Rishi Panchami 2019 : ऋषि पंचमी व्रत 3 सितंबर को, जानें ऋषि पंचमी उद्यापन विधि

Rishi Panchami 2019 : ऋषि पंचमी व्रत 3 सितंबर को, जानें ऋषि पंचमी उद्यापन विधि
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Rishi Panchami 2019 ऋषि पंचमी इस साल 2019 में 3 सितंबर 2019 (3 September 2019) के दिन पड़ेगी। ऋषि पंचमी का व्रत बिना उद्यापन विधि (Rishi Panchami Udyapan Vidhi) के पूर्ण नहीं हो सकता, ऋषि पंचमी के दिन उद्यापन विधि को संपन्न करने से पहले संकल्प लिया जाता है, जिसमें अपना नाम, अपने गोत्र का नाम और आप कहां निवास करते हैं आदि भी बोला जाता है, तो आइए जानते हैं ऋषि पंचमी व्रत की उद्यापन विधि के बारे में...

Rishi Panchami 2019 ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषि की पूजा का विधान है। इस दिन महिलाएं अपने दोषों को दूर करने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत (Rishi Panchami Fast) और उनकी आराधना करती हैं। इस दिन बोया हुआ अनाज ग्रहण नहीं किया जाता है। यह व्रत अत्यंत ही कठिन होता है। लेकिन इस व्रत के बाद महिलाओं को अपने सभी दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन माता अरुंधति की भी पूजा करने का विधान है तो आइए जानते हैं ऋषि पंचमी की उद्यापन विधि (Rishi Panchami Udyapan Vidhi)


ऋषि पंचमी व्रत की उद्यापन विधि (Rishi Panchami Vrat Udyapan Vidhi)

1.ऋषि पंचमी के व्रत की उद्यापन विधि की सामग्री में एक लकड़ी की चौकी, सात वस्त्र , धूप, दीप, अक्षत, चंदन,सफेद चंदन,मौली, घी, दीपक, एक पान का पत्ता, एक साबूत सुपारी, तिल, जौं,ऋतुफल, नैवेध,रोली, गंगजल, पंचामृत, सात कलश और दक्षिणा

2.ऋषि पंचमी व्रत के उद्यापन दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और सभी पूजा सामग्री एकत्रित करने के बाद पूजा स्थान पर आसन पर जाकर बैंठ जाएं। इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं

3.इसके बाद चौकी पर सप्तऋषि की मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद हाथ में अक्षत, तिल, जौं,पान, सुपारी, पुष्प और कुछ सिक्के और जल लेकर अपना नाम, गौत्र,निवास स्ठान का नाम लेकर संकल्प लें और सभी सामग्री को जमीन पर छोड़ दें।

4.इसके बाद सबसे पहले धूप, दीप, चंदन, अक्षत एंव नैवेघ से गणेश जी का पूजन करें। उसके बाद ब्राह्मांड के सभी देवताओं का पूजन करें।

5. इसके बाद हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर सप्तऋषियों का आह्वाहन और स्थापना करें। इसके बाद अक्षत और पुष्प सप्तऋषि के पास छोड़ दें। इसके बाद सप्तऋषियों को पंचामृत से स्नान कराएं।

6.इसके बाद सप्तऋषियों को वस्त्र अर्पित करें। यज्ञोपवित को हाथ में लेकर सप्तऋषि को अर्पित कर दें।

7.यज्ञोपवित अर्पित करने के बाद सप्तऋषियों के आगे घी का दीपक जलाएं और नैवेध अर्पित करें। इसके बाद जल से अपने हाथ धो लें।

8.सप्तऋषियों को सभी चीजें अर्पित करने के बाद उनकी आरती उतारें और कथा को पढ़ें

9.इसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा अवश्य दें और गाय को भी भोजन अवश्य कराएं

10. सप्तऋषि व्रत उद्यापन विधि में व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है। इसलिए व्रत का पारण अगले दिन करें। लेकिन ध्यान रखें कि इस दिन जमीन में बोया हुआ अन्न ग्रहण न करें।


ऋषि पंचमी का महत्व (Rishi Panchami Ka Mahatva)

ऋषि पंचमी का व्रत स्त्रियों के लिए होता है। इस व्रत को शास्त्रों के अनुसार बहुत महत्व दिया गया है। स्त्रियों को प्रत्येक माह में मासिक धर्म आता है। मासकि धर्म के समय स्त्रियों को अपवित्र माना जाता है। महिलाओं के लिए उस समय सभी कार्य निषेध माने जाते हैं। इसी कारण से उन्हें अत्याधिका नियमों का भी पालन करना पड़ता है। लेकिन फिर भी जान- अनजानें में उनसे कोई न कोई भूल तो ही जाती है। महिलाएं इसी भूल की क्षमा याचना के लिए ऋषि पंचमी का व्रत करती हैं और सप्तऋषि से अपनी भूल के लिए मांफी मांगती हैं।

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