Vaisakhi 2020 Mai Kab Hai : बैसाखी 2020 में कब है, जानिए संक्रांति क्षण, महत्व और कैसे मनाते हैं यह त्योहार

Vaisakhi 2020 Mai Kab Hai : बैसाखी का त्योहार पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है, असम में बैसाखी को बिहु, केरल में विशु और बंगाल में पोईला बैसाख कहकर मनाते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार इसी दिन मां गंगा भी धरती पर अवतरित हुई थीं तो चलिए जानते हैं बैसाखी 2020 में कब है, बैसाखी संक्रांति क्षण,बैसाखी का महत्व और कैसे मनाते हैं बैसाखी का त्योहार।
बैसाखी 2020 तिथि (Vaisakhi 2020 Tithi)
13 अप्रैल 2020
बैसाखी 2020 संक्रांति क्षण (Vaisakhi Sankranti Shan)
बैसाखी संक्रान्ति का क्षण - रात 8 बजकर 39 मिनट
बैसाखी का महत्व (Vaisakhi Importance)
बैसाखी के त्योहार को फसलों से जोड़कर देखा जाता है। यह त्योहार पंजाब और हरियाणा के साथ ही पूरे भारत वर्ष मे मनाया जाता है। इस दिन सूर्य का गोचर मेष राशि में होता है। इसलिए इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि बैसाखी के दिन ही खालसा पंथ के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी ने सन् 1699 में आनंदपुर साहिब में खालसा पंत की शुरूआत की थी। उस समय खालसा पंथ की शुरूआत लोगों को मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए की गई थी।सिर्फ पंजाब में ही नहीं बल्कि असम में भी इस त्योहार को फसल काटकर मनाया जाता है।
यहां पर इस त्योहार को बिहु के नाम से मनाया जाता है। इसके अलावा बंगाल में बैसाखी को पोईला बैसाख कहकर मनाया जाता है। इस दिन से ही बंगाली लोगों का नया साल भी प्रारंभ होता है। केरल में बैसाखी को विशु कहा जाता है। हिंदू धर्म में भी इस दिन को अति विशेष माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन मां गंगा धरती पर उतरी थीं। इसी कारण से इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन मां गंगा की भी विशेष पूजा अर्चना करके उनकी आरती उतारी जाती है।
कैसे मनाई जाती है बैसाखी (Kaise Manayi Jati Hai Vaisakhi)
बैसाखी की तैयारियां काफी समय पहले से ही शुरू कर दी जाती है। लोग बैसाखी के मौके पर अपने घरों की साफ- सफाई करके उसे स्वच्छ बनाते हैं और अपने घरों को सजाते हैं। बैसाखी के दिन सिख समुदाय के लोग स्नान आदि करके गुरुद्वारे मथा टेकने के लिए जाते हैं। इस दिन गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ भी कराया जाता है। इसके साथ ही इस दिन भजन कीर्तन भी कराए जाते हैं। पंजाबी लोग इस दिन ढोल बजाकर भांगड़ा नृत्य करके खुशी मनाते हैं।
हिंदू धर्म में भी इस दिन को अधिक महत्व दिया जाता है। बैसाखी के दिन नदियों किनारे मेले का आयोजन किया जाता है। लोग इस दिन पवित्र गंगा नदी में डूबकी लगाते हैं। माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर धरती पर अवतरित हुई थीं। इसी कारण इस दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। बैसाखी के दिन ही सूर्य का मेष राशि में गोचर होता है जो सूर्य की उच्च राशि मानी जाती है।
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