Ram Navami 2020 Kab Hai : रामनवमी पर जानिए कैसे हुआ था भगवान श्री राम का जन्म

Ram Navami 2020 Kab Hai : रामनवमी का पर्व (Ram Navami Festival) साल 2020 में 2 अप्रैल 2020 को मनाया जाएगा। माना जाता है कि इसी दिन भगवान राम (Lord Rama) ने अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौश्लया के यहां जन्म लिया था। क्या भगवान राम का जन्म भी साधारण मनुष्यों की तरह ही हुआ था। यदि नहीं तो कैसे हुए था भगवान राम का जन्म आइए जानते हैं...
भगवान राम का जन्म कैसे हुआ था (Bhagwan Ram Ka Janam Kaise Hua Tha)
भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहां हुआ था। लेकिन क्या भगवान राम का जन्म आन मनुष्यों की तरह नहीं हुआ था। क्योंकि जिस प्रकार से एक साधारण मनुष्य मां के पेट से जन्म लेता है। भगवान उस तरह से जन्म नहीं लेते। भगवान राम के जन्म के बारे में तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में लिखा है। उन्होंने लिखा है कि भये प्रकट दीन दयाला कैसल्या हितकारी। हर्षित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप विचारी।। लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी। भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिंधू खरारी।।
जिसका अर्थ है दीनों पर दया करने वाले, कौशल्या जी के हितकर कृपालु प्रभु प्रकट हुए। मुनियों के न को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई। नेत्रों को आनंद देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था, चारो भुजाओं में अपने (खास) आयुध (धारण किए हुए) थे, (दिव्य) आभुषण और वनमाला पहने थे।
बड़े- बड़े नेत्र थे। इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए। इसके बाद तुलसीदास जी कहते हैं कि कई दुई कर जोरी अस्तुति तोरी केहि विधि करौ अनंता। माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता।। करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता। सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता।। जिसका अर्थ है दोनो हाथो को जोड़कर माता कहने लगी - हे अनंत मैं किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करूं। वेद पुराण तुम को माया, गुण और ज्ञान से परे और परिमाण रहित बतलाते हैं।
श्रुतियों और संतजन दया और सुख का समुद्र, सब गुणों का धाम कहकर जिनका गान करते हैं, वही भक्तो पर प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान मेरे कल्याण के लिए प्रकट हुए हैं। इसके बाद तुलसीदास जी कहते हैं कि ब्रह्मांड निकाय निर्मित माया रोम रोम प्रति वेद कहैं। मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहैं।। उपजा जब ग्याना प्रभु मुस्काना चरित बहुत विधि कीन्ह चहै। कहि कथा सुनाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै।।
जिसका अर्थ है कि वेद कहते हैं कि तुम्हारे प्रत्येक रोम में माया के रचे हुए हुए अनेकों ब्रह्माण्डों के समूह हैं। वे तुम मेरे गर्भ में रहे इस हंसी की बात के सुनने पर धीर पुरुषों की बुद्धि भी स्थिर नहीं रहती (विचलित हो जाती है) जब माता को ज्ञान हुआ तब प्रभु मुस्कुराए वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं। अत: उन्होंने (पूर्व जन्म की) सुंदर कथा कहकर माता को समझाया, जिसमें उन्हें पुत्र का प्रेम प्राप्त हो। जिसके बाद भगवान विष्णु कौशल्या जी के पूर्व जन्म के बारे में याद दिलाते हैं।
कौश्यलया जी भगवान विष्णु से कहती हैं कि आप तो हमारे पिता के रूप में आ गए जबकि हमने आपको पुत्र के रूप में मांगा था। तुलसीदास जी अपनी अगली चौपाई में कहते हैं कि माता पुनि बोली से मति डोली तजहु तात यह रूपा। कीजै शिशुलीला अति प्रियशीला यह सुख परम अनूपा।। सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा। यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा।। अर्थात् माता कहती हैं कि हे तात तुम यह रूप छोड़कर अत्यंत प्रिय बाललीला करो
यह सुख परम अनुपम होगा। यह वचन सुनकर देवताओं के स्वामी सुजान भगवान ने बालक होकर रोना शुरू कर दिया। तुलसीदास जी कहते हैं कि जो इस चरित्र का गान करते हैं वे श्री हरि का पद पाते हैं और संसार रूपी कूप में नहीं गिरते।इसके बाद तुलसीदास जी कहते हैं कि सुनि वचन सुजाना। रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।। तो इस प्रकार से भगवान श्री राम का जन्म हुआ था।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS