Sawan 2019 : किसने की कांवड़ यात्रा की शुरुआत और सावन के महिने में किन मंत्रों का किया जाता है जाप

Sawan 2019 : किसने की कांवड़ यात्रा की शुरुआत और सावन के महिने में किन मंत्रों का किया जाता है जाप
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Sawan 2019 : किसने की कांवड़ यात्रा की शुरुआत (Kisne Ki Kanwar Yatra Ki Suruat) और सावन के महिने में किन मंत्रों (Sawan Month Mantra) का किया जाता है जाप। कावंड़ यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार (Sarvan Kumar) ने की थी लेकिन इसके पीछे भी एक पौराणक कथा मौजूद है। सावन के महिने में 'ऊं नम: शिवाय' के अलावा और भी कई मंत्र है जिनका जाप करने से लाभ पाया जा सकता है।

Sawan 2019 किसने की कांवड़ यात्रा की शुरुआत और सावन के महिने में किन मंत्रों का जाप करना चाहिए अगर आप यह नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। सावन का महिना भगवान शिव की पूजा - अर्चना का महिना माना जाता है। सावन के महिने में भगवान शिव स्वंय धरती पर उस्थित रहकर अपने भक्तों को आर्शीवाद देते हैं। शास्त्रों में सावन के पवित्र महिने की इतनी महिमा (Sawan Ki Mahima) बताई गई है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से सावन (Sawan) के सभी सोमवार के व्रत और विधिवत पूजा करता है तो उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं। इतना ही नहीं अगर कोई कुंवारी कन्या सावन के सोमवार के व्रत (Sawan Somvar Vrat) रखती है तो उसे सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं किसने की कांवड़ यात्रा की शुरुआत और सावन के महिने में किन मंत्रों का करें जाप...


किसने की कांवड़ यात्रा की शुरुआत (Kisne Ki Kanwar Yatra ki Suruat)

सावन के महिने में कांवड़ यात्रा को विशेष महत्व दिया जाता है। लोग कांवड़ लेकर दूर -दूर तक नंगे पैरों जाते हैं और पवित्र नदियों से जल लेकर आते हैं। माना जाता है कि सावन में कांवड़ में गंगा जल भरकर लाने और भगवान शिव का उस जल से अभिषेक करने पर मनुष्य की सभी इच्छा पूर्ण होती है। सावन के इस पवित्र महिने की पहली कावंड़ यात्रा श्रवण कुमार ने की थी। श्रवण कुमार अपने माता - पिता को कंधे पर बैठाकर तीर्थ स्थानों के दर्शन कराने लेकर गए थे।

श्रवण कुमार ऊना से हरिद्वार पैदल अपने माता -पिता को लेकर यात्रा पर निकले थे। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रवण कुमार के माता - पिता ने गंगा स्नान की इच्छा जताई। श्रवण कुमार के माता - पिता देख नहीं सकते थे। श्रवण कुमार ने अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करते हुए दोनों को अपने कंधों पर बैठाकर हरिद्वार की और निकल पड़े। जिसके बाद उन्होंने अपने माता - पिता को गंगा स्नान कराया और मां गंगा के दर्शन कराए। इसके बाद श्रवण कुमार गंगा जल भी साथ लेकर आए। तब ही से कांवड़ यात्रा की शुरुआत मानी जाती है।


सावन में भगवान शिव की पूजा विधि ( Sawan Mai Bhagwan Shiv Ki Puja Vidhi)

1. सावन के महिने में सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए और उसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें।

2.इसके बाद भगवान शिव के मंदिर में जाकर भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। भगवान शिव को बेलपत्र , धतूरा और भांग अवश्य चढ़ाएं।

3. भगवान शिव को ये सभी चीजें अर्पित करने के बाद भगवान शिव का जल में दूध मिलाकर अभिषेक करना चाहिए।

4.इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का वहीं बैठकर जाप करें।

5.सावन के चारों सोमवार के दिन अगर आप यह पूजा करते हैं तो आपकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।


सावन के महिने में इन मंत्रों का करें जाप (Sawan Ke Mahine Mai in Mantrao Ka Kare Jaap)

1.ॐ नम: शिवाय

2.ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3.ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

4.ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

5.ॐ ऐं नम: शिवाय


सावन के सोमवार का महत्व (Sawan Ke Somvar Ka Mahatva)

सावन का महिना अपने आप में पवित्र माना जाता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार सावन के सोमवार का महिना विशेष कहा जाता है। सोमवार का दिन भोलेनाथ को अत्याधिक प्रिय है और सावन के महिने में तो वैसे भी भगवान शिव की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। सावन के सोमवार पर मंदिरों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। लोग भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन के लिए सुबह से ही लाइनों में लग जाते हैं।

अगर कोई व्यक्ति सावन के सभी सोमवार को व्रत रखता है और भगवान शिव की आराधना करता है तो उसे उसके जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। सावन के सोमवार का व्रत अगर कोई विवाहित महिला रखती है तो उसके पति की उम्र लंबी होती है और उसका वैवाहिक जीवन भी सुखी होता है। अगर कोई कुंवारी कन्या इस व्रत को रखती है तो उसे सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।


सावन के महिने में क्या न करें (Sawan Ke Mahine Mai Kya Na Kare)

1. सावन के महिने में ब्रह्मचर्य का पालन विशेष रूप से करें। अगर आप सावन के महिने में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते तो आपको शारीरीक कष्ट हो सकता है।

2. सावन के महिने में मास मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें। अगर आप सावन के महिने में मास और मदिरा का सेवन करते हैं तो आपको जीवन में कष्ट बढ़ सकते हैं

3. सावन के महिने में किसी भी कांवड़ यात्री का अपमान न करें अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको भगवान शिव के क्रोध का पात्र बनना पड़ेगा। तो आपको जीवन में कष्ट बढ़ सकते हैं

4. सावन के महिने में बैंगन, गन्ने का जूस और काली मिर्च का सेवन बिल्कुल भी न करें। क्योंकि सावन के महिने में इनका सेवन वर्जित माना जाता है।

5. सावन के महिने में काले वस्त्र बिल्कुल भी न पहने। इसी के साथ आपको नीले और बैंगनी रंग के कपड़ो से भी परहेज करना चाहिए।

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