Budget 2020: कितने तरह का होता है बजट, जानिए यहां

Budget 2020 : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी शनिवार को आम बजट 2020-21 (Union Budget 2020-21) पेश करेंगी। बजट को सरल भाषा में समझा जाए तो साल भर में क्या महंगा होगा क्या सस्ता होगा, सरकार ने किस क्षेत्र के लिए कितना बजट दिया है। यह समझ में आता है। आम आदमी और सरकार के बजट में एक मामूली सा अंतर होता है। वह अंतर यह है कि आप अपने घर का बजट बनाते हैं और सरकार पूरे देश का बजट बनाती है। देश के हर नागरिक को बजट से जुड़ी बस इतनी ही जानकारी होती है। क्या आपको पता है कि बजट कई प्रकार का होता है। आइए हम आपको बताएंगे कि बजट कितने प्रकार का होता है।
बजट को हम कई तरह से वर्गीकृत कर सकते हैं। जैसे संतुलित बजट, असंतुलित बजट, सरप्लस बजट या डेफिसिट बजट। इसे हम अंतरिम बजट और पूर्ण बजट में भी विभाजित कर सकते हैं, और भी कई तरह बजट का वर्गीकरण किया जा सकता है। आइए जानें कितने प्रकार का होता है बजट।
1. संतुलित बजट- इस बजट को वास्तव में चादर के हिसाब से पैर फ़ैलाने वाला बजट भी कहा जाता है। अगर किसी वर्ष में सरकार की आमदनी और खर्च के आंकड़े बराबर हों तो उसे संतुलित या बैलेंस्ड बजट कहा जाता है। अर्थशास्त्री सरकार से ऐसे ही बजट की उम्मीद रखते हैं। इस बजट से यह मालूम चलता है कि सरकार अपनी आमदनी के हिसाब से ही रकम खर्च करेगी। इस बजट के अपने अलग फायदें और नुकसान है। क्या होता है जब संतुलित बजट पेश किया जाता है।
-आर्थिक स्थिरता बनी रहती है। सरकार बेवजह के खर्च से बचती है।
-संतुलित बजट के नुकसान आर्थिक सुस्ती के वक्त बेअसर साबित होती है।
-बेरोजगारी जैसी समस्या के समाधान में मदद नहीं मिल पाती।
-विकासशील देशों में आर्थिक ग्रोथ पर असर डालती है।
-जन कल्याण के काम करने से सरकार के हाथ रोक देती है।
2. सरप्लस बजट-अगर सरकार के खर्च से उसकी आमदनी अधिक हो तो उसे सरप्लस बजट कहते हैं। किसी एक वित्त वर्ष में सरकार के पास अतिरिक्त रकम बचना सरप्लस बजट कहलाता है। इसका मतलब यह है कि किसी वित्त वर्ष में सरकार जितनी रकम खर्च करेगी, टैक्स एवं अन्य स्रोत से उसकी कमाई अधिक रह सकती है। इस बजट के अपने अलग फायदें और नुकसान हैं।आइए जानें क्या होता है जब सरप्लस बजट पेश किया जाता है।
-इसका मतलब यह भी है कि सरकार जनकल्याण के काम पर जितनी रकम खर्च करेगी, उससे अधिक रकम टैक्स से जुटा लेगी।
- इस तरह का बजट महंगाई नियंत्रित करने के लिए बनाया जाता है और इससे मांग घटाने में मदद मिलती है।
3. डेफिसिट बजट या नुकसान वाला बजट- अगर सरकार का अनुमानित खर्च उसकी कमाई से अधिक रहने का लेखा जोखा पेश किया जाए तो इसे डेफिसिट बजट कहते हैं। इसका मतलब यह है कि सरकार की टैक्स एवं अन्य स्रोत से जितनी आमदनी होगी, जनकल्याण के काम पर वह उससे अधिक खर्च करने की योजना बना रही है। आइए जानें क्या होता है जब डेफिसिट बजट या नुकसान वाला बजट पेश किया जाता है।
-भारत जैसे विकासशील देश में इस तरह का बजट ग्रोथ को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। खासतौर पर आर्थिक सुस्ती के दौर में इस तरह का बजट काफी लाभदायक हो सकता है।
- डेफिसिट बजट से मांग बढ़ाने और आर्थिक विकास में तेजी लाने में मदद मिलती है।
-डेफिसिट बजट में सरकार उधारी लेकर अपने खर्च को कवर करती है।
-आर्थिक सुस्ती के दौर में रोजगार बढ़ाने में मददगार सरकार को जन कल्याण के काम पर खर्च करने का मौका मिलता है।
- सरकार बेमतलब की चीजों पर खर्च बढ़ा सकती है।
-उधारी लेने की वजह से सरकार पर बोझ बढ़ता है।
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