Surya Grahan December 2019 : सूर्य ग्रहण कब है 2019 में, सूर्य ग्रहण का समय, सूतक काल कब लगेगा, सूर्य ग्रहण में क्या करें, क्या न करें

Surya Grahan December 2019 : सूर्य ग्रहण कब है 2019 में, सूर्य ग्रहण का समय, सूतक काल कब लगेगा, सूर्य ग्रहण में क्या करें, क्या न करें
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Surya Grahan December 2019 : सूर्य ग्रहण दिसंबर में कब है 2019 में, सूर्य ग्रहण का समय क्या है, सूतक काल कब लगेगा (Sutak kaal Timing), सूर्य ग्रहण में क्या करें, क्या न करें, नहीं पता तो तो बता दें कि सूर्य ग्रहण 2019 में 26 दिसंबर को लगेगा, सूर्य ग्रहण की अवधि 2 घंटे 41 मिनट की होगी, सूतक काल 25 दिसंबर को ही लग जाएगा, सूर्य ग्रहण में गर्भवती महिलाओं समेत सभी को सावधानी रखना अति आवश्यक है, आइये जानते हैं इस साल 2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण का प्रभाव कैसा रहेगा...

Surya Grahan December 2019 Sutak kaal Timing : सूर्य ग्रहण को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अशुभ माना जाता है। क्योंकि सूर्य को जगत की ऊर्जा माना जाता है और जब सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) लगता है तो पृथ्वीं पर अशुभ घटनाएं घटने लगती है। साल 2019 में अब तक 2 सूर्य ग्रहण पहले ही लग चुके हैं। जिसमें पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी 2019 (Surya Grahan 6 January 2019) को था। दूसरा सूर्य ग्रहण 2 जुलाई 2019 (Surya Grahan 2 July 2019) को था और तीसरा सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 (Surya Grahan 26 December 2019) महिने में होने जा रहा है। तो आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण 2019 की पूर्ण तिथि (Surya Grahan Date December 2019), सूर्य ग्रहण के प्रारंभ (Surya Grahan Start Time) और सूर्य ग्रहण के समाप्त होने का समय (Surya Grahan Ending Time) , सूर्य ग्रहण 2019 के सूतक काल का समय (Surya Grahan 2019 Sutak Kaal Timing), सूतक काल में क्या करें और क्या न करें (Sutak Kaal Mai Kya Kare Kya Na Kare) , सूर्य ग्रहण किस राशि और नक्षत्र में लगेगा (Surya Grahan kis Rashi or Nakshatra Per Lagega), कैसा होगा इस बार का सूर्यग्रहण (Kaisa Hoga Is Baar Ka Surya Grahan), सूर्य ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं (Surya Grahan Ki Dharmik Manyataye), सूर्य ग्रहण के वैज्ञानिक मान्यताएं (Solar Eclipse Scientific Importance) और सूर्य ग्रहण की कथा (Surya Grahan Ki katha) के बारे में...


दिसंबर माह में लगने वाला सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्यग्रहण होगा, जिसे वैज्ञानिक भाषा में वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है, तो आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण के प्रारंभ और समाप्त होने का समय, सूर्य ग्रहण 2019 के सूतक काल का समय, सूतक काल में क्या करें और क्या न करें, सूर्य ग्रहण किस राशि और नक्षत्र में लगेगा, कैसा होगा इस बार का सूर्य ग्रहण, सूर्य ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं, सूर्य ग्रहण के वैज्ञानिक मान्यताएं और सूर्य ग्रहण की कथा के बारे में...

सूर्य ग्रहण 2019 तिथि (Surya Grahan 2019 Date And Time In India)

सूर्य ग्रहण दिसंबर 2019 में 26 दिसंबर 2019 को लगेगा

सूर्य ग्रहण प्रारंभ और समाप्त होने का समय (Surya Grahan Starting And Ending Timing)

सूर्य ग्रहण दिसंबर 2019 प्रारंभ समय - सुबह 8 बजकर 17 मिनट (26 दिसंबर 2019)

सूर्य ग्रहण परमग्रास - सुबह 9 बजकर 31 मिनट (26 दिसंबर 2019)

सूर्य ग्रहण दिसंबर 2019 समाप्ति समय - सुबह 10 बजकर 57 मिनट (26 दिसंबर 2019)

सूर्य ग्रहण 2019 सूतक काल का समय (Surya Grahan 2019 Sutak Kaal Timing)

सूतक काल प्रारंभ- शाम 5 बजकर 31 मिनट से (25 दिसंबर 2019)

सूतक काल समाप्त - अगले दिन सुबह 10 बजकर 57 मिनट तक (26 दिसंबर 2019)


सूर्य ग्रहण के सूतक काल में क्या न करें (Surya Grahan Ke Sutak Kaal Mai Kya Kare Kya Na Kare)

1. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में किसी भी शुभ काम की शुरुआत न करें। क्योंकि इस काल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता।

2. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में न तो खाना बनाएं और न ही खाएं।

3.सूर्य ग्रहण के सूतक काल में पूजा करना निषेध माना जाता है। इसलिए किसी भी मूर्ति को इस समय में स्पर्श न करें। वैसे इस समय में मंत्र जाप किया जा सकता है।

4. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में शारीरीक संबंध न बनाएं।

5. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में किसी सूनसान जगह या शमशान के पास न जाएं।


किस राशि और नक्षत्र पर लगेगा सूर्य ग्रहण (Surya Grahan kis Rashi or Nakshatra Per Lagega)

ग्रह नक्षत्रों के अनुसार इस बार सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र पर लगेगा। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण को अशुभ माना गया है। ग्रहण जिस किसी राशि या नक्षत्र पर लगता है। उस राशि और नक्षत्र वाले व्यक्तियों को ग्रहण काल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस बार का सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र पर लगने जा रहा है। सूर्य ग्रहण के दौरान इन लोगो के साथ अशुभ घटनाएं घट सकती है। इसलिए इस राशि और नक्षत्र वाले जातकों को इस समय में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। यह समय इनके लोगों के लिए अशुभ है।


कैसा होगा इस बार सूर्यग्रहण (About Surya Grahan)

दिसंबर माह में लगने वाला सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण नही होगा बल्कि आंशिक सूर्यग्रहण होगा। जिसें खंडग्रास सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस बार पड़ने वाला सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण है। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है। जब चंद्रमा पृथ्वीं और सूर्य से दूर होने के बावजूद भी पृथ्वीं और सूर्य के बीच में आ जाता है। लेकिन वह पृथ्वीं को पूर्णत: अपनी छाया में नही ले पाता बल्कि सूर्य के बाहर का कुछ हिस्सा ही प्रकाशित होता है। इस प्रकार बनने वाले ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।


सूर्य ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं (Surya Grahan Religion Importance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यग्रहण के दिन सूर्य भगवान को राहु केतु अपना ग्रास बना लेते हैं। जिसके कारण पृथ्वीं पर अंधकार छा जाता ही। सूर्यदेव को इस पीड़ा से निकालने के लिए पृथ्वीं पर जप, तप और हवन किया जाता है। क्योंकि जिस समय राहु केतु सूर्यदेव को अपना ग्रास बनाते हैं। उस समय पृथ्वीं पर तो अंधेरा छा ही जाता है। लेकिन उस समय प्राकृतिक आपदाएं, सत्ता परिवर्तन, राजा और प्रजा के बीच में तनाव भी देखने को मिलता है। इसलिए सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है।


सूर्य ग्रहण की वैज्ञानिक मान्यताएं (Surya Grahan Scientific Importance)

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण मात्र एक घटना है। जब सूर्य पृथ्वीं और चंद्रमा के बीच में आ जाता है। उस समय सूर्य ग्रहण होता है। जो केवल एक मात्र साधारण सी घटना है। जिसका आमजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन यह एक दुर्लभ नजारा होता है। जिसे नंगी आखों से नहीं देखना चाहिए। बल्कि किसी न किसी उपकरण के माध्यम से ही देखना चाहिए। जिससे आंखों पर इसका कोई बुरा असर न पड़े। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक साल में दो या तीन सूर्यग्रहण पड़ते हैं। जिसमें पूर्ण सूर्यग्रहण और आंशिक सूर्य ग्रहण भी होता है।


सूर्य ग्रहण की कथा (Surya Grahan Ki katha)

विष्णु पुराण के अनुसार जिस समय समुद्र मंथन हुआ था। उस समय देवता और असुरों के बीच अमृत को पाने के लिए झगड़ा हुआ था। इस समस्या को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। उस दिन मोहिनी एकादशी थी। जिसके बाद भगवान विष्णु ने देवाताओं और असुरों को अलग- अलग पंक्तियों में बैठा दिया। लेकिन उनमें से एक असुर देवता का रूप धारण करके देवाताओं की पंक्ति में बैठ गया। और अमृत पान कर लिया। देवों की पंक्ति में बैठे सूर्य और चंद्र ने उस असुर को पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसके बारे में बता दिया।

जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस असुर का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन अमृत पान करने के कारण उसकी मृत्यु होना असंभव था। जिसके कारण उस असुर का सिर और धड़ तो अलग हो गया। लेकिन वह मरा नहीं। शास्त्रों के अनुसार सिर वाले भाग को राहु और धड़ वाले भाग को केतु कहा जाता है। इसी वजह से सूर्य और चंद्र को राहु केतु अपना दुश्मन मानते हैं और जिसके कारण वह सूर्य को अपना ग्रास बना लेते हैं। इसलिए हर साल सूर्य ग्रहण अवश्य होता है।

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