दवाई और सब्जियों के बाद दालों पर भी बढ़ी महंगाई, 20 से 30 प्रतिशत का हुआ इजाफा

लॉकडाउन के बाद से जहां जीडीपी दर लगातार नीचे की तरफ जा रही है। वहीं खाद्य वस्तुओं में तेजी उछाल आया है। यही वजह है कि अब सब्जी से लेकर दाल के दामों में आए उछाल ने सरकार की चिंता बढा दी है। इसकी वजह लॉकडाउन के बाद से लगातार दाल की कीमतों में तेजी आ रही है। पिछले साल की तुलना में इस अवधि में दालों की कीमतों में 20 से 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जो सरकार के लिए सिर का दर्द बन गया है।
दिल्ली एनसीआर में खुदरा दुकानों पर तेज हुए दालों के रेट
दरअसल, खास तौर पर दिल्ली-एनसीआर में खुली मार्केट की बात करें तो यहां खुदरा दुकानदार दालों के कीमतों में भारी तेजी बता रहे हैं। इसकी वजह वह इसके कम उत्पादन का हवाला दे रहे हैं। वहीं पहले के मुकाबले ज्यादा कीमतें बढ़ाकर वसूल रहे हैं। लॉकडाउन के बाद से ही दालों की प्रति किलो कीमत में 15 से 20 रुपये तक बढ़त दर्ज की गई है। जबकि बीते वर्ष की बात करें तो इसी समय में चना दाल की कीमत 70-80 रुपये प्रति किलो थी, लेकिन अब यह दाल 100 से 110 रुपये प्रति किलो से भी अधिक महंगी बेची जा रही है।
दाल की कीमतों में गिरावट के नहीं हैं कोई आसार
मार्केट की मानें तो लॉकडाउन खुलने के एक दो माह बाद यानि जुलाई तक अरहर की दाल में प्रति क्विटल 600 रुपये, उड़द दाल में 500 रुपये और मूंग की दाल में 800 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की जा चुकी है। वहीं दुकानदार इसकी वजह कोरोना संक्रमण की वजह से दालों की पैदावार में कमी होना बता रहे हैं। जानकारों का दावा है कि नया स्टॉक कम होने और पुराने के खत्म होने से दालों की दामों में पहले के मुकाबले तेजी आई है। थोक कीमतें ज्यादा होने से खुदरा कीमतों पर असर पड़ रहा है। इसी तरह टमाटर से लेकर आलू और प्याज के दामों में भी तेजी दर्ज की गई है।
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