Varuthini Ekadashi 2019: वरूथिनी एकादशी के दिन भूलकर भी ना करें ये 10 गलतियां

Varuthini Ekadashi 2019: वरूथिनी एकादशी के दिन भूलकर भी ना करें ये 10 गलतियां
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Varuthini Ekadashi 2019: वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) को मोक्ष प्रदायनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के वाराह अवतार की पूजा - अर्चना की जाती है। अगर आप यह नहीं जानते कि वरुथिनी एकादशी कब है तो आज हम आपको यह पूरी जानकारी देंगे। यह एकादशी कल यानी 30 अप्रैल 2019 को है।इस एकादशी के व्रत से समस्त पाप व ताप नष्ट होते हैं।लेकिन इस व्रत में कुछ सावधानियां भी हैं। अगर आप इन सावधानियों के बारें में नहीं जानते तो हम आपको इसके बारें में बतायेंगे। जिससे आपको इस व्रत का पूरा लाभ मिल सके और आप भी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकें। तो चलिए जानते हैं वरुथिनी एकादशी पर रखी जाने वाली सावधानियां।

Varuthini Ekadashi 2019: वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) को मोक्ष प्रदायनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के वाराह अवतार की पूजा - अर्चना की जाती है। अगर आप यह नहीं जानते कि वरुथिनी एकादशी कब है तो आज हम आपको यह पूरी जानकारी देंगे। वरूथिनी एकादशी 2019 (Varuthini Ekadashi 2019) में कल यानी 30 अप्रैल 2019 को है। इस एकादशी के व्रत से समस्त पाप व ताप नष्ट होते हैं। यह एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष को मनाई जाती है। इसे वरूथिनी ग्यारस भी कहते हैं। माना जाता है इस व्रत के पुण्य का हिसाब-किताब रखने की क्षमता तो जगत के समस्त प्राणियों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त तक में नहीं है। मान्यता है कि इस लोक के साथ-साथ व्रती का परलोक भी सुधर जाता है। इसलिए इस व्रत की महिमा और भी बढ़ जाती है। लेकिन इस व्रत में कुछ सावधानियां भी हैं। अगर आप इन सावधानियों के बारें में नहीं जानते तो हम आपको इसके बारें में बतायेंगे। जिससे आपको इस व्रत का पूरा लाभ मिल सके और आप भी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकें। तो चलिए जानते हैं वरुथिनी एकादशी पर रखी जाने वाली सावधानियां।



वरुथिनी एकादशी की सावधानियां Varuthini Ekadashi Ten precautions

1.एकादशी के व्रत में धातु की प्लेट में भोजन करना अशुभ माना गया है। इसलिए साधक को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

2. वरूथिनी एकादशी के दिन मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिेए।

3. इस दिन शहद का सेवन निषेध है। इसलिए किसी भी प्रकार से शहद का सेवन करें।

4. व्रत की अवधि में शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए।

5.एकादशी के दिन सुबह लकड़ी का दातुन न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें, वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी ‍वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें।



6.दशमी तिथि से ही ब्रह्मचर्य का पालन करें और भोग- विलास से दूर रहें।

7. भगवान वाराह के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय भूभुर्व: स्व: स्यात्पते भूतित्वं देह्येतद्दापय स्वाहा।।

8.भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें और कहे कि- हे त्रिलोकीनाथ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना।यदि भूलवश किसी निंदक से बात कर भी ली तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्री‍हरि की पूजा कर क्षमा मांग लेना चाहिए।

9.एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। न नही अधिक बोलना चाहिए। अधिक बोलने से मुख से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं।

10. इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण न करें। दशमी के साथ मिली हुई एकादशी वृद्ध मानी जाती है। जिसमें पूर्ण लाभ मिलता है।

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