प्राइवेट नौकरी छोड़ने के बाद भी PF निकालने की ना करें भूल, रिटायरमेंट के बाद जीवन होगा खुशहाल

प्राइवेट नौकरी छोड़ने के बाद भी PF निकालने की ना करें भूल, रिटायरमेंट के बाद जीवन होगा खुशहाल
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क्या आप भी नौकरी छोड़ने या फिर नौकरी बदलने के साथ ही प्रोविडेंट फंड निकालने की भूल तो नहीं कर रहे हैं। ऐसा करने से आप अपना बड़ा नुकसान कर रहे हैं। आइए इस खबर में आपको एम्‍प्‍लॉय प्रॉविडेंट फंड के सही नियमों की जानकारी देते हैं।

क्या आप जानते हैं कि नौकरी छोड़ने के साथ ही पीएफ (Provident Fund) फंड को निकालना काफी नुकसान वाला कदम है। प्राइवेट सेक्टर (private sector) में काम करने वाले लोग जल्दी-जल्दी अपनी नौकरी बदलते रहते हैं। नौकरी छोड़ने या बदलने के साथ ही कर्मचारी (Employees) तुरंत ही एम्‍प्‍लॉय प्रॉविडेंट फंड (EPF) निकाल लेते हैं। लेकिन नियमों को देखें तो ऐसा करना बिल्कुल ही नुकसान का सौंदा है।

दरअसल, नौकरी छूटने के बाद भी PF पर ब्याज मिलता रहता है। समझने वाली बात यह है कि कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) राशि में अन्य किसी भी तरह के डिपोजिट से ज्यादा ब्याज मिलता है। इसका सीधा सा मतलब है कि आपकी PF राशि लगातार बढ़ेगी। अगर आपको कुछ ही समय बाद नई नौकरी मिल जाती है तो आप पुरानी कंपनी की पीएफ राशि को नई कंपनी के EPF अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे पेंशन योजना की निरंतरता बनी रहेगी।

साल 2013 के नियम की मानें तो 36 महीनों तक कर्मचारी पीएफ खाते में कोई राशि जमा नहीं करता है तो उसके खाते को निष्क्रिय कर दिया जाता है। लेकिन साल 2016 में नियम को वापस ले लिया गया। अब एक्टिवेट और डिएक्टिवेट दोनों अकाउंट में ब्याज दिया जाएगा। सीधा सा मतलब है कि कंपनी छोड़ने बाद भी पीएफ खाते से ब्याज मिलता रहेगा।

इसके अलावा, अगर रिटायर्ड कर्मचारी (58 साल की उम्र) अगर पीएफ की जमा राशि को निकालने के लिए आवेदन नहीं करता है तो इस स्थिति में भी खाता निष्क्रिय हो जाता है। खाते के निष्क्रिय होने के बाद पीएफ राशि पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगना शुरू हो जाता है।

PF राशि निकालने की शर्तें

पीएफ राशि को बीच में नौकरी छोड़ने के दो महीने बाद और रिटायरमेंट के बाद प्राप्त किया जा सकता है। पीएफ का पूरा पैसा 58 साल की उम्र में रिटायरमेंट के बाद निकाला जा सकता है। इसके अलावा नौकरी छोड़ने के एक महीने बाद भी पीएफ का 75 फीसदी पैसा निकाला जा सकता है। बता दें कि EPF ब्याज दर 8.5 प्रतिशत प्रति वर्ष होता है। योजना के तहत राशि कर्मचारी और कंपनी हर महीने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 प्रतिशत होता है।

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