Rishi Panchami 2019 : ऋषि पंचमी कब है, ऋषि पंचमी का महत्व, ऋषि पंचमी व्रत विधि और ऋषि पंचमी की कथा

Rishi Panchami 2019 : ऋषि पंचमी कब है, ऋषि पंचमी का महत्व, ऋषि पंचमी व्रत विधि और ऋषि पंचमी की कथा
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Rishi Panchami 2019 (ऋषि पंचमी 2019) ऋषि पंचमी कब है 2019 में अगर नहीं जानते तो बता दें कि ऋषि पंचमी व्रत 3 सितंबर को है, ऋषि पंचमी का महत्व इस बात से ही लग जाता है कि महिलाएं मासिक धर्म दोष मुक्ति के लिए ऋषि पंचमी का व्रत रखती हैं, ऋषि पंचमी व्रत विधि बहुत सरल है और ऋषि पंचमी की कथा का पाठ या श्रवण करने से कई पापों से मुक्ति मिलती है, आइये जानते हैं ऋषि पंचमी के बारे में विस्तार से...

Rishi Panchami 2019 (ऋषि पंचमी 2019) ऋषि पंचमी का व्रत (Rishi Panchami Vrat) महिलाओं के लिए विशेष माना जाता है, ऋषि पंचमी का व्रत रखने से सप्तऋषियों का आर्शीवाद प्राप्त होता है, ऋषि पंचमी व्रत में महिलाएं बोया हुआ अनाज भी ग्रहण नहीं करती। इस व्रत को करने के लिए कई कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है। ऋषि पंचमी का व्रत करने से महिलाओं को कई दोषों से मुक्ति मिलती है। ऋषि पंचमी व्रत के दिन सप्तऋषियों (Saptrishi) की प्रतिमा बनाकर उनकी विधिवत पूजा की जाती है। तो आइए जानते हैं ऋषि पंचमी का शुभ मुहूर्त (Rishi Panchami 2019 Date Time), ऋषि पंचमी का महत्व (Rishi Panchami Importance), ऋषि पंचमी व्रत विधि (Rishi Panchami Vrat Vidhi) और ऋषि पंचमी की कथा (Rishi Panchami Katha) के बारे में...



ऋषि पंचमी कब है 2019 में (When Is Rishi Panchami 2019)

3 सितंबर 2019

ऋषि पंचमी 2019 शुभ मुहूर्त (Rishi Panchami 2019 Subh Muhurat)

ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक

ऋषि पंचमी तिथि प्रारम्भ- रात 1 बजकर 54 मिनट से (3 सितंबर 2019)

ऋषि पंचमी तिथि समाप्त- सुबह 11 बजकर 27 मिनट तक (4 सिंतबंर 2019)



ऋषि पंचमी का महत्व (Rishi Panchami Mahatva)

ऋषि पंचमी को हिंदू धर्म के अनुसार महत्व दिया जाता है। यह व्रत औरतों के लिए होता है। महिलाओं को हर महिने में मासिक धर्म का सामना करना पड़ता है। उस समय महिलाएं अपवित्र मानी जाती है। उस समय में महिलाओं को कुछ भी कार्य नहीं करने दिया जाता।

उन्हें उस समय में अधिक नियमों का पालन करना पड़ता है। लेकिन कई बार जाने - अनजाने में उनसे भूल चूक हो जाती है और उन्हें दंड का भागीदार भी बनना पड़ता है। इसी भूल की क्षमा याचना के लिए ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषि की पूजा अर्चना की जाती है।


ऋषि पंचमी व्रत विधि (Rishi Panchami Vrat Vidhi)

1. ऋषि पंचमी के दिन महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इस दिन पूरे घर को गाय के गोबर से लिपा जाता है और सप्तऋषि और देवी अरुंधती की प्रतिमा बनाई जाती है।

3. प्रतिमा स्थापित करने के बाद कलश की स्थापना की जाती है और सप्तऋषियों की हल्दी, चंदन, पुष्प अक्षत आदि से पूजा कि जाती है।

4. इसके बाद ऋषि पंचमी की पूजा में कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।। में इस मंत्र का जाप किया जाता है।

5. इसके बाद महिलाएं सप्तऋषि की कथा सुनती हैं और जमीन में बोया हुआ अनाज ग्रहण नहीं करती बल्कि पसई धान के चावल ग्रहण करती हैं।


ऋषि पंचमी की कथा (Rishi Panchami Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार एक ब्राह्मण विदर्भ अपनी पत्नी के साथ रहा करते थे। विदर्भ के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा एक पुत्र और पुत्री भी थे। वह ब्राह्मण अपनी पुत्री का विवाह एक अच्छे ब्राह्मण कुल में कर देता है।लेकिन उसका पति अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गया और उसकी पुत्री वापस अपने माईके लौट आई।

एक रात उसकी विधवा पुत्री के शरीर में कीड़े पड़ने लगे। उसकी ऐसी हालत देखकर उसका पिता इस समस्या के समाधान के लिए उसे एक ऋषि के पास ले जाता है। वह ऋषि उसे बताते हैं कि पिछले जन्म में यह कन्या एक ब्राह्मणी थी और इसने एक बार रजस्वला होने पर रसोई में जाकर बर्तनों को छू लिया था।

इसी पाप के कारण इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं। शास्त्रों के अनुसार रजस्वला स्त्री को कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। इसने इस बात का ध्यान नहीं रखा। इसलिए इसे इसका दंड मिल रहा है।

इस समस्या के समाधान के लिए ऋषि कहते हैं कि इस कन्या को पूरे भक्ति भाव से ऋषि पंचमी का व्रत करना चाहिए। तब जाकर इसे मुक्ति मिलेगी। वह कन्या ऐसा ही करती है। जिसके बाद उसे उसके पापों से मुक्ति मिल जाती है।


ऋषि पंचमी पर क्या करें (Rishi Panchami Per Kya kare)

1.ऋषि पंचमी सप्तऋषियों के साथ- साथ वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधति की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

2.ऋषि पंचमी का व्रत सात साल करने के बाद आठवें साल में सप्तऋषियों की सात सोने की मूर्ति बनाकर उसका ब्राह्मण को दान अवश्य करें।

3.ऋषि पंचमी के दिन देवी देवताओं की नहीं बल्कि सप्तऋषि की पूजा की जाती है।

4. सप्तऋषि की पूजा में अपने गोत्र के ऋषि का नाम लेकर अवश्य पूजा करें।

5. ऋषि पंचमी के दिन ब्राह्मण और गाय को भोजन अवश्य कराएं।

ऋषि पंचमी पर क्या न करें (Rishi Panchami Per Kya Na kare)

1.ऋषि पंचमी के दिन जमीन में बोए हुए अनाज को ग्रहण नहीं किया जाता। ऐसा करने से इस व्रत के पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।

2.ऋषि पंचमी के दिन नमक का प्रयोग नहीं किया जाता। ऐसा करने से यह व्रत खंड़ित हो जाता है।

3.ऋषि पंचमी के व्रत का उद्यापन महावारी खत्म होने के बाद ही करें। अगर आप इस व्रत का उद्यापन नहीं करती तो आपको इस व्रत का लाभ प्राप्त नहीं होगा।

4.ऋषि पंचमी का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। इस व्रत में जल भी ग्रहण नहीं किया जाता।

5.ऋषि पंचमी के दिन घर को गाय के गोबर से लिपना बिल्कुल भी न भूलें।

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