Yogini Ekadashi 2019 : जानें कब है योगिनी एकादशी 2019 में और क्या है योगिनी एकादशी व्रत कथा

Yogini Ekadashi 2019 : विष्णु पुराण (Vishnu Puran) के अनुसार योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) को सभी पापों से मुक्त कराने वाली एकादशी के नाम से जाना जाता है। जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत (Yogini Ekadashi Vrat) रखता है । उसे अपने जीवन के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं अगर किसी व्यक्ति को कोई असाध्य रोग हुआ है और वह ठीक नहीं हो रहा है तो योगिनी एकादशी का व्रत करने उस व्यक्ति का वह असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है। योगिनी एकादशी का पुण्य फल से व्यक्ति को जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।योगिनी एकादशी साल 2019 में 29 जून 2019 शनिवार के दिन पड़ रही है। अगर आप भी योगिनी एकादशी का व्रत करना चाहते हैं और आपको योगिनी एकादशी व्रत की कथा के बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए योगिनी एकादशी की व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha) के बारे में.....
योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार स्वर्गलोक में अलकापुरी नगरी में कुबेर नाम का राजा राज करता था। वह एक बहुत बड़ा शिव भक्त था और बड़ी ही श्रद्धा से भगवान शिव का पूजन किया करता था। राजा ने पुष्प लाने का काम हेम नाम के माली को सौंप रखा था।
हेम का विवाह विशालाक्षी नाम की स्त्री से हुआ था । जो देखने में काफी सुंदर थी । दोनों एक -दूसरे से बहुत अधिक प्रेम करते थे। एक दिन राजा कुबेर के लिए माली हेम पुष्प लेने जब बागीचे में पहुंचा तो उसकी पत्नी भी वहीँ थी। अपनी पत्नी विशालाक्षी की सुन्दरता को निहारते और उससे बातें करते हुए कब पूजा का समय बीत गया उसे पता ही नहीं चला।
राजा पूजा के लिए हेम की राह देखता रहा और जब वह समय पर नहीं पहुंचा को वह उस पर बहुत क्रोधित हुआ। इसके बाद राजा ने हेम को खोजने के लिए अपने सैनिकों को भेजा। सैनिकों ने जब कुबेर को माली के समय पर न आने का कारण बताया तो क्रोधित होकर उसने माली को श्राप दे दिया।
जिसके कारण हेम ने पृथ्वीलोक पर एक कोढ़ी के रूप में जन्म लिया, परन्तु पिछले जन्म की सभी घटनाएं उसे याद रहीं। रोगी काया और पत्नी से विछोह के कारण हेम बहुत दुखी था। एक दिन चलते -चलते हेम मार्कंडेय ऋषि के आश्रम पहुंचा। उसकी दशा देखकर ऋषि को उस पर दया आ गई । जब ऋषि ने उसकी इस दुर्दशा का कारण पूछा तो उसने सारी घटना का ऋषि को बताई।
उसके बाद मार्कंडेय ऋषि ने हेम को योगिनी एकादशी का महत्व और उसकी व्रत विधि बताई । मार्कंडेय ऋषि ने हेम को यह व्रत करने के लिए कहा। हेम ने भी श्रद्धापूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया और अपने कोढ़ी स्वरूप से मुक्त हो गया । इसके बाद उसकी पत्नी भी पुन: उसके पास वापस आ गई और दोनों खुशी -खुशी आनंद के साथ रहने लगे।
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