आरबीआई गवर्नर ने 2021-22 के लिए 10.5% GDP का जताया अनुमान, ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव

मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank Of India) की तरफ से आम लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। RBI ने वित्त वर्ष 2021-22 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। वहीं अर्थव्यवस्था (Economy) में सुधार की उम्मीद जताते हुए आरबीआई ने दूसरी ओर वित्त वर्ष 2021-22 में GDP में 10.5 फीसदी के ग्रोथ का अनुमान लगाया है।
मौद्रिक नीति पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governer Shaktikant Daas) ने कहा कि कोरोना के बावजूद देश की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। देश में जिस तरह से मामले बढ़े हैं, उससे थोड़ी अनिश्चितता बढ़ी है। लेकिन भारत चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। बता दें कि 5 फरवरी को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। उस वक्त भी रेपो 4% और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा था।
पेट्रोलियम उत्पादों पर घरेलू करों से मिली राहत
दास ने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा समन्वित प्रयासों से पेट्रोलियम उत्पादों पर घरेलू करों से कुछ राहत मिली है। हालांकि, कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और लॉजिस्टिक लागतों के चलते विनिर्माण और सेवाएं महंगी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर पांच प्रतिशत किया गया है। इसी तरह मुद्रास्फीति के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 5.1 प्रतिशत हैं। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
Market Experts की ओर से पहले ही इस बात के संकेत दिए गए थे। एक्सपर्ट्स का कहना था कि मुद्रास्फीति बढ़ने, सरकार के महंगाई लक्ष्य के दायरे को पूर्ववत बनाये रखने (दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर) तथा Covid-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति के मामले में नरम रुख अपनाते हुये यथास्थिति बनाये रख सकता है।
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