Voda-Idea के सीईओ को नहीं मिलेगा 3 साल का वेतना, जानिए क्यों

Voda-Idea के सीईओ को नहीं मिलेगा 3 साल का वेतना, जानिए क्यों
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वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के सीईओ के कंपनी वहन करेगी दूसरे सभी खर्च। 30 सितंबर की बैठक में प्रस्ताव देगी कंपनी।

पिछले कई सालों से घाटे में चलने के चलते एक हुई (VodaPhone-Idea) वोडा-आइडिया में अब एक बार फिर से कटौती की कैंची चल सकती है। इसकी वजह (Telecom Company) टेलीकॉम कंपनी के एक प्रस्ताव में कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) राजीव ठक्कर को उनके तीन साल का वेतन नहीं दिया जाएगा। इसकी वजह कंपनी का लगातार में घाटे में भी जाना है। हालांकि कंपनी सीईओ के सभी खर्चे वहन कर सकती है। अभी इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलनी बाकी है।

दरअसल, वोडाफोन-आइडिया की 25वीं सालाना आम (Meeting) बैठक 30 सितंबर को होगी। इस बैठक में कंपनी सीईओ राजीव ठक्कर की नियुक्ति और अन्य प्रस्तावों पर शेयरधारकों की मंजूरी मांगेगी। जिस पर संभवतया 3 साल तक सैलरी काटने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल सकती है। इसका दावा कंपनी ने अपनी सालाा आम सभा की सूचना में कहा है कि वोडाफोन आइडिया ठक्कर के कंपनी के काम के चलते होने वाले खर्चे वहन कर सकती है।

एक होने पर राजीव ठक्कर को बनाया था सीईओ

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वोडाफोन-आइडिया ने एक होने के बाद बलेश शर्मा के इस्तीफा दिया जाने पर राजीव ठक्कर को तीन साल के लिए अपना प्रबंध निदेशक और सीईओ पद पर नियुक्त किया था। उनका कार्यकाल 19 अगस्त 2019 से प्रभावी है, लेकिन अब बताया जा रहा है कि उनकी (Salary) सैलरी कंपनी नहीं देगी। ठक्कर से पहले शर्मा को कंपनी ने सालाना 8.59 करोड़ रुपये का पैकेज दिया था। हालांकि उनके वेतन में 2019-20 के लिए किसी तरह की बढ़ोत्तरी की कोई अनुशंसा नहीं की गई थी। ठक्कर के नियुक्ति की शर्तों में कहा गया है कि (Vodaphone-Idea) वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड कंपनी के काम से किए जाने वाले उनके यात्रा, रहने-खाने, मनोरंजन और अन्य खर्चे कंपनी की नीति के अनुरूप उठा सकती है।

कंपनी लोन बढाने का भी रख सकती है प्रस्ताव

वहीं दावा किया जा रहा है वोडाफोन आइडिया लिमिटेड बैठक में अपनी लोन क्षमता 25,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव भी रखेगी। इसके साथ ही बता दें कि इस समय ज्यादातर प्राइवेट दूरसंचार कंपनी घाटे में है और वित्तीय संकट से गुजर रही है। सरकार के दावे के अनुसार कंपनी को समायोजित सकल आय (AGR) बकाये के रूप में 58,250 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। जबकि अब तक कंपनी सिर्फ 7,854 करोड़ रुपये का ही भुगतान कर सकी है।

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