जल्द बंद होने वाली है ऐपल को टक्कर देने वाली ये कंपनी, जानिए किन कारणों से उठाना पड़ रहा इतना बड़ा कदम

नई दिल्ली। चीनी स्मार्टफोन कंपनी हुवावे (Huawei) अपने मजबूत और किफायती दामों के लिए जाने जाते हैं। इस कंपनी का मार्किट में अलग दबदबा रहा है क्योंकि कंपनी के पास आला दर्जे के टेलीकॉम उपकरण थे। 5G तकनीक की बात करें तो इस मामले में भी कंपनी की बाकी कंपनियों से बहुत आगे है। मगर अब चीनी सेना के साथ कनैक्शन के चलते हुवावे को अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में प्रतिबंध का सामना करना पड़े। इस सबके बाद कंपनी की माली हालत खराब हो गई है। ऐसे में कंपनी के संस्थापक रेंग झेंगफेई ने कंपनी को बेचने का निर्णय लिया है। हुवावे टेक्नोलॉजीज कंपनी लिमिटेड को अपने प्रीमियम स्मार्टफोन ब्रांड P और मेट (Mate) को बेचने के लिए बातचीत कर रही है। हालांकि अभी बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ है।
प्रीमियम स्मार्टफोन से बाहर निकलने की तैयारी में कंपनी
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, हुवावे कंपनी की खरीदारी की बातचीत शंघाई सरकार समर्थित कंसोर्टियम से चल रही है। हुवावे के P ब्रांड और मेट ब्रांड की बिक्री से यह पता चलता है कि कंपनी प्रीमियम स्मार्टफोन से बाहर निकलने की तैयारी कर रही है। अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। वर्तमान समय में कंपनी स्मार्टफोन्स के लिए किरीन चिप्स का काम इन-हाउस कर रही है। अन्य सूत्र के मुताबिक, Huawei ने पिछले साल सितंबर में ब्राण्ड्स को बेचने की संभावनाएं तलाशनी शुरू की थी।
करीब 1 लाख 80 हज़ार कर्मचारी करते हैं काम
हुवावे की शुरुआत 1987 में हुई थी। कंपनी में करीब 1 लाख 80 हज़ार कर्मचारी काम करते हैं। सैमसंग के बाद हुवावे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सप्लायर है। कंपनी का स्मार्टफोन मार्केट पर 18 फीसदी कब्जा है जो एप्पल और अन्य स्मार्टफोन कंपनी के मार्केट शेयर से अधिक है। Huawei कंपनी के संस्थापक रेंग झेंगफेई कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्य रहे हैं और साथ ही वे 9 साल तक चीनी सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी में काम कर चुके हैं। रेन झेंगफेई साल 1974 में चीनी सेना में एक इंजीनियर के तौर पर काम शुरू किया था। 1987 में हुवावे कंपनी की नींव रखी गई थी।
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