Vaisakhi 2020: 13 अप्रैल को है बैसाखी, जानिए शुभ महुर्त और परंपरा

Vaisakhi 2020: 13 अप्रैल को है बैसाखी, जानिए शुभ महुर्त और परंपरा
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वैशाखी पर्व पूरे उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है यह पर्व सिख धर्म के लोगो के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसी दिन रवि फसल की कटाई भी होती है।

Vaisakhi 2020: हिन्दी पंचाग के अनुसार पहला महीना चैत्र और दूसरा महीना वैशाख का होता है। वैशाख माह में आने वाले महत्वूर्ण पर्व वैशाखी है। वैशाखी का आगमन पृथ्वी के परिवर्तन के दर्शाता है। इस बार वैशाखी इस दिन सर्य मीन राशि से मेश राशि में प्रवेश करेगा। वैशाखी का पावन पर्व हिंदुओं और सिखों का एक प्रमुख पर्व है। यह प रवि की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक भी है | पून्य काल की शुरुआत सुबह 7.10 बजे शुरू होगी। इससे लोग दिनभर दान पूजन का लाभ ले सकेंगे। इस पर्व के अलग अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है। केरल में विश्य कहलाता है, बंगाल में इसे नव वर्षा और बिहार में इसे बैसाख के नाम से पुकारा जाता है। वैसाखी का पर्व पंजाब के साथ साथ पूरे उत्तर भारत में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। आज हम आपको वैसाखी का शुभ महुर्त और परंपरा के बारे में बताएंगे।

वैशाखी 2020 शुभ महुर्त

शुभ महुर्त - सुबह 7.10 बजे से

वैशाखी 2020 परंपरा

किसानों के लिए महत्वपूर्ण दिन वैशाखी का संबंध फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है इसी दिन गेहूं की पकी फसल को काटने की शुरुआत होती है। किसान इसलिए खुश है कि फलस की रखवाली करने की चिंता खत्म हो गई है इस दिन सुबह उठकर नहा धोकर मंदिर और गुरूद्वारों में जाकर भगवान को अच्छी फसल मिलने के लिए धन्यवाद देते हैं। इस पर्व पर पंजाब के लोग अपनी रिति रिवाज के अनुसार भागड़ा करते हैं।

खालसा पंत की स्थापना वैसाखी के दिन ही दिन 13 अप्रैल 1699 को सिखों के 10वें गुरू गुरू गोविंद सिंह जी ने खालसा पंत की स्थापना की थी। सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिन के रूप में मनाते हैं।

मौसम के बदलाव पर्व वैशाखी का पर्व जब आता इस समय सर्दी की समाप्ति और गर्मियों का आगमन होता है। इसी के आधार स्वरुप यह एक परंपरा धर्म और प्रकृति के परिवर्तन से जुड़ा यह समय वैशाखी पर्व की महत्वता को दर्शाता है।

व्यापारियों के लिए यह अहम दिन होता है। इस दिन देवी दुर्गा और भगवान शंकर की पूजा होती है। कई जगह व्यापारी लोग आज के दिन नए कपडे पहन कर अपने बही खातों का आरंभ करते हैं।

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