लेकिन इसे देखकर वासुकी मुस्कुराए और हनुमान जी से बोले पृथ्वीं लोक पर एक ऐसा लोक है जहां पर जो भी आता है वहां पर उसे एक न एक दिन जाना ही पड़ता है।उसके वापस जाने का साधन कुछ भी हो सकता है। भगवान श्री राम भी एक दिन पृथ्वीं लोक को छोड़कर विष्णु लोक अवश्य ही जाएंगे। वासुकी की यह बात सुनकर हनुमान जी को यह बात समझ आ गई।उनका अंगूठी ढुंढने के लिए नागलोक आना यह सब प्रभु श्री राम की ही लीला थी। हनुमान जी को यह समझ आ गया कि उनका नागलोक में आना उन्हें उनके कर्तव्य से भटकाना था।जिससे काल देव अयोध्या में प्रवेश कर सकें और श्री राम को उनके पृथ्वीं लोक को छोड़कर जाने के लिए बता सकें।उन्होंने वासुकी से रोते हुए कहा कि अब जब मैं अयोध्या जाऊंगा तो मेरे प्रभु श्री राम मुझे नहीं मिलेंगे तो मैं अयोध्या में जाकर क्या करूंगा जिसके बाद वह वापस अयोध्या कभी भी नहीं गए।
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