Sarva Pitru Amavasya 2019 : सर्वपितृ अमावस्या कब है, पितृ तर्पण का मुहूर्त,श्राद्ध कर्म विधि, सर्वपितृ अमावस्या का महत्व और पितृ मंत्र

Sarva Pitru Amavasya 2019 : सर्वपितृ अमावस्या कब है, पितृ तर्पण का मुहूर्त,श्राद्ध कर्म विधि, सर्वपितृ अमावस्या का महत्व और पितृ मंत्र
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Sarva Pitru Amavasya 2019 Date Time पितृ पक्ष इस साल 2019 में 13 सितंबर से प्रारंभ हो रहे हैं और सर्वपितृ अमावस्या 2019 में 28 सितंबर को है, सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ तर्पण का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 7 बजकर 43 मिनट से 9 बजकर 13 मिनट तक है। श्राद्ध कर्म विधि विधान से किया जाए तो पितृ दोष से मुकित मिल सकती है और सर्वपितृ अमावस्या का महत्व इतना अधिक है कि यदि आप को अपने दिवगंत का श्राद्ध का दिन याद नहीं हो तो सर्वपितृ अमावस्या पर सभी पितरों का श्राद्ध कर्म एक साथ कर पितरों का तर्पण किया जा सकता है, पितृ मंत्र ॐ पितृ देव नमः का 1100 बार जाप करने से सर्वपितृ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

Sarva Pitru Amavasya 2019 पितृ पक्ष पर लोग अपने पितरों की शांति के लिए उनका श्राद्ध कर्म और तपर्ण करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या को हिंदू धर्म में अधिक महत्व (Sarva Pitru Amavasya Importance) दिया जाता है। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध कर्म एक साथ किया जा सकता है, अगर कोई ऐसा नहीं करता तो उसे पितरों की तरफ से श्राप मिलता है। जिससे उसे अनेकों प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो आइए जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या की पूरी जानकारी


सर्व पितृ अमावस्या की तिथि (Sarva Pitru Amavasya 2019 Tithi)

28 सितंबर 2019


सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध कर्म मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya 2019 Shradh Karm Muhurat )

कुतुप मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक (28 सितंबर 2019)

रौहिण मुहूर्त – दोपहर 12 बजक 35 से 1 बजकर 23 मिनट तक

अपराह्न काल – दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक

अमावस्या तिथि आरंभ – 3 बजकर 46 मिनट से (28 सितंबर 2019)

अमावस्या तिथि समाप्त – 11 बजकर 56 मिनट तक (28 सितंबर 2019)


सर्वपितृ की अमावस्या का महत्व (Sarva Pitru Amavasya Mahatva / Sarva Pitru Importacne)

सर्व पितृ की अमावस्या को शास्त्रों के अनुसार बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। जो लोग अपने पितरों के मृत्यु को प्राप्त होने की तिथि नहीं जानते या फिर किसी कारण वश श्राद्ध कर्म को पूरा नही कर पाए या फिर उनके पास श्राद्ध कर्म करने का समय नही था। वह लोग पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन अपने पितरों का किसी मंदिर में, तालाब और नदी के किनारे, वृक्ष के नीचे ऐसे स्थानों पर जाकर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।

यह दिन पितरों के लिए विशेष माना जाता है और इसी दिन से पितृ पक्ष का भी अंत हो जाता है। इस दिन घर के सभी पुरुष श्राद्ध कर्म करते समय वहां उपस्थित हों और सभी पितरों को श्रद्धा पूर्वक नमन करके उनका आर्शीवाद प्राप्त करें इस दिन अपने पितरों को धूप दीप आदि देने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है। ऐसा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है।

अश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितर अपने घर के प्रिय लोगों से श्राद्ध की इच्छा से उनके पास आते हैं और यदि कोई ऐसा नहीं करता तो उन्हें अपने पूर्वजों का श्राप मिलता है। जिससे उस व्यक्ति पर अन्कों प्रकार की मुसीबतें आनी शुरु हो जाती है।


सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध कर्म विधि (Sarva Pitru Amavasya Shradh Karm Vidhi)

1.सर्व पितृ की अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करके गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए।

2. इसके बाद श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन से पंचबलि भोजन का अंश अवश्य निकाले। पंचबलि भोजन में गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए भोजन होता है।

3.इसके बाद विधि पूर्वक पितरों का तर्पण करना चाहिए। और उनसे अपनी भूल के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

4.भोजन में मृत व्यक्ति की पसंद का भोजन अवश्य बनाना चाहिए और किसी गरीब या ब्राह्मण को वह भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए।

5.सूर्योस्त के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दीप भी प्रज्जवलित करने चाहिए और उनसे अपने मंगल की कामना करनी चाहिए।


सर्वपितृ अमावस्या क्या है (What Is Sarva Pitru Amavasya)

भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही पितृ पक्ष का प्रारंभ हो जाता है। अश्विन मास का पहला पक्ष जो कृष्ण पक्ष भी कहा जाता है उसी से ही पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। पितृ पक्ष से ही लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और उनका श्राद्ध कर्म करते हैं। अपने दिवगंत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए स्नान, दान, तर्पण जैसे कार्य किए जाते हैं। जिसे श्राद्ध भी कहा जाता है। विद्वानों का मनना है कि जिस समय पूर्वज मृत्यु को प्राप्त होते हैं। पितृ पक्ष में उसी तिथि के दिन श्राद्ध कर्म किया जाता है।

लेकिन कई बार लोग अनजानें में तिथि भूल जाते हैं और कई बार घर से बाहर होने के कारण या किसी अन्य कारण से तिथि पर श्राद्ध कर्म नहीं कर पाते। इसलिए अपने पूर्वजों की शांति के लिए शास्त्रों में एक और उपाय दिया गया है । इस उपाय के अनुसार पितृ पक्ष की अमावस्या को सभी पूर्वजों का अलग- अलग श्राद्ध करने के बजाय इसी दिन श्राद्ध करने के बारे में बताया गया है। यह तिथि अश्विन मास कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है।जिसे अमावस्या भी कहा जाता है। सभी पितरों को श्राद्ध एंव तर्पण करने की वजह से इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है।

पितृ मंत्र (Pitru Mantra)

ॐ पितृ देव नमः

ॐ कुलदेवतायै नम:

ॐ कुलदैव्यै नम:

ॐ नागदेवतायै नम:

ॐ पितृ दैवतायै नम:

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