अक्षत चढ़ाने से होती है अपार ऐश्वर्य की प्राप्ति, जानिए चढ़ाने का सही तरीका

शिव को अक्षत चढ़ाने के अनेक लाभ माने गए हैं। अक्षत यानि अरवा चावल को शास्त्रों में सबसे पवित्र अनाज माना गया है।
पूजा-पाठ में यदि किसी सामग्री की कमी रह जाती है तो चावल चढ़ाकर उसकी पूर्ति की जाती है। कुछ पूजन सामग्री ऐसी हैं जो किसी खास देवता को नहीं चढ़ाई जाती है।
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार तुलसी माता को कुमकुम नहीं चढ़ाया जता है। इसके अलावा भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ती है। भगवान गणेश को तुलसी नहीं चढ़ती।
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ऐसे चढ़ाएं अक्षत
मां दुर्गा को दूर्वा नहीं चढ़ाई जाती है। परन्तु चावल हर भगवान को चढ़ाए जाते हैं। भगवान को चावल चढ़ाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि चावल टूटे हुए न हों। अक्षत पूर्णता का प्रतीक है इसलिए सभी चावल अखंडित होने चाहिए।
कहा जाता है की मात्र 4 दाने चावल रोज चढ़ाने से अपार ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। अक्षत साफ और स्वच्छ होने चाहिए। शिवलिंग पर अक्षत चावल चढ़ाने से शिव जी अतिप्रसन्न होते हैं। अखंडित चावल की तरह अखंडित धन, मान-सम्मान प्रदान करते हैं। भगवान शिव खंडित चावल कभी भी स्वीकार नहीं करते हैं।
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अक्षत चढ़ाने से होते हैं ये लाभ
पूजा के समय अक्षत इस मंत्र के साथ भगवान को समर्पित किए जाते हैं
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥
अर्थ है:
हे इश्वर ! पूजा में कुमकुम के रंग से सुशोभित यह अक्षत आपको समर्पित कर रहा हूं, कृपया आप इसे स्वीकार करें।
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