मोरेटोरियम के दौरान ईएमआई पर नहीं दी जा सकती ब्याज पर छूट, रिजर्व बैंक ने बताई ये वजह

लॉकडाउन के बीच ईएमआई भुगतान पर रोक मोरेटोरियम (Moratorium) के दौरान उस पर लगने वाले ब्याज को लेकर ज्यादातर लोग परेशान हैं। ऐसे में लोग चाहते हैं कि मोरेटोरियम के साथ ही इस अवधि में लोन की ईएमआई पर लगने वाले ब्याज पर भी छूट दी जाये। इतना ही नहीं इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी लगाई गई थी। जिसके जवाब आरबीआई ने दे दिया है। जिसमें आरबीआई ने बताया कि ईएमआई पर ब्याज माफ करना मुमकिन नहीं है। ऐसा करने पर (Banking Sector) बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता पर भारी असर पड़ेगा। इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी भारी चोट पहुंचेगी।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी गजेंद्र शर्मा ने लॉकडाउन के बीच मोरेटोरियम में (Loan Emi Interest) ईएमआई पर ब्याज वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने ईएमआई पर ब्याज में छूट की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा था केंद्र सरकार और (आरबीआई) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से मोरेटोरियम की अवधि के दौरान ब्याज की वसूली पर जवाब देने को कहा था। इसी याचिका का जवाब देते हुए आरबीआई ने बताया कि EMI से मोहलत की अवधि में इस पर ब्याज माफ करना आसान नहीं है। इसकी वजह इसे रोकने पर बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता पर बुरा असर पड़ेगा। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि लोन मोरेटोरियम में ब्याज माफ करने से 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। यह नुकसान (जीडीपी) के 1 प्रतिशत के बराबर का है।
आरबीआई का दावा ग्राहकों के फायदें में ईएमआई पर ब्याज
वहीं आरबीआई ने अपने जवाब में कहा कि बैंकों के नियमन के प्राप्त अधिकार की बात है तो वह बैंकों में जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता बनाये रखने को लेकर कटिबध हैं। साथ ही इसके लिए जरूरी है कि बैंक वित्तीय तौर पर मजबूत और मुनाफे में हों। अगर ईएमआई पर ब्याज माफ किया जाता है। तो इस पर बैंक ग्राहकों के खातों में जमा भुगतान पर लगने वाले जमा राशि पर भी फर्क पडेगा। वहीं रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण तीन माह के बाद अब एक बार और तीन माह के लिए मोरेटोरियम को बढा दिया है। यह फैसला बैंकों ने अपने ग्राहकों के हितों में उनकी समस्या को देखते हुए किया है।
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