जल्द जेब पर भारी पड़ेगी चाय की चुस्की, चाय उद्योग पर संकट खत्म करने के लिए उठाया जा सकता है ये जरूरी कदम

कोरोना काल और लॉकडाउन के चलते जहां देश भर के तमाम उद्योगों को भारी चोट पहुंची है। इसबीच ही चाय का उद्योग भी चौपट हो गया है। इसकी वजह कोरोना और लॉकडाउन से लेकर बारिश भी बन गई है। जिसकी वजह से असम से लेकर उत्तर भारत समेत दूसरी जगहों पर होने वाली चाय की खेती को काफी नुकसान हुआ है। वहीं लॉकडाउन के बीच आयात पर रोक लगने चाय के उद्योगपतियों को बडा नुकसान हुआ है। इस बीच चाय बोर्ड के अध्यक्ष का दावा है कि कारोबार में सुधार के लिए चाय की कीमत बढाना जरूरी है। यही इससे उबरने का एक रास्ता है।
दरअसल, कन्फेडरेशन ऑफ स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन (सिस्टा) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में बेजबरुआ ने कहा कि मौजूदा मूल्य वृद्धि तेजी तकनीकी सुधार है। उन्होंने कहा कि पिछले साल चाय की भारी मात्रा में आपूर्ति हुई थी और जब टी बोर्ड ने दिसंबर में चाय पत्तियों को नहीं तोड़ने का आदेश दिया। यह काफी हद तक सही हो गया था। बेजबरुआ ने चेतावनी दी कि केन्या जैसे अन्य देशों के मुकाबले भारतीय चाय की मौजूदा कीमतें उच्च स्तर पर हैं। उन्होंने कहा कि यह चिंता का कारण है कि भविष्य में चाय के आयात पर मौजूदा रोक हल्की की जा सकती है और उससे असम, उत्तर बंगाल और नीलगिरी में चाय उद्योग को क्षति होगी।
उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि ऐसे समय में सरकार जिम्मेदार तरीके से कार्य करेगी और हजारों लोगों की आजीविका को बचाएगी। चाय बोर्ड के अध्यक्ष ने दावा किया कि अगले साल फसल आने पर कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। चाय बोर्ड के निदेशक चाय विकास एस ध्वनिराजन ने कहा कि देश के समग्र चाय उत्पादन में छोटे उत्पादकों का योगदान लगभग 50 प्रतिशत है। जो कोविड-19 महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
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