अब घटतौली और कम सामान देने पर जेल की जगह होगा भारी जुर्माना, लाइसेंस रद्द की भी कार्रवाई

अगर आप को कोई दुकानदार सामान की तौल यानि उसे माप में चोरी कर रहा है। तो उसे जेल की जगह जुर्माना और लाइसेंस रद्द की कार्रवाई होगी। इस बदलाव की तैयारी केंद्र सरकार द्वारा विधिक माप विज्ञान अधिनियम को गैर आपराधिक बनाने के लिए की जा रही है। जिसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। अब कोई भी कंपनी, दुकानदार या डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा किसी भी सामान पर अधिक वसूली या कम तौल पर दी जाती है। उस पर कम से कम 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं दूसरी या तिसरी बार ऐसा होने पर इस जुर्माने की राशि में चार से 10 गुणा इजाफा किये जाने के साथ ही लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा। वहीं सरकार इसमें कुछ प्रावधान जोड़ने को लेकर प्रस्ताव तैयार कर रही है।
दरअसल, केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम (एलएम एक्ट 2009) को गैर आपराधिक (डिक्रिमिनेलाइजेशन) बनाने के लिए लोगों से राय मांगी है। मंत्रालय के अनुसार, आपराधिक प्रक्रिया या जेल पहुंचाने की जगह दुकानदार समेत किसी भी कंपनी या डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा बिना जांच वाले बाट इस्तेमाल करने पर जुर्माने की राशि को दस लाख रुपये तक किया सकता है। अभी तक पहली बार गलती करने पर जुर्माना और दूसरी बार छह माह तक की जेल और जुर्माना दोनों शामिल थे। इसके साथ वजन या माप के साथ छेड़छाड़ पर भी दस लाख रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है। अब जेल में छूट देकर ऐसे मामलों में जुर्माना और लाइसेंस रद्द की प्रक्रिया कराने का प्रस्ताव पेश किया गया है।
ऐसे मामलों में यदि अपील के बाद कंपाउंडिग नहीं की जाती है, तो केंद्र या राज्य सरकार द्वारा लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अभी ऐसे मामलों में पहली बार जुर्माना और दूसरी बार शिकायत मिलने पर छह से एक साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह बिना जांच के तौल या माप यंत्र बेचने पर भी जेल की सजा को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है।
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