सिक्के लेने से बच रहे हैं लोग फिर भी रिजर्व बैंक अपनी जेब से दे रहा इतना इंसेंटिव, जानने के लिए पढ़ें ये खबर

अब से कुछ साल पहले 1, 2 और 5 के सिक्के (Coin) के लिए लोग अधिक रुपये देने के बाद जब सिक्के लेते थे। लेकिन अब समय से साथ-साथ लोग बदल रहे है। आज कल जब लोगों को किसी वजह से दूकानों (Shop) व अन्य जगह पर सिक्के में 1,2,5 और 10 के सिक्के दिए जाते हैं तो रुपये लेने से पहले उनका मुंह बन जाता है। आज कल लोग सिक्के लेने से घबराते हैं। वहीं कई जगह देख जाता है कि लोग यह कहकर सिक्के नहीं लेते कि यह अब नहीं चल रहे हैं। लेकिन ऐसा बिल्कूल भी नहीं है।
अब हालात बदल गए हैं या यूं कहें कि उलट गए हैं। अब तो मांग इतनी कम हो गई है कि रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के पास सिक्कों का अंबार सा लग गया है, तभी तो केंद्रीय बैंक ने सिक्कों के बैग पर बैंकों को दिया जाने वाला इंसेंटिव (Incentive) तीन गुना तक बढ़ा दिया है। रिजर्व बैंक का कहना है कि क्लीन नोट पॉलिसी के तहत केंद्रीय बैंक की तरफ से बैंकों को सिक्के मुहैया कराए जा रहे हैं।
इतना दिया जा रहा है इंसेंटिव
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक की तरफ से अभी तक बैंकों को सिक्कों के प्रति बैग पर 25 रुपये का इंसेंटिव दिया जाता था। यानी एक बैग सिक्के लेने पर बैंक को 25 रुपये इंसेंटिव के रूप में अलग से दिए जाते थे। अब बैंक ने यह इंसेंटिव बढ़ाकर 65 रुपये कर दिया है। वहीं अगर बैंक इन सिक्कों को गांव या सेमी-अरबन इलाकों में बांटता है तो उसे 10 रुपये प्रति बैग के हिसाब से अतिरिक्त इंसेंटिव दिया जाएगा।
इसलिए बढ़ाना पड़ा इंसेंटिव
रिजर्व बैंक को पिछले कुछ सालों में सिक्कों का चलन कुछ कम हुआ है, जिसकी कई वजहें हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह तो यही है कि लोगों ने डिजिटल ट्रांजेक्शन पर जोर देना शुरू कर दिया है। सरकार भी डिजिटल ट्रांजेक्शन पर जोर दे रही है। वहीं तमाम मोबाइल वॉलेट कंपनियां डिजिटल ट्रांजेक्शन पर तमाम तरह के डिस्काउंट और कैशबैक भी देती हैं। वहीं महंगाई बढ़ने की वजह से बहुत सी चीजों की कीमतों में एक-दो रुपये के कोई मायने नहीं रहे। इस वजह से भी सिक्कों का चलन कुछ कम हुआ है।
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