Tulsi Vivah 2019 : तुलसी विवाह के बाद इस मुहूर्त और विधि के अनुसार करें माता तुलसी की विदाई

Tulsi Vivah 2019 : तुलसी विवाह के बाद इस मुहूर्त और विधि के अनुसार करें माता तुलसी की विदाई
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Tulsi Vivah 2019 : तुलसी विवाह विदाई का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। माता तुलसी की विदाई विधि के अनुसार करनी चाहिए। तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ किया जाता है, इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी माता की विदाई भी की जाती है, तो आइए जानते हैं माता तुलसी की विदाई की विधि क्या है...

Tulsi Vivah 2019 तुलसी माता का विवाह इस साल 2019 में 9 नवंबर 2019 (9 नवंबर 2019) के दिन शालिग्राम जी के साथ कराया जाएगा और माता तुलसी (Mata Tulsi) की विदाई 12 नवंबर 2019 के दिन की जाएगी माता तुलसी का विवाह कराने के बाद उनकी विदाई करना अति आवश्यक होता है। तुलसी विवाह कैसे करें (Tulsi Vivah Kaise Kare), इसकी पूर्ण जानकारी होना अति आवश्यक है। क्योंकि बिना विवाई के तुलसी विवाह का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता और यदि आप माता तुलसी की विदाई की विधि नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे...


माता तुलसी का विदाई मूहूर्त (Mata Tulsi Ka Vidai Muhurat)

अभिजित मुहूर्त - 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक (12 नवंबर 2019)


माता तुलसी की विदाई की पूजन सामग्री (Mata Tulsi Vidai Ki Pujan Samigri)

फूल, माला, गंगाजल, तुलसी जी को पहनाने के लिए एक लाल रंग की चुन्नी, नारियल, पांच फल, पान का पत्ता, रोली, अक्षत, हल्दी, मीठी पूड़ी, मिठाई, गुड़, चने की दाल, घी, दीपक आदि सामग्री माता तुलसी की विदाई में होनी आवश्यक है।


माता तुलसी की विदाई की विधि (Mata Tulsi Ki Vidai Vidhi)

1. कार्तिक पूर्णिमा यानी तुलसी माता की विदाई के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।

2. सबसे पहले जिस तुलसी के पौधे की आपने शालिग्राम जी से विवाह कराया था। उसके पास वाली जगह को अच्छी तरह से साफ कर लें।

3. इसके बाद उस तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से सजाएं और उस स्थान पर जहां आप पूजा कर रहे हों वहां पर रंगोली बनाएं।

4. इसके बाद गंगाजल से आचमन करें और तुलसी जी को लाल रंग की चुन्नी पहनाएं।

5. इसके बाद रोली और हल्दी से माता तुलसी का तिलक करें। उन्हें अक्षत चढ़ाएं और उन्हें फूलों की माला पहनाएं।

6.इसके बाद माता तुलसी को फूल अर्पित करें और माता तुलसी के चारों और फूलों से सजावट करें।

7. इसके बाद माता तुलसी को सभी श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें और सिंदूर अर्पित करें

8. सिंदूर को हमेशा 5 या 7 बार चढ़ाएं और माता तुलसी को चने की दाल और गुड़ का भोग लगाएं।

9. इसके बाद घी का दीपक तुलसी जी के आगे जलाएं और धूप व अगरबत्ती भी जलाएं।

10.इसके बाद माता तुलसी की कथा पढ़ें और भजन कीर्तन आदि करें।

11. इसके बाद पान का पत्ता लें और उसमें सभी भोग की चीजें रखकर मां तुलसी को अर्पित करें।

12. आपने घर में जो भी माता के लिए भोग बनाया है उसके साथ सभी फल भी माता तुलसी को अर्पित करें।

13. इसके बाद लाल कपड़े में लपेट कर नारियल माता तुलसी को अर्पित करें।

14. इसके बाद घंटी बजाकर और गंगाजल छिड़ककर तीन बार आचमन करें।

15. इसके बाद मां तुलसी की दीप जलाकर आरती करें और मां को आरती देने के बाद घर के सभी सदस्य आरती लें।

16. इसके बाद मां तुलसी से जाने अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।

17. इसके बाद किसी भी समान को तुरंत न उठाएं। उसे एक दिन तक वहीं पर रखा रहने दें।

18. इसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं और तुलसी माता को भोग गाय को खिला दें।

19. इसके बाद अगले दिन तुलसी माता का वह पौधा किसी मंदिर में देकर आ जाएं और पंडित के पैर छुकर आर्शीवाद लें।

20. इस दिन दान को भी विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए किसी गरीब या ब्राह्मण को दान अवश्य दें।

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