Ram Navami 2020 Kab Hai : रामनवमी पर जानिए क्यों भगवान विष्णु ने अयोध्या में ही लिया राम अवतार

Ram Navami 2020 Kab Hai : रामनवमी पर जानिए क्यों भगवान विष्णु ने अयोध्या में ही लिया राम अवतार
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Ram Navami 2020 Kab Hai : रामनवमी का पर्व (Ram Navami Festival) पूरे भारत में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है, शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम (Lord Shri Ram) का जन्म हुआ था और इसी कारण से इस पर्व को श्री राम जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है,भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, लेकिन भगवान राम ने आखिर अयोध्या में ही क्यों जन्म लिया आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य।
Ram Navami 2020 Kab Hai : रामनवमी 2 मार्च 2020 (Ram Navami 2 March 2020) को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री राम की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। अयोध्या को भगवान श्री राम की जन्मभूमि माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने अपना रामवतार अयोध्या में ही क्यों लिया अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं क्यों भगवान विष्णु ने अयोध्या में ही लिया राम अवतार।

भगवान विष्णु ने अयोध्या में ही क्यों लिया जन्म (Bhagwan Vishnu Ne Ayodhya Mai Hi Kyu Liya Janam)

भगवान विष्णु ने अलग- अलग युग में धरती पर अवतार लेकर धर्म की स्थापना की है और धर्म की विजय और अधर्म के नाश का संदेश दिया। भगवान विष्णु को त्रिदेवों में से एक माना जाता है। ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचियता, भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार और भगवान शिव को सृष्टि को संहारक के रूप में जाना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के धरती पर कुल दस अवतार होंगे। जिसमें से नौ अवतार हो चुके हैं और दसवां अवतार कलयुग के अंतिम चरण में कल्कि के रूप में होगा।

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भगवान विष्णु के सभी अवतारों की अपनी एक कहानी है। मनु के दसवें पुत्र का जन्म पिच्छवाकु वंश में हुआ था। श्री राम को भी भगवान विष्णु की ही अवतार माना जाता है। त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने आयोध्या में अवतार लिया। राम के रूप में भगवान विष्णु के इस मानव अवतार को धर्म और मार्याद के प्राय: में ही पूजा जाता है।भगवान श्री राम ने माता सीता से विवाह किया था और उसके बाद अपने पिता के वचन का मान रखने के लिए चौदह वर्ष वन में व्यतीत किए।


जहां रावण ने माता सीता का अपहरण किया और भगवान श्री राम ने रावण का वध किया। इस कथा के बारे में सभी जानते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम के आयोध्या में जन्म लेने के पीछे एक खास कारण है। ब्रह्मा जी के पुत्र मनु और उनकी पत्नी सतरूपा जिन्होंने मनुष्य जाति की उत्पत्ति की यह दोनों पति और पत्नी अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर अपने पुत्र को राज सिंहासन पर बिठाकर पवित्र हृदय से भगवान विष्णु की भक्ति करने के लिए राजपाठ त्यागकर वनवास के लिए चले गए।

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वन में रहकर अन्न त्याग करके कई हजार सालों तक भगवान विष्णु की भक्ति की यदि शास्त्रों की मानें तो उन्होंने छह हजार सालों तक सिर्फ जल ग्रहण करके ही भगवान विष्णु की तपस्या की थी।मनु और सतरूपा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें मनचाहा वर मांगने के लिए कहा। तब मनु ने सतरूपा से भगवान विष्णु जैसे पुत्र को पाने की इच्छा जाहिर की उनकी इच्छा का मान रखते हुए भगवान विष्णु ने कहा कि संसार में उनके जैसा कोई भी नहीं है।

मनु और सतरूपा ने पूरी भक्ति से भगवान विष्णु की तपस्या की है। इसलिए वह उनकी इस इच्छा का मान अवश्य रखेंगे और अगले जन्म में जब मनु दशरथ और सतरूपा कौश्लया के रूप में अवतार लेंगे तब भगवान विष्णु राम अवतार में इस धरती पर उनके पुत्र बनकर अवतरित होंगे। मनु और सतरूपा की इच्छा को पूर्ण करने के लिए भगवान विष्णु ने अयोध्या में जन्म लिया था और चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही भगवान श्री राम की जन्म हुआ था।

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