Shani Jayanti 2020: शनि जयंती पर काले तिल के उपाय, जीवन में कभी नहीं होगी धन की कमी

Shani Jayanti 2020: शनि जयंती पर काले तिल के उपाय, जीवन में कभी नहीं होगी धन की कमी
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शनि जयंती वाली दिन शनि संबंधी उपाय करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। शनि के उपाय संध्याकाल में शुद्ध होकर करने चाहिए। शनि जयंती पर शनि को प्रसन्न करने के लिए काले तिल के उपाय करने से जीवन में धन की कभी कम नहीं होती है।

Shani Jayanti 2020: ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है। इस बार 22 मई को शनि जयंती है. शनि के प्रकोप को कम करने के लिए शनि की विशेष अवसरों पर पूजा करने से अटके काम पूरे होते हैं और परेशानियों का अंत भी होता है। आज हाम आपको शनि जयंती काले तिल के उपाय के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपना कर आप अपने जीवन की सभी बड़ी मुश्किलों से आसानी से छूटकारा पा सकते हैं।

शनि जयंती वाली दिन शनि संबंधी उपाय करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। शनि के उपाय संध्याकाल में शुद्ध होकर करने चाहिए। शनि को प्रसन्न करने के लिए कुछ करें या न करें लेकिन किसी गरीब व्यक्ति को अन्न और जल का दान जरूर करें। तेल शनिदेव को बहुत ही प्रिय है। शनि जयंती पर शनि प्रतिमा पर सरसो का तेल चढ़ाए और दीपक जलाएं। यह उपाय आप हर शनिवार को भी कर सकते हैं।

शनि जयंती काले तिल के उपाय (Shani Jayanti Par Kale Til Ke Upay)

शनि जयंती पर शनिदेव का तिल के तेल का से अभिषेक करें,तेल में काले तिल भी डालें, साथ ही शनिदेव के एक सौ आठ नामों का स्मरण अवश्य करें। शनि जयती के दिन शनि पूजा घर में शनि यंत्र की स्थापना करें।

काली वस्तु और लोहा शनि की धातुएं हैं। शनि जयंती पर एक काले कपड़े में काले उड़द, सबा किलो अनाज, कोयला और लोहे की कील लपेटकर नदी में बहा दें।

शनि जयंती पर गाली गाय को बूंदी के लड्डू खुलाएं और उसकी पूजा करें। इससे शनि की साढेसाती और ढईया से प्रभावित लोगों को फायदा हो सकता है।

शनि जयंती के दिन शनि मंदिर में या एकांत स्थान पर बैठकर राजा दशरथ द्वारा रचित शनि स्त्रोत का पाठ करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

शनि जयंती की सुबह पीपल के पेड़ पर जल और तिल के तेल का दीपक जलाएं, ऐसा करने से शनि दोष में कमी आती है।

जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव है, वे लोग शनि जयंती पर काले घोड़े की नाल की अंगूठी बनवाकर अपनी मध्यमा उगंली में धारण करें।

शनि जयंती पर कुष्ट रोगियों को भोजन कराएं और उन्हें जूते चप्पल, कंबल, तेल, छाता, कपड़े,काले उड़द आदि वस्तुओं का दान करें।

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