Surya Grahan 2019: सूर्य ग्रहण कब है, क्या है होता है सूतक काल और क्यों नहीं करना चाहिए इसमें कोई भी शुभ काम

Surya Grahan 2019: सूर्य ग्रहण कब है, क्या है होता है सूतक काल और क्यों नहीं करना चाहिए इसमें कोई भी शुभ काम
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  • सूर्य ग्रहण से पहले ही सूर्य ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाता है, जिसे शास्त्रों के अनुसार अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • हिन्दू पंचांग के अनुसार सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता, तो चलिए जानते हैं क्या होता है सूतक काल...

Surya Grahan 2019: सूर्य ग्रहण का सूतक काल (Sutak Kaal) ग्रहण के कुछ समय पहले ही शुरू हो जाता है। सूर्य ग्रहण इस साल 2019 (Solar Eclipse Of December 26, 2019) में 26 अक्टूबर 2019 के दिन पड़ेगा। जिसका सूतक काल का समय (Surya Grahan December 2019 Sutak Kaal Timing In India) 25 दिसंबर 2019 को शाम 5 बजकर 30 मिनट पर ही प्रारंभ हो जाएगा और इसकी समाप्ति सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूतक क्या है (What Is Sutak Kaal) और क्यों नहीं करना चाहिए सूतक काल में कोई काम। अगर नहीं तो हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं क्या होता है सूतक और क्यों नहीं करना चाहिए सूतक में कोई भी काम...


सूतक काल क्या है (Sutak Kaal kya Hai)

हिंदू धर्म में सूतक की अनादिकाल से ही सूतक की मौलिक संकल्पना है। यह केवल संकल्पना ही नहीं बल्कि इसका भी वैज्ञानिक आधार है। सूतक से आश्य है अपवित्रता जो किसी घटना विशेष जैसे सूर्य ग्रहण के समय हो जाती है। इस समय में प्रकृति अधिक संवेदनशील होती है। जिसमें दुर्घटना होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है सूतक एक निश्चित निर्धारित काल की समाप्ति पर शुद्धि के द्वारा समाप्त होता है न केवल सूर्य ग्रहण के सूतक काल को बल्कि चंद्र ग्रहण के सूतक काल को भी अशुभ माना जाता है।


क्यों नहीं करना चाहिए सूतक में कोई काम (Kyu Nahi karna Cahiye Sutak Mai Koi Kaam)

किसी भी अवसर पर सूतक लगने का प्रमुख कारण यही होता है कि उस काल अवधि में अनेक हानिकारक विशाणु वायुमंडल में फैल जाते हैं। जो स्थान पर रहने वाले अति निकट लोगों के शरीर तथा वस्त्र आदि पर अपना दुष्प्रभाव डालते हैं और उन्हीं के दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए शुद्धि बहुत जरूरी हो जाती है। वहीं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य ग्रहण के सूतक काल से ही सूर्य अशुभ प्रभाव देन लगता है इसलिए सूर्य ग्रहण के सूतक काल में किसी भी काम को करना अशुभ ही माना जाता है। सूतक की समाप्ति पर शुद्धि आवश्यक हो जाती है। शुद्धि में यथा अनुसार स्नान और देव पूजन जैसे कर्म किए जाते हैं।


सूर्य ग्रहण क्या होता है (Surya Grahan Kya Hota Hai)

सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य और पृथ्वीं जब एक ही सीध में होते हैं और चंद्रमा पृथ्वीं और सूर्य के बीच होने की वजह से चंद्रमा की छाया पृथ्वीं पर पड़ती है। ऐसा अक्सर अमावस्या के दिन होता है। सूर्य ग्रहण में सूतक का प्रभाव 12 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। सूर्य ग्रहण के दिखाई देने पर ही इसका नियम लागू होता है। इस काल में किया गया कोई भी काम अशुभ फल ही प्रदान करता है। इसलिए सूर्य ग्रहण के सूतक काल को अनिष्ट माना जाता है। इस समय में केवल मंत्र जाप करना ही श्रेष्ठ बताया गया है।


सूतक काल में क्या नहीं करना चाहिए (Sutak Kaal Mai Kya Nahi karna Cahiye)

  • सूतक काल में न तो भोजन करना चाहिए और न हीं पकाना चाहिए।
  • सूतक में भगवान की मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए। आप केवल इस समय में मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
  • सूर्य ग्रहण के सूतक काल में आपको मांसाहार और व्यसनों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इस समय में किसी से झूठ और अपशब्द बिल्कुल भी न बोलें।
  • किसी भी रूप में सूतक काल में शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए।
  • सूर्य ग्रहण का सूतक लगने पर किसी से भी शारीरीक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
  • ग्रहण के सूतक काल में सिलाई, कढ़ाई आदि बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।
  • इस समय में किसी भी रूप में घर में कलेश भी नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के सूतक काल में घर के अंदर ही रहना चाहिए।
  • शास्त्रों में ग्रहण के सूतक काल में सोने को बिल्कुल निषेध बताया गया है। इसलिए इस समय में सोना बिल्कुल भी नहीं चाहिए।

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