Tulsi Vivah 2019 : जानिए तुलसी के प्रकार, किस तुलसी से करें शालिग्राम का विवाह

Tulsi Vivah 2019 : जानिए तुलसी के प्रकार, किस तुलसी से करें शालिग्राम का विवाह
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Tulsi Vivah 2019 तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के प्रतीक रूप शालिग्राम से कराया जाता है, तो आइए जानते हैं कितने प्रकार की होती है तुलसी और शालिग्राम के साथ किस तुलसी का कराया जाता है विवाह...

Tulsi Vivah 2019 तुलसी विवाह इस साल 2019 में 9 नवंबर 2019 (9 November 2019 )के दिन कराया जाएगा। इस दिन माता तुलसी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कराने की प्रथा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी कितने प्रकार की होती है और कौन सी तुलसी के साथ शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी विवाह (Tulsi Vivah ) कराने से कन्यादान जैसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है तो आइए जानते हैं कितने प्रकार की होती है तुलसी और शालिग्राम के साथ किसका कराया जाता है विवाह...


कितने प्रकार की होती है तुलसी (Tulsi Ke Prakar)

तुलसी के पौधे में अनेकों गुण पाए जाते हैं। तुलसी एक न केवल धार्मिक रूप से बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी बहुत गुणकारी मानी जाती है। क्योंकि तुलसी में अनेकों औषधिय गुण पाएं जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी कितने प्रकार की होती है और पृथ्वीं पर कितने प्रकार की तुलसी पाई जाती है। पृथ्वीं पर पांच तरह की तुलसी पाई जाती है। जिसमें रामा तुलसी, श्यमा तुलसी, स्वेत विष्णु तुलसी, वन तुलसी, नींबू तुलसी है। लेकिन घरों में मुख्य रूप से राम तुलसी या श्याम तुलसी ही रखी जाती है। शास्त्रों के अनुसार देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। तुलसी विवाह से न केवल शुभफलों की प्राप्ति होती है। बल्कि कन्यादान जैसे शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। घर में मुख्य रूप से राम तुलसी और श्याम तुलसी ही रखी जाती है। अन्य तुलसियों को घर में रखना शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं माना जाता।

किस तुलसी से करें शालिग्राम जी का विवाह ?

राम तुलसी (Ram Tulsi)

राम तुलसी में हल्के हरे रंग के पत्ते और भूरी छोटी मंजरी वाली पत्तियों वाली तुलसी को राम तुलसी कहा जाता है। इस तुलसी की टहनियां सफेद रंग की होती है। इसकी शाखांए भी श्वेतार्क वर्ण लिए होती है। इसकी गंध और तीक्षणता कम होती है। राम तुलसी का प्रयोग कई त्वचा संबंधी औषिधियों के रूप में किया जाता है। श्याम तुलसी के से ज्यादा राम तुलसी का पौधा घर में अत्याधिक मिलता है। इतना ही नहीं इस धार्मिक रूप से अधिक प्रयोग किया जाता है। माना जाता है कि जिस समय वृंदा ने अपने शरीर का त्याग किया था तो उस समय उसकी राख से जो तुलसी का पौधा उगा था। वह हल्के हरे रंग का था। यानी वह पौधा राम तुलसी था। इसलिए धार्मिक रूप से राम तुलसी का अधिक प्रयोग किया जाता है। इतना ही नहीं देवउठनी एकादशी पर शालिग्राम का विवाह जिस तुलसी से कराया जाता है। वह राम तुलसी ही होती है।


श्याम तुलसी (Shyam Tulsi)

श्याम तुलसी राम तुलसी से ज्यादा गुणकारी होती है। श्याम तुलसी को कृष्ण तुलसी या काली तुलसी भी कहा जाता है। इसके पत्ते हल्के जामुनी या कृष्ण रंग के और इसकी मंजरी जामुनी रंग की होती है। श्याम तुलसी की शाखाएं लगभग एक से तीन फुट ऊंची और बैंगनी आभा वाली होती है। इसके पत्ते एक से दो इंच लंबे एंव अंडाकार या आयताकार आकृति के होते हैं। कृष्ण तुलसी का प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोगों और कफ की समस्या के लिए होता है।


घरों में मुख्य रूप से राम तुलसी और श्याम तुलसी दोनों का ही प्रयोग किया जाता है। लेकिन अधिकतर घरों में श्याम तुलसी से ज्यादा राम तुलसी का प्रयोग किया जाता है। पूजा में श्याम तुलसी को अधिक महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन लोग इसके औषधिय गुण के कारण इसे अपने घर में अवश्य रखते हैं।




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