Haribhoomi Explainer: डीजल वाहनों पर बैन लगते ही अर्थव्यवस्था की स्पीड होगी दोगुनी, सऊदी भी छूट जाएगा पीछे

Haribhoomi Explainer: डीजल वाहनों पर बैन लगते ही अर्थव्यवस्था की स्पीड होगी दोगुनी, सऊदी भी छूट जाएगा पीछे
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Haribhoomi Explainer: सड़कों पर सरपट दौड़ती डीजल गाड़ियां शायद कुछ समय बाद न देखने को मिले। सरकार के एक पैनल ने 10 लाख या उससे अधिक आबादी वाले शहरों तथा प्रदूषित शहरों में चलने वाली चार पहिया डीजल वाहनों पर 2027 तक रोक लगाने की सिफारिश की है। आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर में बताने जा रहे हैं कि क्या सच में डीजल के वाहन भारत में बैन हो जाएंगे और सरकार ऐसा क्यों कर रही है।

Haribhoomi Explainer: कुछ समय बाद शायद आपको सड़कों पर सरपट दौड़ती डीजल गाड़ियां न देखने को मिलें। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum and Natural Gases) के द्वारा गठित एक पैनल ने अपने एक सुझाव में डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है। इस पैनल ने 10 लाख या उससे अधिक आबादी वाले शहरों तथा प्रदूषित शहरों में चलने वाली चार पहिया डीजल वाहनों पर 2027 तक रोक लगाने की सिफारिश की है। उत्सर्जन को रोकने के लिए इनके स्थान पर गैस से चलने वाले व इलेक्ट्रिक वाहनों को लाने की बात भी कही गई है। ये प्रस्ताव पूर्व पेट्रोलियम सेक्रेटरी तरुन कपूर ने रखा, जो की एनर्जी ट्रांजिशन कमेटी की अध्यक्षता कर रहे हैं।

दरअसल, भारत ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है। इस रिपोर्ट में एनर्जी ट्रांजिशन का पूरा प्लान बताया गया है। सिटी ट्रांसपोर्ट में भी डीजल बसों को आगामी 2024 से न जोड़े जाने की बात इस रिपोर्ट में कही गई है। साथ ही, कहा गया है कि 2030 तक किसी भी सिटी बस को शामिल नहीं किया जाएगा, जो इलेक्ट्रिक नहीं होंगी। इस रिपोर्ट में भारत के एनर्जी ट्रांजिशन के प्लान के बारे में समझाया गया है। इस प्लान के मुताबिक भारत अपने शुद्ध शून्य (Net Zero) लक्ष्य को 2070 तक प्राप्ति करने की ओर तेजी से अग्रसर होगा।

पेट्रोल और डीजल में क्या है अंतर

पेट्रोल और डीजल दोनों ही खनिज तेल से बने होते हैं, लेकिन पेट्रोल में हाइड्रोकार्बन की मात्रा कम होती है, जबकि डीजल में इसकी मात्रा बहुत अधिक होती है। दोनों के शोधन के तरीके भी अलग-अलग होते हैं। डीजल के उपयोग से कार्बन डाईआक्साइड (CO2) गैस उत्सर्जित होती है। इससे ओजोन परत, ग्रीन हाउस इफेक्ट, एसिड रेन जैसी पर्यावरण की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। हालांकि पेट्रोल की अपेक्षा ये कम कार्बन उत्सर्जित करता है।

क्यों करना चाहती है सरकार डीजल गाड़ियों को बैन

पेट्रोल वाहनों की तुलना में डीजल वाहन कम CO2 गैस उत्पन्न करते हैं, लेकिन उच्च स्तर के पार्टिकल मैटर (PM) का उत्सर्जन करते हैं। वोक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रकार के प्रदूषण में अधिक समय तक रहने से दिल और फेफड़ों की बीमारी, अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। यहां तक की समय से पहले आपकी मृत्यु भी हो सकती है। कार निर्माता कंपनियां इससे पहले से ही डीजल से चलने वाले वाहनों पर निर्भरता कम कर रही हैं। मारुती सुजुकी कंपनी ने 1 अप्रैल 2020 से ही डीजल वाहनों का उत्पादन बंद कर दिया है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए और वायु प्रदूषण संकट सहित कई कारकों से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा ये निर्णय लिया जा सकता है।

डीजल वाहन बंद करने के क्या हैं फायदे

  • वायु प्रदूषण में कमी।
  • पार्टिकुलेट मैटर में कमी, जिससे दिल, फेफड़े और सांस की बीमारियाें कम हों।
  • अन्य देशों से आयात होने वाले कच्चे तेल की खपत में कमी होगी।
  • कच्चे तेल के लिए अन्य देशों पर भारत की अधिक निर्भरता कम होगी।
  • इलेक्ट्रिक और गैस चलित वाहनों का उपयोग बढ़ेगा। पेट्रोल-डीजल की बचत होगी।

इन देशों में भी बैन हो चुके हैं डीजल वाहन

पर्यावरण की बेहतरी के लिए विश्वभर के देश नई पहल चलाते रहते हैं। उसी कड़ी में डीजल व पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों को बंद करना या उनका उपयोग कम करना शामिल है। भारत से पहले कई देशों ने इस पर काम शुरू कर दिया है, जिसमें यूरोप, जर्मन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन जैसे देशों ने भी डीजल व पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा चुके है या उनके प्रयोग को कम करने की ओर अग्रसर हैं।

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